कासिम खलील, बुलढाणा (महाराष्ट्र), NIT;
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत कर्मियों के मासिक वेतन में भ्रष्टाचार किये जाने के आरोप की जांच में तथ्य पाए जाने के मामले की गंभीरता को देखते हुए बुलढाणा जिला परिषद की मुख्य कार्यपालन अधिकारी के आदेश पर वरवंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत 2 कर्मियों को निलंबित करते हुए दोनों के खिलाफ पुलिस में भ्र्ष्टाचार की शिकायत दर्ज कराने का आदेश जारी किया गया है। इस मामले के बाद बुलढाणा ज़िला परिषद के स्वास्थ्य विभाग में खलबली मची हुई है।
मिली जानकारी के अनुसार बुलढाणा तहसिल अंतर्गत ग्राम वरवंड में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 19 कर्मी और 3 डॉक्टर कार्यरत हैं। कार्यरत कर्मियों का मासिक वेतन निकालने की ज़िम्मेदारी कनिष्ठ लिपिक जी.एस.राजुरकर पर थी.लिपिक राजुरकर अपना शैतानी दिमाग चलाते हुए कर्मियों के लिए ज़िला परिषद से आने वाले मासिक वेतन में से कुछ रकम की हेरा-फेरी कर लेता था। वहां कार्यरत मेडिकल ऑफिसर डॉ.गणेश राठोड को कर्मियों के मासिक वेतन में कुछ गड़बड़ नज़रईआई जिसकी शिकायत उन्होंने ज़िला परिषद के ज़िला स्वास्थ्य अधिकारी से कि। प्राथमिक रूप से की गई जांच में पहले 2 लाख रुपए की हेरा-फेरी सामने आने के बाद लिपिक राजूरकर से स्पष्टीकरण मांगा गया किन्तु राजुरकर सामने नहीं आया और बचने की कोशिश करता रहा। भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद ज़िला परिषद की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती दीपा मुधोल के आदेश पर 27 दिसंबर 2016 को कनिष्ठ लिपिक जी.एस.राजुरकर को निलंबित कर दिया गया।
मामले की अधिक जांच के लिए 2 सदस्य समिति बनाई गई जिसमें तालुका स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.पी.एन.बडे व सहायक लेखा अधिकारी रविकुमार झनके का समावेश था। इस समिति ने जब अपनी जांच आरंभ की तो उनकी आँखें फटी की फटी रह गईं क्योंकि भ्रष्टाचार का आंकड़ा 39 लाख तक जा पहुंचा था। कनिष्ठ लिपिक राजुरकर अपने सहयोगी कर्मियों के मासिक वेतन में से तकरीबन 1 हज़ार रूपये अवैध रूप से काट लेता था और ये काटी हुई रकम इसी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत स्वास्थ्य सेवक पी.एस.सालोख के बैंक खाते में जमा करता और फिर सालोख के खाते से ये रकम निकाल ली जाती थी। अपनी इस काली करतूत को अंजाम देने के लिए लिपिक राजुरकर ने स्वास्थ्य सेवक सालोख को भी अपने साथ मिला रखा था। इस भ्रष्टाचार में स्वास्थ्य सेवक पी.एस.सालोख को भी दोषी पाए जाने के बाद उसे भी निलंबित कर दिया गया है। पता चला है कि 39 लाख का यह भ्रष्टाचार आर्थिक वर्ष 2015-16 एक साल में अंजाम दिया गया है। अभी तो सिर्फ प्राथमिक जांच की गई है जबकि राजुरकर वर्ष 2000 से इसी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत है। किसी भी कर्मी को एक स्थान पर केवल अधिकतम 5 साल तक रखा जा सकता है। अब यहां यह सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर राजुरकर को एक ही स्थान पर 17 साल तक कैसे रखा गया और क्यों रखा गया? क्या इस घोटाले में स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी व कर्मी भी शामिल तो नहीं हैं?इसकी भी अब जांच ज़रूरी मानी जा रही है।
पता चला है कि वर्ष 2000 से पहले कनिष्ठ लिपिक जी.एस.राजुरकर मोताला तहसिल अंतर्गत के ग्राम पिंप्रि गवली के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत था, जहां पर उसने इसी प्रकार का भ्रष्टाचार किया था और मामले का भंडाफोड़ होने के बाद उसे निलंबित कर पुलिस स्टेशन में अपराध भी दर्ज कराया गया था। राजुरकर ने पिंप्रि गवली में भी अन्य कर्मियों के मासिक वेतन में चुना लगाया था।
वरवंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में करीब 39 लाख का भ्रष्टाचार बेनकाब होने के बाद ज़िला परिषद सीईओ ने दोषी पाए गए कर्मी राजुरकर व सालोख को निलंबित करते हुए बुलढाणा ग्रामीण थाने में दोनों कर्मियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज कराने का लिखित आदेश वरवंड पीएचसी के मेडिकल ऑफिसर डॉ.गणेश राठोड को जारी करने के बाद डॉ.राठोड बुलढाणा ग्रामीण थाने में पहुंचे किन्तु पुलिस ने 20 दिन से अधिक का समय गुज़र जाने के बावजूद भी अब तक अपराध दर्ज नहीं किया है। पुलिस द्वारा इस देरी का कारण समझ से परे है।
वरवंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत कर्मियों के मासिक वेतन में घोटाला किये जाने की पृष्ठी होने के बाद 2 कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है तथा उन के खिलाफ पुलिस कार्रवाई का आदेश भी जारी किया गया है:
- डॉ.शिवाजी पवार डी.एच.ओ. जि.प.बुलढाणा
हमें वरवंड के स्वास्थ्य केंद्र के भ्रष्टाचार की शिकायत प्राप्त होने के बाद हम ने स्वास्थ्य विभाग से कर्मियों के वेतन का ऑडिट माँगा है जो हमे अब तक मिला नही है.ऑडिट रिपोर्ट आने के बाद गुनाह दर्ज कर लिया जाएगा:
- अशोक कंकाले, थानेदार बुलढाणा ग्रामीण
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