नरेंद्र इंगले, नासिक/जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
नासिक के पंचवटी इलाके में एक युवा सराफा व्यवसायी विजय बिरारी की संदिग्ध परिस्थिती में हुई मौत की खबर लोकल मीडिया चैनल द्वारा चलाई तो गई लेकिन इस खबर ने बड़े चैनलों के न्यूजरूम तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया।
मिली जानकारी के अनुसार जलगांव जिले के जामनेर के निवासी विजय पंचवटी नासिक में सराफा दुकान का संचालन करते थे, अचानक एक दिन हैदराबाद से पधारी पुलिस जांच टीम स्थानीय पुलिस की मदद से विजय बिरारी को डकैती से जुड़े मामले की किसी जांच के संबंध में कब्जे में लेती है और बिरारी को सरकारी विश्राम गृह ले जाया जाता है जहां विश्राम गृह के चौथे मंजिल से अचानक गिरकर बिरारी की मौत हो जाती है। मीडिया की जुबानी इसे आत्महत्या बताया गया है जबकि मृतक के परिजन लोकल चैनल के सामने पुलिस पर विजय की इरादतन हत्या करने का आरोप लगाते हुए जांच की मांग करते नजर आते हैं। यह सब उस न्यूज चैनल के विडियो रिपोर्ट का हवाला देकर बताया जा रहा है जिसे हजारों लाखों लोग सोशल मिडिया पर देख और सुन रहे हैं।
पूरी कथा जैसे किसी हिंदी फिल्म की तरह सजा दी गई हो। कहानी के मुताबिक़ मृतक विजय बिरारी जो किसी पार्टी का सदस्य बताया जा रहा है उसका नासिक में सराफा दुकान है, कुछ 5 या 6 महीनों पहले हैदराबाद के पेशेवर आपराधिक तत्व विजय के संपर्क में आते हैं जिसके बाद कोई बड़ा व्यवहार शक्ल लेता है। लेनदेन का विषय करोड़ों रुपयों के आसपास रहने की संभावना व्यक्त की जा रही है। इतनी मोटी रकम का लेनदेन मान भी लिया जाए तो यकीनन विजय बिरारी की आर्थिक क्षमता इतनी तो नहीं थी जो वह इतनी बड़ी योजना को अकेला अंजाम दे सके। इस मामले में तीसरे पक्ष के सम्मिलित होने की बात स्पष्ट रूप से नकारी नहीं जा सकती, उधर लूटपाट मामलों के आरोपी हैदराबाद पुलिस के हत्थे चढ़ते हैं और नासिक कनेक्शन का खुलासा करते हैं और आरोपियों के साथ हैदराबाद पुलिस नासिक पहुंचती है और फिर जैसा कि समाचार में बताया गया वैसे बिरारी की संदिग्ध रूप से मौत हो जाती है। कमाल की बात यह है कि मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए नासिक से धूलिया लाया जाता है।
इस मामले मे हमारी न्यूज एजन्सी ने जो जानकारी जुटाई है वह सूत्रों के हवाले से है लेकिन ठीक उस तरह बिल्कुल नहीं जैसे बिरारी कि मौत को लेकर बनायी जा रही किवदंती। पुलिस हिरासत से बिरारी अचानक चौथे माले पर कैसे पहुंचा और उसने अचानक आत्महत्या करने का मन क्यों बना लिया? क्या उसपर किसी का कोई दबाव था या फिर किसी के इशारे पर इस घटना को अंजाम दिया गया? हैदराबाद पुलिस की जांच का पक्ष सही माना गया तो कथित माल को खरीदने वाले तीसरे पक्ष के वह धनवान कौन हो सकते हैं? पोस्टमार्टम के लिए मृतक का शव नासिक से धुलिया ही क्यों लाया गया? क्या पुलिस पर लगाए जा रहे बिरारी की हत्या के आरोपों में कोई गुंजाईश है या फिर प्रशासन की अगली जांच को प्रभावित करने की कोई साजिश है? विजय की संदिग्ध मौत ने ऐसे कई सवालों के उन जवाबों की हत्या कर दी है जिनसे पर्दा उठाना पुलिस के समक्ष इसलिए चुनौती है क्योंकि पुलिस की प्रतिमा पर छीटाकशी की जा रही है। धुलिया सराफ संगठन ने इस मामले की CID के अगुवाई में निष्पक्ष जांच की मांग की है।
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