अबरार अहमद खान/मुकीज खान, भोपाल (मप्र), NIT:
सीएए एवं एनआरसी के खिलाफ भोपाल लगातार सरकार पर सवालों के गोले दाग रहा है। गांधी जी को अपना आश्रय मानकर भोपाल के ऐतिहासिक इकबाल मैदान में यह सत्याग्रह 1 जनवरी से शुरू हुआ और तब से लेकर अबतक अनवरत जारी है। भोपाल की महिलाएँ, बच्चे, और युवा रात दिन सत्याग्रह के मंच पर डटे हुए हैं और सत्ता से कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि हम नहीं डरेंगे, लड़ते रहेंगे, यह देश हमारा है, हम यहीं रहेंगे।
इस बीच सत्याग्रह के साथी अनेकों माध्यमों से अपने सवालों का जवाब सरकार से मांग रहे हैं। इसी क्रम में आज एक क्रांतिकारी कविता पाठ का आयोजन किया गया। कविताओं के माध्यम से शहर के तमाम युवा और वरिष्ठ कवियों ने न केवल लोगों को जागरुक किया बल्कि कविताओं के माध्यम से सरकार के प्रति अपना विरोध भी दर्ज कराया।
प्रोफ. अरुण त्रिपाठी ने हिंदी के महत्वपूर्ण आलोचक प्रोफ़. खगेन्द्र ठाकुर को श्रद्धांजलि देते हुए हिंदी में उनके योगदान को याद किया। इस मौके पर प्रोफेसर त्रिपाठी ने कहा कि इस आंदोलन ने संविधान और व्यक्ति की स्वतंत्रता व गरिमा को सार्वजनिक विमर्श के केंद्र में ला दिया है। आज संविधान में दिए मौलिक अधिकार मूर्त रूप में सामने आने को छटपटा रहे हैं और यह नए आंदोलन जरूर ऐसा मौका पैदा करेंगे जब नागरिकों के अधिकार वाकई साकार होंगे।
कविता पाठ में सचिन की कविता देशद्रोही, सैली की कविता सुनो तानाशाह, लोकेश की कविता ईश्वर ने लोगों को आंदोलित किया।
कविता पाठ का संचालन कर रहे थे सत्यम और सत्यम ने ही कविता पाठ की शुरुआत की। इस दौरान जिन कवियों ने कविता पाठ की उनमें, तस्वीर, लोकेश, सचिन, शैलेन्द्र सैली, बालेंन्द्र परसाई और सैली आदि शामिल थे।
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