अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT:
राजस्थान में जल्द ही तीन विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने की तारीख का ऐलान होना है लेकिन तीनों में से शेखावाटी जनपद की आनूसचित जाति के लिये आरक्षित सीट सुजानगढ़ का चुनाव कांग्रेस सरकार से विभिन्न मुद्दों व प्रतिनिधित्व नहीं मिलने के कारण नाराज चल रहा मुस्लिम समुदाय कांग्रेस के सामने मुश्किल खड़ी कर सकता है। संवैधानिक संस्थाओं में मनोनयन में मुस्लिम को प्रतिनिधित्व नहीं मिलने के अतिरिक्त उर्दू व उर्दू शिक्षक भर्ती एवं मदरसा पैराटीचर्स की लम्बित मांगों को लेकर आंदोलन की चिराग शेखावाटी जनपद से निकलकर प्रदेश भर में फैलने से खासतौर पर मुस्लिम युवा कांग्रेस को सबक सिखने पर आमादा नजर आ रहा है।
मुख्यमंत्री बनने से लेकर अबतक अशोक गहलोत द्वारा अधीकांश मुस्लिम अधिकारियों को मेन स्टीम के पदों पर पदस्थापित करने से कोसों दूर रखने का एक अन्य कारण भी मुस्लिम समुदाय को राजनीतिक तौर पर अंदर तक हिला कर रख दिया है। लगातार बर्फ की माने जाने वाले पदों पर पदस्थापित रहने वाले पुलिस व प्रशासनिक सेवा के कुछ मुस्लिम अधिकारियों के सुजानगढ़ में नजदीकी रिश्ते होने व उनके परिवारों का राजनीतिक रुप से खासा प्रभाव होना भी कांग्रेस के लिये अलग से बड़ी चुनौती के रुप में खड़ा मिल सकता है।
कुल मिलाकर यह है शेखावाटी के मुस्लिम मतदाताओं का कांग्रेस के खिलाफ मिजाज शुरुआत से रहा है। यहां के मतदाताओं के कांग्रेस व कांग्रेस के खिलाफ मतदान करने में खास झिझक नहीं पाई जाती है। जब उन्होंने तय किया तो उन्होंने सुजानगढ़ के लगते विधानसभा क्षेत्रों से जनता पार्टी, लोकदल, जनता दल व भाजपा उम्मीदवारों तक को मत देकर उनके उम्मीदवारों को विधायक बनवाये है। 1979 के लोकसभ चुनाव में तो मुस्लिम मतदाताओं ने एक तरफा जनता पार्टी के उम्मीदवार आलम अली खां को मत देकर आलम अली व लोकदल उम्मीदवार दौलतराम सारण के मध्य कड़ा मुकाबला करवाने के बाद कांग्रेस उम्मीदवार को काफी पिछड़ना पड़ा था एवं आलम आली से मात्र पांच हजार के करीब अधिक मतों के आने से सारण जीते थे। इसलिये कांग्रेस का यह भ्रम भी इस क्षेत्र में झटका खा सकता है कि चाहे मुस्लिम मतदाता नाराज हो पर भाजपा के मुकाबले वो कांग्रेस के पक्ष में ही मतदान करने पर मजबूर होगा। यह भ्रम शेखावाटी जनपद में काफी दफा टूटता भी नजर आया है। लगते विधानसभा क्षेत्र लाडनू, डीडवाना, फतेहपुर, लक्ष्मनगढ, रतनगढ़ के साथ साथ सुजानगढ़ में भी मुस्लिम समुदाय कांग्रेस के खिलाफ अनेक दफा एवं कभी कभी भाजपा तक को मत देता नजर आया है। कांग्रेसे नेता फिल्हाल भाजपा में राजे व अन्य नेताओं मे चल रही दरार के कारण डीडवाना विधायक रहे यूनूस खां की मौन स्वीकृति को अपने पक्ष में आने की सम्भावना को मानकर चल रहे हैं जबकि इसके विपरीत युवाओं के आक्रोश के सामने यह सब भी फीका पड़ सकता है। सुजानगढ़ का उपचुनाव कांग्रेस व भाजपा उम्मीदवारों के अलावा एक निर्दलीय उम्मीदवार के मध्य कांटे की टक्कर वाला साबित होगा।
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