संदीप शुक्ला, भोपाल, NIT; मोदी सरकार के नोटबंदी का असर अब मध्यप्रदेश सरकार की राजस्व वसूली पर भी दिखने लगा है। करों की वसूली में आई गिरावट और नई घोषणाओं को पूरा करने के दबाव से गुजर रही मध्य प्रदेश सरकार का वित्तीय संतुलन गड़बड़ा गया है। वित्तीय वर्ष के सात महीनों में ही शिवराज सरकार का राजकोषीय घाटा निर्धारित सीमा से अधिक हो गया है। हालत यह है कि 8 नवंबर को डेढ़ हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने वाली राज्य सरकार आठ दिन बाद ही फिर बाजार से 5000 करोड़ रुपए उठाने की तैयारी कर रही है। सरकार पिछले सप्ताह तक 10500 करोड़ रुपए तक कर्ज ले चुकी है। ऐसे में कर्मचारियों को स्थायी करने, शिक्षकों को छठवां वेतनमान और कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का लाभ देने के लिए राशि जुटाना राज्य सरकार के सामने चुनौती बन गया है।
चिंता की बात तो यह है कि अभी तक जिन विभागों में करो की राजस्व वसूली ठीक चल रही थी, उन विभागों की आय पर भी मोदी सरकार के निर्णय का असर दिखने लगा है। वित्तीय मामलों के जानकार सरकार के बार-बार बाजार से कर्ज उठाने को आर्थिक स्थिति गड़बड़ाने के संकेत से जोड़कर देख रहे हैं। अगस्त से कर्ज उठाने का जो सिलसिला चला वह अब भी बदस्तूर जारी है। अब तक सात बार प्रदेश सरकार ने बाजार से कर्ज लिया है। अधिकांश बार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मार्फत उठाया जाने वाला यह कर्ज मात्र 15 दिन के अंतराल में उठाया गया है। वित्त विभाग के अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि सरकार पर इस समय लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है, जिस पर उसे हर साल 6000 करोड़ का ब्याज देना पड़ता है। ब्याज की यह राशि अधिकांश विभागों के बजट से अधिक है। वैसे तो सरकार ज्यादातर कर्ज निर्माण कार्यों पर लेने की बात कर रही है, लेकिन हकीकत ये है कि अपने कमिटमेंट्स को पूरा करने के लिए सरकार को कर्ज की बार-बार जरूरत पड़ रही है।
इधर, वित्त मंत्री जयंत मलैया का कहना है कि राज्य सरकार वित्तीय संकट से नहीं जूझ रही और स्थितियां नियंत्रण में हैं। उनके अनुसार राजस्व वसूली में आई कमी की भरपाई उन विभागों के बजट से की जाएगी जहां राशि का उपयोग नहीं हुआ है। मलैया ने यह भी कहा की करो में आई इस कमी का असर आने वाले अनुपूरक बजट की साइज़ पर पड़ेगा, यानी वह छोटा होगा ।
अगस्त से अब तक 7 बार लिया गया कर्ज :-
5 अगस्त 1500 करोड़
19 अगस्त 1000 करोड़
8 सितंबर 1500 करोड़
23 सितंबर 1000 करोड़
6 अक्टूबर 2000 करोड़
21 अक्टूबर 2000 करोड़
8 नवंबर 1500 करोड़।
वित्त विभाग भले ही प्रदेश की आर्थिक स्थिति अच्छी होने की बात कह रहा हो, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। वर्तमान स्थिति के अनुसार राज्य सरकार का राजकोषीय घाटा लगभग 6 प्रतिशत हो रहा है, जबकि केंद्र के अनुसार बेहतर वित्तीय प्रबंधन वही होता है, जिसमें ये तीन प्रतिशत के अंदर हो। राजस्व के प्रमुख स्रोत वैट की वसूली की सुस्त रफ्तार का असर जीएसटी के तहत मिलने वाले राजस्व पर भी पड़ सकता है।
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