कासिम खलील, बुलढाणा (महाराष्ट्र), NIT; विगत कुछ माह से बुलढाणा जिला भर में राशन माफियाओं ने उधम मचा रखा है लेकिन प्रशासन हाथ पर हाथ रख कर बैठी है। गरीब जनता के अनाज की कालाबाज़ारी बेझिझक की जा रही है और आपूर्ति विभाग खामोश बैठा हुआ है।
आरोप लगाया जा रहा है कि ज़िले में हो रही राशन की कालाबाज़ारी को अंजाम देने में किसी और की नही बल्कि बुलढाणा ज़िले के लिए अनाज की वाहतूक करने वाली “श्रीनाथ ट्रांसपोर्ट कंपनी” की ही मुख्य भूमिका हैसइस मामले में कागज़ी सुबूतों के साथ लिखित रूप से श्रीनाथ ट्रांसपोर्ट के खिलाफ बुलढाणा जिलाधीश के पास मे. कृष्ण कुमार गोकुलचन्द ने शिकायत करते हुए तत्काल अपराध दर्ज किये जाने की मांग की है।
ज्ञापन में कहा गया है कि शेगांव तहसिल शासकिय प्रणाली के राशन की कालाबाज़ारी के केंद्र बना हुआ है। विगत दिसंबर-जनवरी माह में शेगांव में 3 बार राशन की कालाबाज़ारी का अनाज पकड़ा गया था। पहली बार में पकड़े गए राशन के अनाज की कोई जांच-पड़ताल किये बिना ही मामला दबा दिया गया था। दूसरी बार जब राशन का अनाज पकड़ने पर शेगांव तहसिल के एक अधिकारी ने यह कहते हुए मामला रफा-दफा किया कि पकड़ा गया अनाज राशन का नही है। तीसरी बार बुलढाणा जिलाधीश के आदेश पर 25 जनवरी को शाम 7 बजे के दौरान शेगांव स्थित कुणबी समाज मंगल कार्यालय की पश्चिमी दिवार से सटे खरीदी बिक्री संघ के गोदाम पर शेगांव तहसिल कार्यालय के आपूर्ति विभाग ने छापा मारकर 350 कट्टे राशन का अनाज पकड़ा। यह गोदाम निजी था जहां पर सरकारी राशन का गेहूं और चावल अवैध रूप से उतारा गया था। इस मामले में राशन दुकानदार गजानन हरिभाऊ निले के खिलाफ शेगांव शहर थाने में जीवनवश्यक कानून के तहत अपराध दर्ज करते हुए केवल राशन दुकानदार को ही बलि का बकरा बनाया गया था। इसी बात पर जिलाधीश का ध्यान केंद्रित करते हुए मे. कृष्ण कुमार गोकुलचंद ने आगे बताया कि योजना के तहत वाहतूक ठेकेदार की यह ज़िम्मेदारी है कि वह अनाज को सरकारी गोदाम से राशन दूकान तक पहुंचाए किन्तु 25 जनवरी को गोदाम से वाहन में लाद कर निकला अनाज बालापुर नाका स्थित राशन दूकान पर ना ले जाते हुए कालाबाज़ारी के उद्देश से खरीदी बिक्री संघ के गोदाम पर उतारा गया था जो शासकीय नियम के खिलाफ है। शासकीय वाहतूक ठेकेदार ने अपने करार पत्र में शासन को यह लिख कर दिया हुआ है कि वे द्वार पहुंच योजना का राशन निर्धारित मार्ग और निर्धारित राशन दूकान पर ही उतारेगा बावजूद इसके शेगांव की इस घटना में वाहतूक ठेकेफार ने शासकीय नियम को ठेंगा बताते हुए गजानन निले की दूकान का माल एक निजी गोदाम में उतार दिया। इस घटना में सब से पहले दोषी वाहतूक ठेकेदार है और बाद में राशन दुकानदार। यहां पर प्रशासन ने वाहतूक ठेकेदार को बचाने के लिए केवल राशन दुकानदार पर अपराध दर्ज करवाया है। जिससे यह प्रश्न उठ रहा है कि जब वाहतूक ठेकेदार भी दोषी है तो प्रशासन उसे किस हित के तहत बचाने पर तुला हुआ है? विशेष बात तो यह है कि पकड़ा गया 350 कट्टे अनाज शासकीय थैलों में ही था और राशन दुकानदार गजानन निले ने पुलिस को अपने बयान में कहा है कि उसने ये माल निजी गोदाम में इस लिए उतारा था कि उसकी दूकान में पहले माह का अनाज पड़ा होने के कारण जगह नही थी। जब पहले ही महीने का अनाज जनता को बेचा नही गया था तो फिर अगले माह का अनाज किस आधार पर दे दिया गया था? नियमानुसार पहले माह का अनाज बंटना ज़रूरी था। इन सभी बातों से यह स्पष्ट होता है कि वाहतूक ठेकेदार और आपूर्ति विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से राशन के अनाज की कालाबाज़ारी हो रही है। आपूर्ति विभाग हर हाल में वाहतूक ठेकेदार को बचा रहा है तभी तो केवल राशन दुकानदार गजानन निले को आरोपी बनाया गया है। सरकारी राशन के अनाज की इस कालाबाज़ारी में राशन दुकानदार निले और वाहतूक ठेकेदार भी दोषी है। ज़िले में राशन की कालाबाज़ारी को प्रोत्साहित करने वाले वाहतूक ठेकेदार श्रीनाथ ट्रांसपोर्ट कं. सहित इस गंभीर मामले को दबाने का प्रयास करने वालों पर भी अपराध दर्ज करने की मांग ज्ञापन के अंत में करते हुए ये चेतावनी भी दी गई है कि पुरे दस्तावेज़ी सुबूतों के साथ की गई शिकायत के बावजूद भी कोई कार्रवाई नही की गई तो न्यायालय से इंसाफ मांगी जाएगी।
- ठेकेदार को बचाने बनाया गया बोगस रिकॉर्ड
शेगांव तहसिल के आपूर्ति विभाग द्वारा खरीदी बिक्री संघ के गोदाम में 25 जनवरी को जिलाधीश के आदेश पर छापा मारने के बाद 350 कट्टे शासकीय प्रणाली का अनाज पकड़ा गया था। इस मामले में केवल राशन दुकानदार पर ही पुलिस कार्रवाई की गई जबकि इस कालाबाज़ारी के गंभीर मामले में वाहतूक ठेकेदार भी बराबरी का दोषी होते हुए भी शेगांव तहसिलदार ने ठेकेदार को अभय तो दिया ही साथ इस मामले से उसे बचाने के लिए बोगस दस्तावेज़ भी तैयार किए ताकि वाहतूक ठेकेदार पर कोई आंच ना आने पाए,ऐसा आरोप भी ज्ञापन में लगाया गया है। अब देखना ये है कि इतना बड़ा मामला सामने आने के बाद भी जिला आपूर्ति अधिकारी और जिलाधीश कौनसा ठोस कदम उठाते हैं?
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