लाॅक डाउन में शासन, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा से पावर लूम बुनकर और मास्टर विवर्स पहुंच गए हैं भुखमरी के कगार पर | New India Times

मेहलका अंसारी, बुरहानपुर (मप्र), NIT:

लाॅक डाउन में शासन, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा से पावर लूम बुनकर और मास्टर विवर्स पहुंच गए हैं भुखमरी के कगार पर | New India Times

प्रधानमंत्री के लाक डॉऊन के परिपालन में शहर के लगभग 40000 पावर लूम और उससे संबद्ध समस्त सहायक इकाइयां जैसे साइजिंग, प्रोसेस आदि पूर्ण रूप से बंद हैं जिसके कारण इस उद्योग से संबद्ध समस्त गरीब पावर लूम दिहाड़ी श्रमिक, जो श्रम करके अपना और अपने परिवार का जीविकोपार्जन करते थे उनके समक्ष रोजी रोटी का भयंकर संकट पैदा हो गया है। पावर लूम बुनकर श्रमिक, इन परिस्थितियों में भयंकर भूखमरी के शिकार हैं। और कोई उनका पूर्सान-ए- हाल नहीं है। चूंकि इस अवधि में पावर लूम कारखाने फैक्ट्रियां और इकाइयां पूर्ण रूप से बंद हो गई है । इसके कारण से यह वर्ग और कोई वैकल्पिक काम अपनी आजीविका को चलाने के लिए करने में असमर्थ हैं, और तो और समय की नब्ज को पहचानते हुए मास्टर वीवर्स भी अंडर ग्राउंड हो गए हैं । जिन मास्टर विवर्स के पास बीम कौन की व्यवस्था थी, और जिनके घर, घर के चलाने वाले थे, उन्होंने माल तैयार करके अपने पास माल स्टॉक कर लिया है । लेकिन लाक डाउन की विपरीत परिस्थितियों के कारण तैयार माल को पहुंचाने की व्यवस्था के साथ प्रशासन सहयोग नहीं होने से वे भी आर्थिक परेशानी झेल रहे हैं । यहां यह भी उल्लेख करना उपयुक्त होगा कि मास्टर विवर्स से राशि नहीं मिल पा रही है । इसके कारण वह अपने अधीनस्थ मजदूरों को भी अग्रिम देने में असमर्थ है । इसके कारण भी परिस्थितियां विपरीत एवं बदतर हो रही है । इसके कारण ही बुनकर और मजदूर सभी भूखमरी के कगार पर खड़े हैं और तो और मारवाड़ी समाज में भी प्रायोजित योजना के तहत लाक डॉऊन के अवसर का लाभ लेकर अपना सुरक्षित समय घर पर व्यतीत कर रहे हैं । हालांकि जीएसटी कानून के लागू होने के बाद लगभग हर मारवाड़ी समाज ने समस्त बुनकरों के खाते ऑनलाइन खुलवा कर भुगतान बैंक के माध्यम से ही कर रहे हैं लेकिन वर्तमान समय में मारवाड़ी समाज के जरिए असहयोग का रवैया अपनाने से पावर लूम विवर्स की परेशानी बढ़ गई है । वर्तमान परिस्थितियों में बुनकर नेता हाजी सेठ अब्दुल रब की कमी महसूस की जा रही है । बुनकरों के नाम पर जो नेता, आज अपनी राजनीतिक दुकानदारी चला रहे हैं वह भी वर्तमान दौर में बुनकरों की सशक्त आवाज उठाने के बजाय अपने घरों में हैं । इस मामले में शासन एवं प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा से पावर लूम बुनकर और मास्टर वीवर्स भुखमरी के दहाने पर खड़े हैं। हमारे निर्वाचित विधायक या सांसद भी मौन धारण किए हुए हैं । हमारी पूर्व विधायिका एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री, जो विश्वनीय रूप से, एक जागरूक राजनीतिक प्रतिनिधि है, वह अपने जिले के किसानों के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री को बार-बार पत्र भेजकर उनका ध्यान आकर्षित करा कर उनसे उनकी समस्याओं से अवगत करा रही है लेकिन हमारी दीदी को कभी यह सद्बुद्धि नहीं हुई कि वह अपने शहर के बुनकरों की आवाज को भी सत्ता के गलियारों तक पहुंचाएं । जानकारी प्राप्त हुई है, कि वर्तमान विधायक मात्र औपचारिकता निभाने के लिए कलेक्टर महोदय से बुनकरों की सहायता के लिए अपील तो कर दी है लेकिन सरकार बदलने के कारण अधिकारियों पर अब उनका इतना प्रभाव नहीं महसूस किया जा रहा है जो पहले हुआ करता था।


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