अबरार अहमद खान/मुकीज खान, भोपाल (मप्र), NIT:
भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत नागरिकता संशोधन कानून 2019 एवं देशव्यापी एनआरसी थोपने की कोशिश का भोपाल के इक़बाल मैदान से लगातार विरोध किया जा रहा है। लोगों का कहना है कि यह काला क़ानून संविधान, लोकतंत्र और इंसानियत के मूल्यों के ख़िलाफ़ है, इसका विरोध करना देश के लोगों का न सिर्फ अधिकार है बल्कि नागरिकता व इंसानियत का फर्ज़ भी है। विरोध की इन आवाज़ों का दमन कर के भाजपा सरकार यह साफ सन्देश दे रही है कि उसे न तो संविधान की परवाह है, न लोगों के अधिकारों की, न इंसानियत के मूल्यों की और न ही इस देश की सांस्कृतिक विरासत की।
गौरतलब है कि इस कानून में पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफ़गानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई) शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है। यह भारत के संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों व प्रावधानों के ख़िलाफ़ जाकर धार्मिक आधार पर लोगों में भेदभाव करता है। यह कानून अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी कानूनों का भी उल्लंघन करता है जिनके अनुसार प्रताड़ना के शिकार लोगों को बिना किसी भेदभाव के शरण देना हर राज्य की ज़िम्मेदारी है। यह कानून भारत के सांस्कृतिक मूल्यों के भी ख़िलाफ़ है क्योंकि हमारे देश में प्राचीन काल से ही दुनिया भर से तमाम धर्मों व मतों के लोग आकर बसते रहे हैं और देश का हिस्सा बन गए हैं। यह कानून असल में भाजपा/आरएसएस का मुस्लिम-विरोधी कट्टरता को कानूनी रूप से स्थापित करने वाला कदम है।
यहां हर तरफ से एक ही आवाज उभर रही है,इस काले कानून को देश बर्दाश्त नहीं करेगा, केन्द्र सरकार को फैसला वापस लेना होगा। इकबाल मैदान पर जारी सत्याग्रह के लिए न तो कोई अगुवा सामने आ रहा है और न ही किसी बैनर के तले इस आयोजन को आगे बढ़ाया जा रहा है।बल्कि सोशल मीडिया पर चल रहे मैसेजेस और फेसबुक लाइव के देखते हुऐ लोग इस कारवां में शामिल हो कर अपने नारों को बुलंद करते हुऐ कहे रहे हैं कि देश के संविधान से छेड़छाड़ को न तो देश बर्दाश्त करेगा और न ही ऐसे कुत्सित प्रयास करने वालों को कभी माफ करेगा। वहीं महिलाओं ने भी घरों से निकल कर इकबाल मैदान पर मोर्चा संभाली हुई हैं । उनका कहना कि घरों में रहकर परिवार के पोषण में बड़ी जिम्मेदारी निभाने वाली महिलाओं का यह भी कर्तव्य है कि देश पर आई किसी विपत्ति के लिए भी वह मर्दों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हों। देश की आजादी का इतिहास गवाह है,कि महिलाओं ने दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए कमर कसी थी और देश को आजाद कराने में महति भूमिका निभाई थी। महिलाओं ने कहा कि देश फिर अंदरुनी दुश्मनों से घिरा हुआ है, इसके संविधान पर संकट के बादल छाए हुए हैं, यहां के एकता-भाईचारे को दांव पर लगाया जा रहा है, इस मुल्क में रहने और जीने की आजादी को छीने जाने की कोशिश की जा रही है। महिलाओं ने ललकार लगाई कि देश के भोले लोगों को नाहक परेशान न किया जाए, जब इनका उग्र रूप सामने आएगा तो बड़े से बड़े तानाशाह को जमींदोज करने के नजारे सामने आएंगे।
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