अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT:
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में जब जब कांग्रेस सरकार बनी है तब तब अल्पसंख्यकों को उदासीन व उनके हकों पर चोट पहुंचाने के अलावा उनके सम्बंधित सरकारी इदारों को पंगू बनाने के लिये लगातार एक के बाद एक प्रयास होते रहे हैं। अब जाकर मुख्यमंत्री गहलोत के साथ शिक्षा मंत्री गोविद सिंह डोटासरा ने भी अल्पसंख्यक विरोधी विचारधारा का खुला प्रदर्शन करते हुये उनके तहत आने वाले शिक्षा विभाग के निदेशक सौरभ स्वामी ने 2 सितंबर 2020 को एक आदेश जारी कर स्कूली शिक्षा में इच्छुक स्टुडेंट्स के लिये तृतीय भाषा उर्दू, सिंधी व पंजाबी भाषा के सरकारी स्कूलों में पढ़ने का रास्ता बंद कर दिया है।
राजस्थान में जारी नई शिक्षा नीति में सरकार द्वारा किये जाने वाले बड़े बड़े दावों के विपरीत सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार स्टाफिंग पैटर्न 28 मई 2019 के प्रावधान अनुसार प्रत्येक राउप्रावि में एक ही तृतीय भाषा का संचालन किया जा सकता है। इसमें तृतीय भाषा के किसी एक ही शिक्षक पद का प्रावधान है। इसी तरह साल 2004 के नियम मुताबिक़ प्रारंभिक कक्षाओं (6-8 कक्षाओं में) किसी भी एक कक्षा में दस विधार्थी होने पर तृतीय भाषा (उर्दू, सिंधी, पंजाबी) के शिक्षक का पद जिला शिक्षा अधिकारी स्वीकृत कर सकते थे जिसके तहत उर्दू, पंजाबी व सिंधी भाषा के शिक्षकों के पद स्वीकृत होते थे जो अब 2 सितम्बर 2020 के नये आदेश मुताबिक उक्त तरह के सभी पद समाप्त हो जायेंगे। जिसकी शुरुआत झालावाड़ जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश से हो चुकी है।
राजस्थान में संस्कृत विषय को मेनस्ट्रीम (मुख्यधारा) का विषय माना जाता है। जिसके शिक्षक तो विद्यालय स्वीकृति के साथ ही अन्य विषयों के शिक्षक पदों के साथ स्वीकृत हो जाते हैं जबकि तृतीय भाषा के तौर पर उर्दू, सिंधी व पंजाबी भाषा के शिक्षक 2004 के आदेश अनुसार स्वीकृत होते रहे हैं। अब तृतीय भाषा उर्दू, सिंधी व पंजाबी के शिक्षक पद उसी विद्यालय में ही स्वीकृत हो पायेंगे जहां शत प्रतिशत स्टुडेंट उसी भाषा को पढ़ने वाले उस विद्यालय में होंगे।
राजस्थान की कांग्रेस सरकार द्वारा तृतीय भाषाओं को सरकारी स्कूलों से समाप्त करने के लिये जारी 2-सितम्बर 2020 के आदेश के खिलाफ अल्पसंख्यक समुदाय में गहलोत व डोटासरा के प्रति भारी आक्रोश व्याप्त होना देखा जा रहा है। उर्दू शिक्षक संघ राजस्थान के अध्यक्ष आमीन कायमखानी सहित अनेक सामाजिक संगठनों ने उक्त आदेश के खिलाफ मजबूत आंदोलन छेड़ने का ऐलान कर दिया है।
कुल मिलाकर यह है कि मुख्यमंत्री गहलोत व शिक्षा मंत्री के अलावा अचानक बने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद पर काबिज गोविंद डोटासरा को उक्त मामले पर तूरंत संज्ञान लेकर अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अन्याय पर रोक लगाने की तरफ बढ़ना चाहिए वर्ना राजस्थान भर में उक्त आदेश को लेकर पनप रहे भारी आक्रोश को ठंडा करना मुश्किल हो सकता है।
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