Edited by Maqsood Ali;
यवतमाल ( महाराष्ट्र ), NIT;चमकदार फल देखकर अगर आप ललचा रहे हैं तो सावधान हो जाएं! ऐसे फल आपकी सेहत के लिए घातक साबित हो सकते हैं। इन दिनों फल विक्रेताओं के पास चमकदार आम लोगों को अपनी ओर खूब आकर्षित करते हैं। लेकिन असल में यह चमकदार आम अप्राकृतिक रूप से पकाए जाते हैं। इसके लिए इन दिनों चीन से आयातित इथलीन राइपनर पाउडर का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। यह पाउडर टिश्यु पेपर के पाउच में पैक रहता है। इसे पानी में भिगोने के बाद सीधे आम की पेटियों(कार्टन) में रख दिया जाता है। बता दें आम तौर पर एक कार्टन में आम की पांच परतें रखी जाती हैं। इस पाउच को हर परत में रखा जाता है। इसके बाद पेटी को पैक कर दिया जाता है। टिश्यु पेपरवाला इथलीन पाउडर से भरा पाउच गीला होने पर इथलीन गैस छोड़ने लगता है जो बंद पेटी में भर जाता है। इस गैस से तेजी के साथ हरे आम अप्राकृतिक रूप से पकने लगता है। इस तरह मात्र छह घंटों में ही पक्के हरे रंग का आम भी चमकदार पीला पका हुआ आम देने लगता है। और ऐसे ही चमकदार पके हुए आम फल विक्रेताओं के पास सजे हुए दिखाई देते हैं। इन चमकदार फलों की ओर आकर्षित होकर भोली भाली जनता इसे खरीदती है और चाव के साथ खाती है। लेकिन इथलीन के सीधे संपर्क में रहकर पके इन आमों का स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। इससे कैंसर होने की संभावनाएं बढ़ जाती है।अन्न व औषधि प्रशासन विभाग इन दिनों ऐसे आम को पकाने वाले फ्रूट विक्रेताओं पर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। कलमना और संतरा मार्केट फ्रूट बाजारों में विभाग के अधिकारी रेकी कर रहे हैं। अचानक कार्रवाई कर गलत ढंग से आम पकानेवालों पर कार्रवाई की जाएगी। हालांकि विभाग के संयुक्त आयुक्त शशिकांत केकरे कहते हैं कि इस तरह से अप्राकृतिक रूप से पकाए जानेवाले फलों को पहचाना जा सकता है। बहुत चमकदार आम के फल को खरीदने से बचें, क्योंकि यह इसी तरह के रसायनों से पकाया जाता है। कुदरती ढंग से पके आम के छिलके चमकदार बिलकुल नहीं दिखाई देंगे। इनमें झुर्रियां भी देखी जा सकती हैं। लेकिन इथलीन या कार्बाइड आदि के इस्तेमाल से पकाए जानेवाले फल चमकदार ही होते हैं।
दरअसल अन्न व औषधि प्रशासन विभाग के गाइडलाइन के अनुसार फलों को पकाने के लिए पहले किसी चेंबर (कमरे) को इथलीन गैस से भरना होता है। जब इथलीन गैस चेंबर में भर जाए इसके बाद फलों को चेंबर में रखा जाना चाहिए। यह आमों को अप्राकृतिक रूप से पकाने की सुरक्षित विधि है। सीधे आम की पेटियों में इथलीन के पाउच नहीं डाले जा सकते हैं। यह खानेवाले के स्वास्थ्य पर विपरीत परिणाम छोड़ता है। फलों में इथलीन की परमिसिबल लिमिट अर्थात मर्यादा 100 पीपीएम(पार्ट्स पर मिलिग्राम) के अनुपात की होती है। लेकिन इस तरह से सीधे इथलीन के संपर्क में लाकर फलों को पकाने से यह लिमिट बढ़ने की संभावना बनी रहती है। जो सेहत के लिए खतरनाक है।
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