अशफाक़ कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT:
लाॅकडाउन व कोराना काल में जहां सरकारी उपेक्षा के चलते भारत भर में सड़क व टेढे मेढे कच्चे-पक्के रास्तों से मजदूर नंगे पांव व साईकिल या फिर किसी अन्य उपलब्ध साधनों से भूखे प्यासे अपने घरों की तरफ लौटते नजर आये वहीं अनेक संस्थाओं व लोगों ने सामुहिक व निजी तौर पर इनकी मदद करने के लिये अपनी हैसियत से अधिक बढ़कर मदद कार्य करके संकट के काल में इंसानियत को जीन्दा रखते हुये वह पूण्य का काम किया है जिससे लोगों को सबक लेना चाहिए। इनमें अदाकार सोनू सूद, पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव, हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन आवैसी व राजस्थान के पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया के नाम प्रमुख रुप से लिये जा रहे है।
तेलंगाना सरकार की समर्थक इत्तेहादुल मुस्लमीन के नेता व सांसद असदुद्दीन आवेसी का वैसे तो उनके क्षेत्र मे विशाल एम्पायर खड़ा हुवा है लेकिन उन सबको अलग छोड़ देते हैं तो लाॅकडाउन मे फंसे मजदूर व जरुरतमंदों को बेतहाशा कच्चा-पक्का राशन की निजी तौर पर उपलब्धता करवाने के अतिरिक्त उनके घरों तक उनको पहुंचाने में जो मदद कार्य को अंजाम दिया है उसको सदियों तक वहां की अवाम याद रखेगी।
इसके अतिरिक्त फिल्म अदाकार सोनू सूद ने महाराष्ट्र में प्रवासी मजदूरों को उनके घर जाने के लिये बसों व उनके लिये भोजन की सुविधा जिस तरह से की है उससे लगता है कि उन्होंने भारतीय होने के कारण संकट में फंसे भारतीय भाई-बहनों की जिस शालीनता व सुव्यवस्थित तरीके से मदद को अंजाम देकर भारतीय परम्परा को कायम रखा है।
इसी तरह बिहार के पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने बिहार व दिल्ली मे दिन-रात बिहार व झारखंड के परेशानहाल मजदूरों व जरुरतमंदों के मध्य रहकर उनके लिये भोजन का इंतेजाम करने व अपने घरो की तरफ लोटने वाले मजदूरों को हजारों बसो से निजी तोर पर भिजवाने के साथ साथ उनकी नकद मदद करने से लगा कि आज भी भारत मे ऐसे लोग जींदा है जो अपना सबकुछ लूटाकर भी अवाम के दुख को दूर करने व संकट से उनको बचाकर फिर से उनके जीवन को पटरी पर लाने की कोशिश को ही अपने जीवन का सर्वोत्तम कार्य मानते व उस पर अमल करते है। पूर्व सांसद यादव ने खिदम ऐ खल्क को इसी तरह आगे भी जारी रखने की बात दोहराई है। जिसके लिये वो अपनी प्रोपर्टी भी बेचने का मानस बना चुके है।
सांसद आवेसी, अदाकार सोनू सूद व पूर्व सांसद पप्पू यादव की तरह की राजस्थान मे पूर्व केन्द्रीय मंत्री व कांग्रेस नेता सुभाष महरिया ने भी लोकडाऊन की शुरूआत से लेकर लगातार हजारों जरुरतमंद लोगो व मजदूरों को बीना किसी प्रचार से प्रचूर मात्रा मे खाद्य सामग्री के किट उन तक पहुंचाने के अलावा अन्य प्रकार की जो मदद की एवं जारी रख रखी है उससे लगता है कि जिस तरह कड़ी धूप व बरसती बरसात एवं हाढ कम्पकम्पा देने वाली सर्दी के बावजूद किसान अन्न व अन्य खाद्य सामग्री धरती के सीने को चीर कर पैदा करके इंसान व पशुओं के अलावा पक्षियों का पेट भरकर खुशी महसूस करता है। उसी तरह सुभाष महरिया ने संकट काल मे अपनी तरफ से निजी तोर पर मदद का सीलसीला बना रखा है उससे साफ नजर आता है कि वो असल मे किसान पुत्र है जो बीना किसी राजनीतिक व सामाजिक भेदभाव के मानव व पशु-पक्षियों की सेवा को अंजाम देकर मानव धर्म को ओर अधिक मजबूती देने का साहस जूटाया है।
आज के कोराना नामक महामारी व उससे उपजे हालात मे खिदमत ऐ खल्क मे कार्यरत उक्त चारो वीर मानवो के अतिरिक्त भी अनेक लोग भारत के अलग अलग हिस्सों मे खिदमात अंजाम दे रहे है। पर सबके साथ वो किसान भी धन्य है जिन्होंने संकट काल मे अपने खेतो मे खड़ी या फिर पैदा हुई पूरी की पूरी फसल-उपज को अपने बच्चों के पेट के लिये भी ना रखकर पूरी तरह दान करदी। उन किसानों के जज्बे को कभी भूलाया नही जायेगा। बल्कि उनकी मिशाल सालो साल दी जाती रहेगी।
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