अशफाक़ कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT:
अशोक गहलोत जब जब राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं तब तब अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को गहलोत के मुख्यमंत्री के रुप मे काम करने के तरीकों को लेकर जनता की खासतौर पर पार्टी वोटबैंक की नाराजगी के चलते बूरी तरह हार का सामना करने के बावजूद कांग्रेस हाईकमान ने इससे कोई सबक लेकर उसमें सुधार करके दूसरे नेता को मुख्यमंत्री बनाने की बजाये गहलोत को ही राजस्थान की जनता पर बार बार थोपने का परिणाम पहले 156-से 56, फिर 96-21 व अब 101 से पांच-छ सीट पर कांग्रेस को लाकर पटकने की सम्भावना जताई जाने लगी है। जयपुर-जोधपुर व कोटा की 6 नगर निगम के हाल ही में हुये चुनावों के बाद कांग्रेस द्वारा अपने मेयर के छ उम्मीदवारों की घोषणा करने से किसी भी मुस्लिम को मेयर का उम्मीदवार नहीं बनाने को मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा फिर एक दफा मुस्लिम समुदाय को जोर से झटका देकर समुदाय को अहसास करवा दिया है कि गहलोत के रहते वो नेतृत्व की उम्मीद ना करके केवल कांग्रेस का मतदाता ही बने रहने की आदत मन में बैठाकर रख लें जबकि उक्त नगर निगम चुनावों में मुस्लिम पार्षद बड़ी तादाद में जीतकर आये हैं एवं मुस्लिम मतदाताओं द्वारा कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने के कारण ही अधीकांश अन्य उम्मीदवार जीत पाये हैं। गहलोत के मेयर उम्मीदवार चयन के तरीके को लेकर मुस्लिम समुदाय में भारी बैचेनी व उनके प्रति आक्रोश व्याप्त होना देखा जा रहा है।
राजनीति को राज करने की नीति माना जाता है, जिस तबके की रणनीति स्टीक होगी वो राजनीति में कामयाब होकर सत्ता की कुर्सी को पाता है साथ ही राजनीति में उलट-फेर करने की ताकत रखने के अलावा जो तबका बंधुआ मजदूर की तरह बंधुआ वोटबैंक होने से छुटकारा पा लेता है वो तबका राजनीति में अपनी बात मनवाने में कामयाब होता है लेकिन कांग्रेस द्वारा मेयर उम्मीदवार से मुस्लिम समुदाय को पूरी तरह अलग थलग करने के बाद किसी ने आज यू कहा कि “जेहन जब गुलामीयत स्वीकार कर लेता है-तब ताकत भी कोई काम नहीं आ सकती है”।
जयपुर हैरिटेज नगर निगम में कांग्रेस के निशान पर कुल 47 पार्षद जीते उनमें 21 मुस्लिम पार्षद जीत कर आये। बहुमत का आंकड़ा पाने के लिये कांग्रेस को जब चार पार्षद की और जरूरत पड़ी तो 9 अन्य निर्दलीय मुस्लिम पार्षदों ने भाजपा को रोकने के लिये कांग्रेस को समर्थन दिया तो कांग्रेस ने मेयर उम्मीदवार से मुस्लिम समुदाय को ही रोक कर उनके साथ विश्वासघात करते हुये अन्य को आज उम्मीदवार घोषित करने के बाद समुदाय ठगा हुआ महसूस कर रहा है। जयपुर की ही तरह कांग्रेस ने जोधपुर व कोटा नगर निगम के भी मेयर उम्मीदवार से मुस्लिम समुदाय को दूर रखते हुये अन्य उम्मीदवार आज घोषित कर दिये। जबकि जयपुर की तरह ही जोधपुर व कोटा नगर निगम चुनाव मे भी मुस्लिम पार्षद बड़ी तादाद मे जीत कर आये हैं। सुचना के अनुसार जोधपुर में 36 व जयपुर में 35 एवं कोटा नगर निगम में 23 मुस्लिम पार्षद जीतकर आये बताते हैं। कांग्रेस ने जयपुर हैरिटेज से मुनेश कुमारी गुर्जर, जयपुर ग्रेटर से दिव्या सिंह, जोधपुर उत्तर से कुन्ती परिहार, जोधपुर दक्षिण से पुजा पारीक, कोटा नोर्थ से मंजू मेहरा व कोटा दक्षिण से राजीव अग्रवाल को मेयर का उम्मीदवार घोषित किया है।
मुख्यमंत्री गहलोत ने मुस्लिम समुदाय को आज मेयर उम्मीदवार चयन में ही झटका नहीं दिया है बल्कि दो साल पहले जब अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने थे तब से उनके द्वारा लगातार एक के बाद एक लगातार झटका देने का सिलसिला जारी रखा हुआ है। अव्वल मंत्रिमंडल गठन में एक मात्र शाले मोहम्मद को मंत्री बनाया। उसके बाद विभाग बंटवारे में शाले मोहम्मद को किसी मेन स्टीम वाले विभाग का प्रभार देने की बजाये मात्र अल्पसंख्यक मंत्रालय का प्रभार दिया। उसके बाद हाईकोर्ट में एक महाअधिवक्ता व सोलह अतिरिक्त महाअधिवक्ताओं की नियुक्ति की जिसमें एक भी मुस्लिम को नियुक्त नहीं किया। पिछले माह गहलोत ने राजस्थान लोकसेवा आयोग के एक चेयरमैन व चार सदस्यों का मनोनयन किया जिसमें भी मुस्लिम प्रतिनिधित्व देने का साहस नहीं जुटाया। इसके अलावा गहलोत के मुख्यमंत्री कार्यकाल की अनेक घटनाओं को याद करने से लगता है कि कांग्रेस की सरकार बनाने में महत्त्वपूर्ण रोल अदा करने वाले मुस्लिम मतदाताओं के साथ गहलोत लगातार इस तरह का बर्ताव क्यों करते आ रहे हैं। पता नहीं गहलोत मुसलमानों को टारगेट करते हुए सोफ्ट हिन्दुत्व के ऐजेण्डे पर काम क्यों करने पर उतारू हैं। गहलोत के राज्य के गृहमंत्री रहते काला कानून टाडा के तहत मुस्लिम की पहली गिरफ्तारी करके टाडा कानून की शूरुआत, गोपालगढ़ में मस्जिद में नमाजियों पर पुलिस द्वारा गोलियां चलाकर हलाक करने के साथ थानेदार फूल मोहम्मद के सरकारी डयूटी करते समय भीड़ द्वारा सरेआम जींदा जला देने के बाद मुख्यमंत्री गहलोत व उनके मंत्रीमण्डल के किसी सदस्यों में से किसी का भी उसके घर जाकर उनके परिजनों को सांत्वना तक नहीं देने नहीं जाना अलग तरह का इतिहास दोहराया जाना नजर आता है।
कुल मिलाकर यह है कि राजस्थान के छ नगर निगम के हुये चुनावों के बाद दस नवम्बर को होने वाले मेयर चुनाव के लिये कांग्रेस ने आज अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है। बड़ी तादाद में मुस्लिम पार्षदों के चुनाव जीतने के बावजूद कांग्रेस द्वारा छ में से एक भी मुस्लिम को मेयर का उम्मीदवार नहीं बनाने को लेकर मुख्यमंत्री गहलोत व कांग्रेस के खिलाफ मुस्लिम समुदाय में भारी रोष व्याप्त है जो कांग्रेस पार्टी के लिये शुभ संकेत नहीं माना जा सकता है।
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