संदीप शुक्ला, भोपाल (मप्र), NIT:
मध्यप्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अभय दुबे ने बताया कि केंद्र की भाजपा सरकार ने पहले तो भारतवर्ष को भीषणतम आर्थिक बदहाली की कगार पर ला खड़ा किया है और अब जब देश का युवा अपने रोजगार का सवाल पूछ रहा है, देश के बड़े उद्योगपति राहुल बजाज मुखरता से देश के गृह मंत्री के सम्मुख उद्योग जगत की बदहाली और भय के वातावरण पर सवाल पूछ रहे हैं, तब केंद्र सरकार इन सवालों से मुँह चुराने के लिए सीएए को आधार बनाकर धु्रवीकरण की राजनीति कर रही है।
श्री दुबे ने कहा कि आज जब देश के गृह मंत्री सीएए को लेकर जबलपुर में रैली को संबोधित करने आये हैं तब कांग्रेस पार्टी कुछ प्रासांगिक तथ्य रखना चाहती है।
ज्वाइंट पाॅर्लियामेंट्री कमेटी की रिपोर्ट
दिनांक 07 जनवरी, 2019 को ज्वाइंट पाॅर्लियामेंट्री कमेटी ने सिटीजनशिप (अमेडमेंट) बिल 2016 के संदर्भ में लोकसभा में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें यह तथ्य सामने आये थे कि –
जब जेपीसी ने अहमदाबाद और राजकोट का दौरा किया, तब वहां उन्होंने पाया कि सैकड़ों हिन्दू परिवार पाकिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ना के चलते राजकोट आये हैं। जो राज्य सरकार द्वारा सुविधा नहीं दिये जाने के अभाव में अपना जीवन वहां व्यतीत कर रहे हैं, उन्हें राज्य सरकार द्वारा सुविधा दी जानी चाहिए। उन्हें वर्षों से रोजगार तक ढंग से उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
उन्होंने यह भी पाया कि जरूरत से ज्यादा देरी, इन नागरिकों को नागरिकता दी जाने में की गई है, जबकि वे सारी औपचारिकताएं पूरी कर चुके हैं। उन्होंने यह कहा कि कलेक्टर कार्यालय और गुजरात गृह मंत्रालय के बीच बेहतर तालमेल की आवश्यकता है।
तब अमित शाह साहब को यह स्पष्ट करना चाहिए कि गुजरात के गृह मंत्री से लेकर देश के गृह मंत्री रहते तक धार्मिक आधार पर प्रताड़ित हिन्दू परिवारों की पीड़ाओं को उन्होंने क्यों नहीं समझा?
राॅ और आईबी ने उठाये थे कानून पर सवाल
ज्वाइंट पाॅर्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) के सम्मुख देश की खुफिया एजेंसी राॅ के ज्वाइंट सेक्रेटी ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इस कानून को लेकर हमारी सबसे बड़ी चिंता यह है कि इस कानून का दुरूपयोग करके पाकिस्तान जैसे देश उनके नागरिकों को हमारे देश की नागरिकता दिला सकते हैं अर्थात उनका इशारा पाकिस्तान परस्त आतंकियों से था। देश के गृह मंत्री को बताना चाहिए कि राॅ के इस तथ्यात्मक एतराज का उनके पास क्या जवाब है?
सीएए के कानून में धार्मिक प्रताड़ना का जिक्र ही नहीं
इस कमेटी को इंटेलीजेंस ब्यूरो ने बताया कि दिसम्बर, 2014 के पहले पड़ोसी देशों से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित 31313 लोगों ने ही नागरिकता के लिये आवेदन दिया है। जिसमें 25447 हिन्दू, 5807 सिक्ख, 55 क्रिश्चियन, 02 बुद्धिस्ट और 02 पारसी हैं, जिन्हें धार्मिक आधार पर प्रताड़ित किये जाने के आधार पर लाॅगटर्म वीजा दिया गया है। आईबी ने यह भी बताया कि इन्हीं लोगों को धार्मिक आधार पर प्रताड़ित मानकर नागरिकता दी जा सकती है। अन्यथा कठिनाई होगी।
इस कानून में कहीं भी धार्मिक आधार पर प्रताड़ित लोगों को नागरिकता दिये जाने का जिक्र नहीं है।
देश के गृह मंत्री जी, बताईए कि जब आपने धार्मिक आधार पर प्रताड़ना का आधार सीएए के कानून में रखा ही नहीं है तो देश के हिन्दुओं की भावनाओं से क्यों खेल रहे हैं?
