अरशद आबदी, झांसी ( यूपी ), NIT; उत्तर प्रदेश के कई जिलों में इन दिनों फर्जी पत्रकार बनने और बनाने का गोरखधंधा तेजी से बढ़ता जा रहा है। सड़कों पर दिखने वाली हर दसवीं गाड़ी में से एक गाड़ी या मोटर साइकिल पर प्रेस लिखा दिखता नजर आ जाएगा। कई शहरों में तो पुलिस ने ऐसे फर्जी पत्रकारों के गैंग सहित उनकी बिना कागजात वाली गाड़ियां भी सीज करनी शुरू कर उनके फर्जी आई डी व प्रेस कार्ड के आधार पर मुकदमा भी लिखना शुरू कर दिया है। ये फर्जी पत्रकार अपनी गाड़ियों में बड़ा बड़ा प्रेस का मोनोग्राम तो लगाते ही हैं साथ ही फर्जी आई डी कार्ड भी बनवाकर अधिकारियों व लोगों को रौब में लेने का प्रयास भी करते हैं। कुछ संस्थाएं तो ऐसी हैं जो 1000 रूपये से लेकर 5000 हजार रूपये जमा करवाकर अपने संस्था का कार्ड भी बना देती हैं और बेरोजगार युवकों को गुमराह कर उन्हें बसूली की परमीशन दे देती हैं, लेकिन पकडे जाने पर वो संस्थायें भी भाग खड़ी होती हैं। लगातार बढ़ती फर्जी पत्रकारों की संख्या से न सिर्फ छोटे कर्मचारी से लेकर अधिकारी परेशान हैं बल्कि खुद समाज व सम्मानित पत्रकार भी अपमानित महसूस करते नजर आ रहे हैं। कुछ फर्जी पत्रकारों ने तो अपनी गाड़ियों के आगे पीछे से लेकर वीआईपी विस्टिंग कार्ड भी छपवा रखे हैं, यह लोग पुलिस की चेकिंग के दौरान उनको प्रेस का धौंस भी दिखाते हैं। गाड़ी रोकने पर पुलिसकर्मी से बत्तमीजी पर भी उतारू हो जाते हैं। इनमें से तो बहुत से ऐसे पत्रकार है जो पेशे से तो भूमाफिया और अपराधी हैं। जिन पर न जाने कितने अपराधिक मुक़दमे भी दर्ज हैं।
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