पीयूष मिश्रा, सिवनी ( मप्र ), NIT;
मप्र के सिवनी जिला के जिला अधिकारी (कलेक्टर) ने अपने विचार व्यक्त करते हुए लोगों को कई अहम सुझाव दिए …..
” साथियों,
जैसा हमेशा होते आ रहा है वैसा ही हो रहा है, वर्तमान चर्चा का विषय तेज गर्मी है । क्योंकि हमारी चिंता एवं चर्चा का वि षय मौसमी (Seasonal) है । ग्रीष्म ऋतू में गर्मी की, वर्षा ऋतू में बाढ़ की, चुनाव के दौरान देश की……. बाकि समय तो हमारे मनोरंजन के लिए अनलिमिटेड डाटा प्लान्स, व्हाट्सफप, बॉलीवुड, आय पी एल, मीडिया ,पिज़्ज़ा हट उपलब्धं है । तेज गर्मी का फायदा लोग अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार समाजसेवी, सेवाभावी, संवेदन शील इत्यादि प्रशंसा के पात्र बनने के लिए उठा रहे है । कोई एयर कंडिशनर गर्मी के साथ सरकारी अस्पतालों का कथित दुर्दशा को भी जोडकार मार्केटिंग कर रहा है । कुल मिलाकर पानी की कमी से अपने खेत में बोनी नहीं कर पाने की वजह से भूखे सो रहे किसान, उसी खेती पर निर्भर होकर दो वक्त की रोटी कमाने वाले खेतिहार मजदूर, गाँव से शहरों की ओर पलायन कर काम की तलाश में इसी तेज़ गर्मी में दिनभर भटकनेवाले मजदूर के अलावा सब को यह गर्मी एक मौसमी विषय (Seasonal Topic) या मौका (Opportunity) है…
कुछ दिन पहले एक बुज़ुर्ग मुझसे कहें– “साब पानी की बहुत समस्या है । जितना पानी मिलता है उतना पर्याप्त नहीं है” । मैंने उस बुजुर्ग के कंधे पर हाथ रखकर मजाकिया अंदाज़ में कहां- “दादा आपको इतना पानी तो मिला, आपका समय तो फिर भी निकल जाएगा.. ..में भी पच्चीस तीस साल जीऊँगा. इतना तो धक् जाएगा ..मेरे बेटी और आपके नाती पोते का क्या होगा सोचो ?” दादा ने हंसते हुए कहां- “आप की बात तो ठीक है साब..जो होगा सो होगा अभी तो एक हैण्डपम्प खुदवा दो..”
मुझे उस दादा की बातों में आज का पूरा परिवेष दिखता है । आगे जो होगा सो होगा अभी तो पेड़ काटने दो..तालाब पूरने दो, जंगल जाने दो, ट्यूब वेल खुद ने दो, एयर कंडिशनर चलने दो, कार भी दौडने दो..
आजकल तो बावन डिग्री में भी पैसेवालों को ठंडा रखनेवाला एयर कंडिशनर आया है.. तकनीक गर्मी से भी तेजी से आगे बढ़ रही है..साठ डिग्री में भी चलने वाला एयर कंडिशनर आएगा.. पानी का लेवल कम होने दो, पांच हज़ार फीट से पानी निकालने वाली तकनीक आएगी..हमारे बच्चों को गर्मी से क्या लेना देना है वो तो एयर कंडिशनड गाडियों में जायेंगे सेन्ट्रलईजड एयर कंडिशन स्कूलों में पढेंगे । क्या पता आने वाला ज़माना एयर कंडिशनड टाउनशिप और एयर कंडिशनर शहरों का हो..क्यों नहीं हो सकता साब..मनुष्य ने तो सारा ब्रम्हांड पर काबू पा लिया है….हाँ ऐसा भी हो सकता है- भविष्य में पृथ्वी जैसी और कोई जगह का खोज हो जाए..ये बेकार जगह किसान, मजदूर, गरीबों को छोड़कर नयी पृथ्वी में बस जाय..कुछ भी हो सकता है साब….मनुष्य जो सारा ब्रम्हांड पर काबू पा लिया है…
तो ऐसी क्या जल्दी है….सोने तो दो..
साथियों, बात इतना सरल नहीं है. हमारे बच्चों को गर्मी से बचाने के लिए स्कूल बंद करवाना तात्कालिक निराकरण है । आज पंद्रह दिन बंद होगा, अगली साल एक महिना. जिस गति से जल वायु परिवर्तन हो रहा है मेरा मानना है कि अगली दस साल में गर्मी छः महीने की होगी. तब क्या ? स्कूल बंद…?!!!.
मेरा आग्रह है की हम वास्तव में हमारे बच्चों के लिए सोचते है तो उन में सही धारणाएं बना दे । पेड़, पौधे, जंगल, पानी, पशु, पक्षी इन सब के प्रति उनमे संवेदना जागृत करे… उनकी बेहतरी केलिए हम भी थोडा सुधरे…हम भी समझे और हमारे बच्चों को भी समझाए..जिस दिन यहाँ पानी, जंगल खत्मे हो जायेगा इंसान का अस्तित्व भी खत्मी हो जायेगा. जिस दिन यहाँ हरियाली, फूलो कि ख़ुशबू, तितली के रंग नहीं बचेगे, उस दिन इंसान मशीन बनकर रह जायेगा…ओ समझे कि पानी बोतल से नहीं जमीन से आता है.. गेंहू शापिंग माल में नहीं किसान खून पसीना एक कर खेती से पैदा करता है… “जल है तो कल है” केवल नीले अक्षरों में लिखने वाला दिवार लेखन नहीं बल्कि कडवी सच्चाई है…
साथियों, में बडी-बडी बातों में विश्वास नहीं रखता हूँ । हर बड़ा काम छोटे कदमों से शुरू होता है. इस साल हम सभी एक छोटा कदम उठाएं. हम सब अपने बच्चोंं के लिए इस साल दो पौधे लगाने के साथ-साथ उसे सही तरीके से बचाऍं । बच्चों के साथ वो भी बड़ा हो जाएगा । यह काम अगर हम सामूहिक और व्यवस्थित तरीके से करेंगे तो आनेवाला समय में एक अच्छा उदाहरण बनेगा । इस कदम के लिए में आपके साथ चलूँगा, स्थल का चयन, योजना, तकनीकी मार्गदर्शन के लिए मेरी टीम आपके साथ रहेगी । बस आपको अपना बेटी-बेटा, नाती-पोती के लिए दो दो पौधे लगाना पड़ेगा और उसको पालना पड़ेगा ।
अगर आपको मेरी बातें सही लगती है और यह छोटा कदम उठाने के लिए तैयार है तो आप अपनी सहमति, सुझाव, कार्य योजना, मेरे साथ साझा कर सकते है । यह कोई दबाब में करने वाला कार्य नहीं है । अपने बच्चों के भविष्यि के लिए उठाने वाला एक छोटा लेकिन सही कदम है ।
मुझे विश्वास है.. आप अपने बेटा-बेटी, नाती-पोते के लिए इतना तो करेंगे । आपके सहयोग की अपेक्षा में..”
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