भाजपा के मुख्यमंत्री ने किया सीएए का विरोध
क्या कारण है कि भाजपा के असम के मुख्यमंत्री खुद मुखरता से इस कानून का विरोध कर रहे हैं।
देश के गृह मंत्री जी, क्या आप अपने मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई कार्यवाही करेंगे?
असम में एनआरसी में 19 लाख लोगों को नागरिकता के दायरे से बाहर रखा गया है जिसमें से 12 लाख हिंदू हैं। एनआरसी के दौरान अकेले असम में 25 हिन्दुओं ने आत्महत्या की है।
गृह मंत्री जी, आप पूरे देश में एनआरसी लागू करने के भाषण देते हैं, क्या देश का हश्र असम के एनआरसी जैसा होगा?
कांग्रेस पार्टी कभी नागरिकता दिये जाने के खिलाफ नहीं रही
हम यह साफ कर देना चाहते हैं कि कांग्रेस पार्टी इस कानून के दायरे में लिये गये इन 6 धर्मों के लोगों को नागरिकता दिये जाने के खिलाफ नहीं है। मगर हमारी चिंता है कि इस कानून को आधार बनाकर अपने छोटे राजनैतिक उद्देश्य के लिए कुछ लोगों को बाहर क्यों रखा जा रहा है।
इस कानून में 31 दिसम्बर, 2014 कटआॅफ डेट रखी गई है अर्थात जो लोग 31 दिसम्बर, 2014 के पहले भारत में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आये हुए हैं, जो कि छह धर्मों से हैं, हिंदू, सिक्ख, जैन, बौद्ध, पारसी और क्रिश्चियन। उन्हें नागरिकता दी जायेगी।
पूरे साउथ एशिया में सर्वाधिक प्रताड़ित अल्पसंख्यक श्रीलंका से आये हिन्दू तमिल हैं। उन्हें इस कानून के दायरे से बाहर क्यों कर दिया गया। भूटान से आये क्रिश्चियन को क्यों बाहर रख दिया गया।
भारत का संविधान धर्म, भाषा, जातपात के नाम पर भेदभाव की अनुमति नहीं देता।
केंद्रीय गृह मंत्री ने किया एनआरसी को अमल में लाने का दावा
प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि एनआरसी से उनकी सरकार का कोई सरोकार नहीं, जबकि गृह मंत्री जी कहते हैं कि एनआरसी लागू किया जाएगा।
साथ ही भाजपा ने यह भ्रम फैलाया कि कांग्रेस पार्टी एनआरसी की पक्षधर रही है। जबकि सच्चाई यह है कि केंद्र की भाजपा सरकार ने वर्ष 2003 में सिटीजनशिप एक्ट का अमेंडमेंट किया था, जिसमें क्लाज-14 (ए) जोड़ा गया था और उस समय एनपीआर के पहले एक पायलेट प्रोजेक्ट एनडीए सरकार ने शुरू किया था और उसमें नागरिकों को आडेंटिटी कार्ड बनाना निर्धारित किया था, जिसमें 12 राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश को चुना गया था, जहां 31 लाख लोगों के कार्ड बनाये जाने थे। जब केंद्र में कांग्रेस सरकार आयी तब सीनियर सेक्रेटीज की एक कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि यह प्रक्रिया प्रेक्टिकल नहीं है, इसलिए इसे बंद किया जाना चाहिए, फिर एम्पावर ग्रुप आॅफ मिनिस्टर्स ने इसे बंद कर दिया। आप जानकर आश्चर्यचकित रह जायेंगे कि इसमें 31 लाख लोगों में से सिर्फ 12 लाख लोग ही पात्रता के दायरे में आये थे।
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