कासिम खलील, बुलढाणा ( महाराष्ट्र ), NIT;
बुलढाणा शहर से 10-12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित “बोथा” जंगल में बसे हुए वन्यजीव एंव पक्षियों की अधिक संख्या को देखते हुए इस जंगल को शासन ने 1998 में “अभयारण्य” के रूप में घोषित किया था। हर साल बुद्ध पूर्णिमा की रौशन रात में यहां प्राणी गणना की जाती है जिसके लिए वन्यजीव विभाग ने पूरी तैयारी कर ली है.ख़ास बात ये है की इस अभयारण्य में भालू अधिक संख्या में है जिन्हें करीब से देखना का सुन्हेरा मौक़ा वन्यजीव प्रेमियों को उपलब्ध कराया जा रहा है।अजंता की पहाड़ी शृंखला पर बसा ये अभयारण्य बुलढाणा ज़िले की बुलढाणा,मोताला,चिखली एंव खामगांव इन चार तहसीलो के 205 किलोमीटर के भूगर्भ पर विस्तारित है। अभ्यारण्य के काम अच्छे ढंग से हो इस लिए इसे बुलढाणा और खामगांव इन दो रेंज में बांटा गया है। ग्रीष्मकाल में वन्यजीवों को पेयजल की व्यवस्था के लिए वन्यजीव विभाग द्वारा अभयारण्य में कई कुत्रीम जलाशय निर्माण किये गए है तथा इन जलाशयों से कुछ दुरी पर मचाने बनाई गई है.इन मचानों पर बैठकर ही वन्यजीव प्रेमी बुद्ध पूर्णिमा की रात में जलाशय पर पानी पीने के लिए आनेवाले जानवरों की गणना करते है।
ज्ञानगंगा अभयारण्य में मौजूद हिंस्त्र प्राणियों में सब से ज़्यादा संख्या में भालू (स्लॉथ बिअर) पाए जाते है इसी लिए ज्ञानगंगा अभयारण्य भालुओं के लिए मशहूर है.इस साल 10 मई को बुद्ध पूर्णिमा की रात में होने जा रही प्राणी गणना के लिए पुरे अभयारण्य में कुत्रिम जलाशयों के पास 30 मचानों की व्यवस्था की गई है जिनमे से 18 मचाने बुलढाणा रेंज में और 12 मचाने खामगांव रेंज में है। विगत वर्ष तक इस गणना में शामिल होने के लिए इच्छुक वन्यजीव प्रेमी बुलढाणा या खामगांव के वन्यजीव विभाग में अपना नाम दर्ज करवाते थे और इन्ही लोगो को अभयारण्य में जाने दिया जाता था किन्तु आधुनिकता के दौर को देखते हुए इस साल से इस प्रणाली में वन्यजीव विभाग ने बदलाव किया है.अब यदि आपको बुद्ध पूर्णिमा की चमकती रात में वन्यजीवों का दीदार करते हुए निसर्ग का आनंद लेना है तो अब आपको वन्यजीव विभाग की अधिकृत वेबसाइट www.mahaecotourism.gov.in पर जा कर अपना नाम पंजीकरण करना होगा तथा आपको निर्धारित फीस भी अदा करना होगी तभी आप अभयारण्य में प्रवेश कर सकते है.तो फिर अब देर किस बात की, बुद्ध पूर्णिमा की हसीन रात में कुदरत के हसीन पलों को अपनी आँखों और यादों में कैद करने के लिए जल्दी से अपनी मचान बुक कीजिये क्यूंकि ज्ञानगंगा अभयारण्य में भालू आपका इंतज़ार कर रहे है।
- टुरिज़म को दिया जाएगा बढ़ावा
बुलढाणा ज़िले का ज्ञानगंगा अभयारण्य एक अच्छा टुरिज़म पॉइंट है किन्तु इस पर अब तक लक्ष नही दिया गया था.इस अभयारण्य को टुरिज़म के लिए विकसित किये जाने की दृष्टी से काम करने का निर्णय अमरावती वन्यजीव विभाग के सीसीएफ व मेलघाट टाइगर रिसर्व के क्षेत्र संचालक श्रीनिवास रेड्डी ने लिया है। वे विगत सप्ताह ज्ञानगंगा अभयारण्य के एक दिवसीय दौरे पर आए थे इस समय उनके साथ आकोला वन्यजीव विभाग के प्रभारी डीएफओ प्रेमचंद लाकरा,बुलढाणा प्रादेशिक वनविभाग के डीएफओ बी.टी.भगत,अमरावती के वन्यजीव अभ्यासक डॉ.स्वप्निल सोनोने मौजूद थे। अभयारण्य का निरीक्षण करने के बाद उन्होंने अधिकारी व कर्मियो को उचित दिशा निर्देश दिए और अभयारण्य में टुरिज़म के लिए मार्ग बनाए जाने की बात कही।
इस साल से अभयारण्य में प्राणी गणना के लिए आनेवाले वन्यजीव प्रेमियों को ऑनलाइन बुकिंग करवानी है साथ ही अभयारण्य में जाने के लिए 5 सौ रुपए फीस भी देना है.ओस फीस के एवज़ में पर्यटक को केप,खाना,पानी,जानकारी की किताब और गाईड उपलब्ध कराया जाएगा.आनेवाले पर्यटक के पुरे 5 सौ रुपए वसूल हो जाएंगे।
- कोट:-
बुलढाणा ज़िले के ज्ञानगंगा अभयारण्य में इस साल बुद्ध पूर्णिमा की रात में होने जा रही प्राणी गणना के लिए 30 मचानों की व्यवस्था की गई है। अभयारण्य में जाने के लिए वन्यजीव विभाग की अधिकृत वेबसाइट पर ऑनलाइन बुकिंग करनी पड़ेगी: प्रेमचंद लाकरा, प्रभारी डीएफओ, वन्यजीव विभाग, अकोला।
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