अबरार अहमद खान, भोपाल, NIT; मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में नोट बंदी के चलते और बैंक में नोटों के खत्म हो जाने का खमियाजा एक गरीब परिवार को भुगतना पड़ा। जहां एक परिवार द्वारा शव मांगे जाने पर सर्वोत्तम अस्पताल के प्रंबधन ने मना कर दिया। जब बात पुलिस तक पहुंची तब जाकर अस्पताल वालों ने एक माह में भुगतान करने के आश्वासन पर परिवारजनों को शव सौंपा।
मिली जानकारी के मुताबिक सीहोर रोड पर स्थित बरखेड़ी निवासी रामसिंह जाटव को बीते 11 नवंबर को एक अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दिया था, जिसे गम्भीर घायल अवस्था में हमीदिया हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। ईलाज से फर्क ना आता देख परिजनों द्वारा मरीज को एयरपोर्ट रोड़ पर स्थित सर्वोत्तम अस्पताल में भर्ती कराया गया। परिवार द्वारा अस्पताल में पुरानी करेंसी के 28000 हजार रुपयें जमा किए गए थे और लग भग 25000 रूपये बकाया था। गुरुवार को लगभग 4 बजे अस्पताल द्वारा रामसिंह को मृत घोषित कर दिया गया। परिवार द्वारा जब मृतक की लाश मांगी गई तो अस्पताल वालों ने उन्हें बिल थमा दिया और कहा पहले पैसे भरों फिर डेड बॉडी ले जाना। चुंकी परिजनों के पास पैसा ना होने के काऱण परिवार के एक सदस्य ने इस बात को वाट्स अप पर डालकर न्याय मांगना चाहा।हालांकी एक तरफ अस्पताल प्रबंधक द्वारा शव ना देने की बात को नाकारा गया हैं, वहीं दुसरी तरफ मृतक के बेटे ने कहा की मैंने एक मित्र की मदद लेकर ख़बर को सोशल मीडिया पर भेजवाया था। जैसे ही खबर वॉट्स-अप के माध्यम से कोहेफिजा पुलिस के पास पहुंची तो पुलिस ने अस्पताल पहुंचकर दौनों पक्षों के बीच समझौता कराया, जिसके तहत मृतक के परिजनों को 1 माह के अंदर पैसा जमा करने की बात रखी गई। परिजनों ने लिखित रूप में अस्पताल प्रबंधन को पैसा जमा करने का आश्वासन दिया, जिसके बाद शव को परिवार वालों को सौंपा गया ।
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