पंकज शर्मा, ब्यूरो चीफ, धार (मप्र), NIT:

भारत वर्ष में प्रतिवर्ष 28 फरवरी को 1986 से विज्ञान दिवस मनाया जाता है। सर रमण ने अपने प्रयोग से बताया की जब एकल तरंग- दैध्र्य प्रकाश (मोनोक्रोमेटिक) की किरणें जब किसी पारदर्शक माध्यम ठोस, द्रव या गैस से गुजरती है तो तरंग- दैध्र्य बदल जाती है। इन किरणों की सहयता से रसायनों की आणविक संरचना, वस्तूओं की शुद्धता और वस्तूओं की प्रतिशत मात्रा निकालने में आसानी होती है, इसे रमण प्रकीर्णन और रमण प्रभाव के नाम से भी जाना जाता है। इस कार्य के लिए उनको 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। पहली बार भरतीय वैज्ञानिक को विज्ञान के क्षेत्र में यह पुरस्कार दिया गया था।

शासकीय महाविद्यालय मनावर जिला धार में भौतिक विभाग, बॉटनी विभाग, जूलॉजी विभाग, गणित विभाग और रसायन विभाग द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्रों को विज्ञान और उसके महत्व के बारे में बताना था जिससे विज्ञान के प्रति उनकी रुचि बढ़े और उनमें वैज्ञानिक द्रष्टिकोण का विकास हो। कार्यक्रम में बच्चों के लिए सामान्य ज्ञान और निभन्द प्रतियोगिता आयोजित की गई साथ ही साथ सर रमण पर आधारित डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई और साइंस के प्रयोगों पर प्रदर्शनी लगाई गई। महाविद्यालय प्राचार्य आर सी पाण्टेल ने कहा की सुव्यवस्ती तरीके से किसी ज्ञान को प्राप्त करना ही विज्ञान है। कॉलेज के प्रोफ. सतीश सोलंकी ने कहा की रूढ़िवादी परम्परों को जांच कर ही विशवास करे। विज्ञान की भृमकता को न फैलाये इसकी पहले जांच कर लेवे।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ जितेंद्र सोलंकी, सहायक प्राध्यापक, भौतिक शास्त्र ने सर रमण की जीवनी पड़ी और उनके बी ए का छात्र होते हुए उनके साइंस के प्रति रुचि से लेकर उनके वैज्ञानिक सफर के बारे में बताया। कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रगति जैन, सहायक प्राध्यापक गणित ने किया और आभार डॉ नूतन राजपूत, प्रोफेसर बॉटनी ने माना। कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय के समस्त प्रोफेसर उपस्थित रहे।
यह जानकारी डॉ. पुजा शर्मा ने दी।
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