सविता उपाध्याय, आगरा, NIT;
उत्तर प्रदेश के आगरा जिला के थाना सिकंदरा निवासी रिटायर्ड लेखपाल भगवान सिंह 19 जनवरी 2017 को सुबह 6:40 दूध लेने जा रहे थे कि चार डाकुओं ने उनका अपहरण कर लिया था और चंबल घाटी के बीहडों में उन्हें बंदी बना कर रखा और 20 लाख रुपये फिरौती की मांग की। परिवार वालों ने 15 लाख देकर भगवान सिंह को डाकुओं के चंगुल से मुक्त कराया।
मिली जानकारी के मुताबिक भगवान सिंह का अपहरण उनके भाई ओमप्रकाश के निवास स्थान के सामने हुआ था। आरोप है कि घटना स्थल पर मौजूद ओमप्रकाश और विनोद के इशारे पर डाकुओं ने घटना को अंजाम दिया गया था। 4 लोगों द्वारा भगवान सिंह को चम्बल के बिहड़ मे एक महिने तक रखा गया। इस दौरान दो बार स्थान भी बदला गया। भगवान सिंह बताते हैं कि 16 दिन में फिरौती की रकम 20 लाख मांगी गयी पर रकम की व्यवस्था 15 लाख ही हो पायी। जब घर वालों ने एस.एस.पी.और एस ओ.को सूचना की तो उन्होंने कहा आप रुपये लेकर चले जाओ हमारे जाने से भगवान सिंह के जान को खतरा हो सकता है। हम तुम पर नजर रखेंगे।
परिजन रात 9 बजे जंगल में रुपये लेकर पहुंच गये। वहां 20-25 हथियारों से लैस डाकुओं ने पूरे जंगल को घेर लिया था। फिरौती की रकम 15 लाख रुपये मिलने के बाद भगवान सिंह को छोड़ दिया गया। लेखापाल के पद से रिटायर्ड भगवान सिंह का कहना है कि 1 माह डकैतों के बीच में रहा जहां उनकी आपस की बातों से पता चला कि मेरे भाई ओमप्रकाश, भतिजा विनोद और जगदीश ने डकैतोंसे मिल कर 5 लाख रूपये में मेरी हत्या की साजिश रची है लेकिन ओमप्रकाश के द्वारा 5 लाख रुपये डकैतों को नहीं भेजे गये इसलिए 15 लाख रुपये फिरौती लेकर छोड़ दिया गया। बाद में पुलिस ने जगदीश को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया लेकिन ओमप्रकाश और विनोद जो मुख्य आरोपी हैं अभी भी फरार हैं। पीड़ित परिवार का कहना है कि जब भी कोई आहट होती है हम लोग डर जाते हैं, हर वक्त डर लगा रहता है। मन के अंदर खौफ बैठा है। जिस दिन ओमप्रकाश और विनोद कानून की गिरफ्त में होगें उसी दिन चैन की जिंदगी नसीब होगी।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts sent to your email.