पीयूष मिश्रा, सिवनी ( मप्र ), NIT;
छपारा से महज 10 किलो मीटर दूर भीमगढ कालोनी जिसमें संजय सरोबर योजना से मिट्टी का बांध बनाया गया है जो एशिया का सबसे बडा बांध है। जिसमें छपारा जनपद पंचायत के कई गांव डूब क्षेत्र के नाप में आये और कई लोगों को दोषपूर्ण निति के चलते डूब के नाप से बाहर रखा गया। डूब क्षेत्र से प्रभावित लोगों को मकान और जमीन के बदले 1980-90 के दशक में नगद मुआवजा राशी व मकान बनाने के लिये 30×50 का पट्टा दिया गया था व किसानों को एक फसल के लिये एक दो एकड का पट्टा प्रतिवर्ष दिया जाता है।
आरोप है कि सिंचाई विभाग के वरिष्ठ अधिकारी केवलारी में रहते हैं। छपारा में कई माह तक दर्शन नहीं देते हैं जिसके कारण यहां जो कमर्चारी हैं उनकी ही सत्ता चलती है। उनसे यहां के पट्टा धारी लोग सांठगांठ कर एक एकड की जगह 4-5 एकड में बैनगंगा नदी तट पर फसल लगाकर लाखों में खेल रहे हैं, वही जिन लोगों को विभाग द्वारा मकान बनाने के लिये पट्टा दिया था उन पट्टों को बेचकर डुब क्षेत्र में धडल्ले से पक्के मकान बना रहे हैं या बन चूके हैं। सिंचाई विभाग द्वारा जून- जुलाई माह में एक बार मकान खाली कराने का सालों से नोटिस देकर रस्म अदा रहा है। आज तक डूब क्षेत्र में अवैध रूप से कब्जा करने वालों पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
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