गणेश मौर्य, ब्यूरो चीफ, अंबेडकरनगर (यूपी), NIT:
जिले के अकबरपुर ब्लाक के नसीरपुर कैथी के प्रधान द्वारा ग्रामीणों को मिलने वाली सभी योजनाओं को कमीशन खोरी के भेंट चढ़ा कर डकार गई इस गांव में ग्रामीणों को विकास के नाम पर केवल धोखा मिल रहा है। लोगों का आरोप है कि ग्रामीणों से ग्राम प्रधान रिश्वत मांगता है। ग्राम प्रधान ने अपने प्रतिनिधि को सरकार की दी हुई योजनाओं का लाभ दे दिया मगर वहां के ग्रामीण अभी तक वंचित हैं। नसीरपुर कैथी प्रधान ओमप्रकाश व प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से गरीब ग्रामीण परेशान हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान के मनमानी के चलते आवास देने की एवज में 20,000 और शौचालय देने के लिए दो हजार की रकम लेते हैं। अगर कोई रुपया देने से आनाकानी करता है तो उसे पात्र होते हुए भी अपात्र कर दिया जाता है। ग्रामीणों का आरोप है ग्राम प्रधान व सचिव ने भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन के तहत मिलने वाली राशि का दुरुपयोग कर सरकारी धन का बंदरबांट किया है।
ज्ञात हो कि गांव में एक सर्वे के दौरान मीडिया के सामने ग्राम सभा नसीरपुर कैथी के ग्रामीणों ने प्रधान को कई बार बुलाया गया मगर वह वहां नहीं आया। ग्रामीणों ने मीडिया के सामने विरोध जताया तथा मीडिया के सामने विकास योजनाओं की पोल खोल कर रख दी। सर्वे के दौरान सड़कों और घरों के बाहर पानी भरा हुआ पाया गया तथा शौचालय मुक्त योजना को भी प्रधान ठेकेदारों व सेक्रेटरी ने मिलकर मानक की धज्जियां उड़ाकर रख दी। यही नहीं गांव में सरकारी योजनाओं के बंदरबांट से ग्रामीणों का भोलेपन का फायदा उठाकर प्रधान ओम प्रकाश अपने संपत्तियों में लीन हो रहे हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि बिजली व्यवस्था भी ठप रहती है जिस कारण बच्चों की शिक्षा पर बहुत भाव प्रभाव पड़ रहा है और कहा की पूरे गांव में एक भी रास्ता नहीं और ना ही खड़ंजा लगाया गया है। बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए व मरीजों को बेहतर इलाज के लिए कच्चे मार्ग से मरणास्त्र अवस्था जैसी हालत हो जाती है। बहुत से मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं और तो और सड़क मार्ग ना होने से हल्की बारिश में तालाब जैसा दृश्य हो जात है। नालिया ना होने से लोगों के घरों में पानी उफान मार रहा होता है। ग्रामीण लोग अपने घरों से बाल्टी से पानी निकाल कर बाहर फेंकते हैं।
बताते चले कि सरकारी योजनाओं को ग्रामीणों तक ना पहुंचाए जाने से प्रधान और आला जिम्मेदार अपने पेट भरते रहते हैं। आवास निर्माण तथा आवासीय पट्टे के नाम पर जमकर अवैध वसूली की जा रही है।