कसिम खलील, बुलढाणा (महाराष्ट्र), NIT;
बुद्ध पूर्णिमा की रात में देश के सभी बाघ परियोजना एवं संरक्षित जंगलों में वन्य जीवों की गणना की गई। देश में बाघों के अधिवास के लिए मशहूर मेलघाट टाइगर रिजर्व में इस गणना के समय 20 बाघों ने अपने दर्शन दिए। इसी प्रकार यहां पर 37 तेंदुए और 291 भालू भी देखने को मिले हैं। इसके अलावा अकोला जिले के काटेपूर्णा अभ्यारण्य में 11 तेंदुए जबकि बुलढाणा जिला के ज्ञानगंगा अभयारण्य में 2 तेंदुए और 39 भालू नजर आए हैं।
वन्यजीव विभाग अमरावती के मुख्य वन संरक्षक तथा क्षेत्र संचालक मेलघाट टाइगर रिजर्व एम.एस. रेड्डी ने हाल ही में अपना पदभार स्वीकारा है। प्रति वर्ष बुद्ध पूर्णिमा की चांदनी रात में होने वाली इस वन्यप्राणी गणना की प्रणाली में उन्होंने कुछ बदलाव लाए हैं। इस वर्ष जो वन्यजीव प्रेमी एवं पर्यटक इस प्राणी गणना में शामिल होना चाहते थे उन्हें अपना नाम ऑनलाइन पंजीयन कराना अनिवार्य कर दिया गया था तथा प्रति पर्यटक से ₹500 बतौर फीस भी ली गई। मेलघाट टाइगर रिजर्व अमरावती अकोला एवं बुलढाणा इन तीन जिलों में फैला हुआ है जो मध्यप्रदेश की सीमा से सटा से है। मेलघाट टाइगर रिजर्व को 3 डिवीजन में विभाजित किया गया है जिसमें गुगामल, सिपना तथा आकोट डिवीज़न का समावेश है।मेलघाट टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक एम.एस. रेड्डी ने इस वन्यजीव गणना को “वाटरहोल मचान सेंसेस” का नाम दिया था। पूरे मेलघाट में इस गणना के लिए कुल 441 मचाने कुत्रिम जलाशयों के पास बनाई गई थी। 10 व 11 मई की रात में की गई इस गणना में पूरे राज्य भर से पर्यटकों ने अपना सहभाग दर्शाया था। गणना के लिए मचान पर एक पर्यटक तथा एक वनकर्मी मौजूद था। रात भर चली इस गणना में पर्यटकों ने प्राकृति की इस असीम संपत्ति का खूब लुत्फ उठाया।पूरे मेलघाट के 3 डिवीजनों में 20 बाघ, 37 तेंदुए और 291 भालू मौजूद हैं। इसके अलावा नीलगाय, हिरण, लकड़बग्घे, सायर, जंगली भैंसे, लोमड़ी, सियार, बारहसिंघा, खरगोश, जंगली कुत्ते, जंगली बिल्ली के अलावा बाज़, उल्लू तथा कई प्रकार के पक्षी भी देखे गए हैं।
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