मकसूद अली, यवतमाल (महाराष्ट्र), NIT;
‘ ये प्यास है बड़ी’ एक शीतलपेय विज्ञापन की यह पंच लाइनें हैं, लेकिन इन पंच लाइनों का कुछ और ही मतलब शीतल पेय पदार्थ बेचने वाले दुकानदार लगा रहे हैं। पानी की बोतल या पाउच हो या फिर कोई कोल्ड ड्रिंक्स की बोतल। इनकी मांग होने करने पर दुकानदार ‘चिलिंग चार्ज’ के नाम पर सीधे दो से पांच रुपए तक अधिक खुले आम दाम वसूली कर रहे हैं। कार्रवाई और दंड प्रावधानों के आभाव में ऐसे दुकानदारों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। एमआरपी पर शीतल पेय मांगे जाने पर बाहर रखी गर्म बोतल ले जाने की बात कही जाती है। जिद करने पर दुकानदार झगड़े पर उतारू हो जाते हैं। खास बात यह है कि जैसे जैसे पारा चढ़ता है चिलिंग प्रइस के दाम भी बढ़ा दिए जाते हैं।
मेडिकल अस्पताल परिसर के बाहर इस तरह के लुटेरे दुकानदारों की भरमार है। मरीजों के साथ परिजनों को भी पानी की ठंडी बोतल या कोल्ड ड्रिंक्स मांगने पर अधिक पैसे वसूले जाते हैं। यहां मामले केवल कोल्ड ड्रिंक्स या पानी की बोतल तक ही सीमित नहीं कई अन्य खाद्य सामग्रियों पर भी एमआरपी से अधिक पैसों की वसूली धड़ल्ले से होती है।
हालांकि ओवर प्राइस के मामलों पर वैद्यमापन शास्त्र विभाग की ओर से अधिकारिक रूप से कार्रवाई की जाती है। लेकिन शिकायत के आभाव में प्रशासन सक्रीयता नहीं दिखा पाता। लेकिन यह भी उतना ही सच है कि शिकायत किए जाने पर भी वैद्यमान शास्त्र विभाग के अधिकारी जल्द हरकत में नहीं आते। यही वजह है कि एमआरपी से अधिक पैसों की लूट मचानेवाले दुकानदारों की संख्या बढ़ते ही जा रही है। बता दें कि किसी भी शीतल पेय पदार्थ पर लगाया जानेवाला एमआरपी चिलिंग चार्ज के साथ दुकानदारों को उपलब्ध कराया जाता है। इस चिलिंग चार्ज के पैसे देने के बाद भी शीतलपेय बेचने पर दुकानदारों को लाभ मिलना निश्चित रहता है। बावजूद इसके अधिक पैसे ऐंठने की लालच में ये लूट खुले आम जारी रहती है।
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