अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT;
पीढी दर पीढी से मुस्लिम समुदाय के जीवन का अहम हिस्सा व आप हुजूरे पाक सले.व सलम की अहम सुन्नत महिला व पुरुष के साथ रहकर अगले जीवन को परवान चढाने के लिऐ निकाह करना एक अहम फराइज होता है। लेकिन उस निकाह की लिखत पढत का सर्टिफिकेट निकाहनामा सालों दर सालों से उर्दू भाषा में साधारण सा बना हुआ ही रस्म की तरह चल रहा है। जिसके कारण आज बदले दुनिया के सिस्टम में केवल एक कागज का टुकड़ा बन कर रह गया है। रोजमर्रा की इंसानी दुनिया मे निकाहनामा की आज पोसपोर्ट,नोकरी व नोकरी की प्री टेस्ट देने सहित विदेश मे जाने जैसे अनेक अवसरो पर अक्सर जरुरत पड़ती रहती है। जब उर्दू वाले निकाहनामा में जरा तब्दिली करके उन्हीं शर्तो के साथ कुछ शर्ते ओर शामिल करके उर्दू व अंग्रेजी में एक साथ निकाहनामा हमारे काजी, इमाम व मोलवी द्वारा दिये जाने लगे तो हमें काफी दुश्वारियों से निजात मिल सकती है।
हालांकि मुस्लिम समुदाय में धार्मिक विद्वानों की मंशा व मदद के बगैर रिवायती तौर पर चलने पर हर तरह के कामों में किसी तरह का बदलाव या सुधार करना काफी मुश्किल माना जाता है। लेकिन राजस्थान के डीडवाना के निम्बी गांव के रहने वाले राजस्थान पुलिस सेवा के अधिकारी मुमताज खान ने रिवायती तौर पर चलने वाले उर्दू के निकाहनामा में ही अंग्रेजी भाषा में भी बनाकर उसमें कुछ अतिरिक्त सूचनाएं दर्ज करने के कालम भी डाल कर एक नया आदर्श निकाह नामा बनाकर काजी – मोलवी लोगों को अपनी तरफ से छपवाकर आज के छ साल पहले उपलब्ध करवा कर उनका इस मुहिम में सहयोग मांगा था। जो आज चलकर वो आदर्श निकाहनामा आम नागरीक की पसंद व हर काजी, इमाम या निकाह पढाने वालों की चाहत बना गया है। मुमताज खान ने रिवायती तौर पर चलने वाले उर्दू निकाहनामा में सुधार करते हुये उसी पुराने निकाहनामे में अनेक अतिरिक्त आवश्यक जानकरी को शामिल करते हुये एक आदर्श निकाह नामा छपवाकर उसको जिल्द करके बाकायदा सभी आवश्यक मोहरों के साथ एक किट बनाकर बैग में डाल कर इमाम, काजी व मस्जिद के इमाम तक इस निकाह नामा को पहुंचाया तो लोगों ने बिना हिचक इस नेक काम को सभी ने हाथों हाथ अपनाया। मुमताज खान ने बताया की उन्होंने पुराने निकाहनामा में जहां उम्र का कोलम था वहां जन्मतिथी का कालम डाला। उसके अलावा लड़का-लड़की की शैक्षणिक योग्यता, आधार कार्ड नम्बर व उन दोनों की फोटो का कालम भी अतिरिक्त रखा। गवाह, वकील व काजी इमाम जो निकाह पढाता है उसका पूरा नाम व पता ,दस्तखत भी दर्ज करने की जगह रखी है। उर्दू के साथ इस तरह अंग्रेजी में भी निकाहनामा बनाने से अब आम अवाम की काफी दिक्कतें भी दूर हो गई हैं। मुमताज खान की आगे चलकर अब कोशिश है कि इस तरह का आदर्श निकाह नामा का चलन पूरे राजस्थान में आम हो। हर निकाह नामा का रिकॉर्ड केन्द्र स्तर हो। हार्ड कॉपी को सॉफ्ट कॉपी में तबदील करके सालों तक उसका रिकार्ड कायम होगा तो सालों बाद जरुरत पडने पर हर कोई अपना निकाहनामा जरुरत के हिसाब से हासिल किया जा सकेगा।
भारतीय स्तर पर हर शादी को नियत सरकारी विवाह रजिस्ट्रार के यहां रजिस्ट्रेड कराना सरकारी कानून के तहत अब आवश्यक हो गया है। हम जब जरुरत पडने पर विवाह-पत्र रजिस्टर्ड कराने की कोशिश करते हैं तो अव्वल तो एक पर्चानुमा निकाहनामा जो हमारी शादी के समय हमे मिला था, हमें ठिकाने पर मिलता ही नहीं है। अगर मिल भी गया तो उसका हिन्दी या अंग्रेजी ट्रांसलेट कराना पडता है या फिर गलत शपथ पत्र देने होते हैं। अगर इस तरह का उर्दू के साथ अंग्रेजी का आदर्श निकाहनामा हमारे पास होगा तो विवाह प्रमाण पत्र सरकारी स्तर पर बनाने में काफी सहूलियतें भी होंगी।
कुल मिलाकर यह है कि किसी अच्छे व नेक काम में हमें भी जितनी हो सके उतनी भागीदारी हर हाल में निभानी चाहिये। मुमताज खान का तैयार मसौदा आदर्श निकाह नामा की सभी जगह अपनाने पररगौर करना चाहिये। हां कुछ काजी लोग बाद मे अचानक जरुरत पड़ने पर जयपुर में अंग्रेजी तरजुमा का निकाहनामा मुहं मांगी रकम हदिया के तौर पर लेने के बाद बनाकर देते भी हैं। इस प्रोब्लम से निजात पाने के लिये निकाह पढाने का हदिया एक खास रकम तक तय कर दिया जाए और अंग्रेजी वाला भी निकाहनामा हर जोड़े को देने का तय हो। कम से कम राजस्थान में तो यह तय कर ही देना चाहिये। वहीं मुमताज खान की इस कोशिश को परवान चढाने के लिये उनकी इस कोशिश को पंख लगाना होगा।
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