अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT;
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सिनियर लीडर आस्कर फर्नाडिज के केन्द्रीय स्तर पर नजदीक माने जाने वाली मूलत: केरल निवासी रेहाना रियाज को प्रदेश में पुर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भी काफी करीबी होने का फायदा वैसे तो हमेशा से सत्ता व संगठन में छोटे छोटे स्तर पर पद पाकर हमेशा फायदा पहुंचता रहा है, लेकिन पहली दफा रेहाना ने नहले पर दहला मार बाकी नेताओं को पीछे छोड़ते हुये महिला कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष पद को हथियाने में कामयाब रही हैं। वहीं रेहाना रियाज के मूलत: ईसाई धर्म मे पेदा होने के बाद मुस्लिम से शादी करके इस्लाम धर्म अपनाने के कारण उन्हें चूरु में डबल माइनोरिटी के नाम से पुकारे जाने से इन्हें हर तरफ से सहानुभुति सदा मिलती रही है। वहीं रेहाना सियासत में आने के बाद से हमेशा चुरु विधानसभा से टिकट मांगते रहने के बावजूद इन्हें अब तक टिकट तो नहीं मिल पाया है पर कांग्रेस के रिवाजानुसार अग्रिम संगठनों के मुखियाओं को कांग्रेस पार्लियामेंट्री बोर्ड हमेशा से विधानसभा की टिकट देता आया है। तो अब रेहाना के अध्यक्ष बनने के बाद टिकट मिलना तय माना जाने लगा है। यानि कि 2018 के आम चुनाव में रेहाना रियाज शेखावाटी जनपद से किसी न किसी सीट से उम्मीदवार केरतौर पर मुस्लिम चेहरा जरुर बनेंगी।
पुर्व राज्यपाल उसमान मोहम्मद परीवार की बहु तेज तर्रार व अच्छा भाषण देने की कला की माहिर खिलाड़ी रेहाना रियाज के तीन दिन पहले महिला कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष पद पर मनोनीत होने के बाद अल्पसंख्यक समुदाय के अनेक उन कांग्रेस नेताओ के चेहरो पर अजीब शिकन सी देखी जा रही है जो चूरु-मंडावा व फतेहपुर से अपनी अपनी टिकट पक्की मान कर या सम्भावना तलाश कर चल रहे थे। रेहाना रियाज के ही क्षेत्र चूरु से पुर्व मे विधायक रहे मकबूल मण्डेलीया व हमीदा बेगम अब भी टिकट की दौड़ में बताते हैं, वही पुर्व में यहां से चुनाव लड़ चुके पुर्व सासंद अश्क अली टांक व कांग्रेस कमेटी के प्रदेश उपाध्यक्ष डा. खानू खान व महामंत्री शब्बीर खान, अल्पसंख्यक आयोग के पुर्व अध्यक्ष डा.निजाम मोहम्मद सहित अनेक रिटायर्ड व मौजूदा आला अलपसंख्यक अधिकारियों की नजरें भी चूरु सीट से टिकट पाने की जुगाड़ में लगी हुई हैं।
शेखावाटी जनपद की 21 सीट में से वैसे तो कांग्रेस 1985 के बाद से फतेहपुर शेखावाटी व चूरु से दो ही मुस्लिम उम्मीदवार अब तक बनाती आ रही है लेकिन अब अल्पसंख्यक समुदाय कांग्रेस से चुरु, फतेहपुर, मंडावा व सीकर से चार टिकट पाने का खाका खींच चुका बताते हैं। वहीं कांग्रेस के साथ साथ इन्हीं चारों सीट से कांग्रेस का अल्पसंख्यक चेहरा ना बनने पर यहीं से भाजपा की टिकट पाने की कोशिश में भी अल्पसंख्यक पेश पेश रहने वाले हैं। 2014 में मंडावा से भाजपा ने माइनोरिटी को उम्मीदवार बनाया भी था। आज के तीन दिन पहले तक रेहाना रियाज को मामुली कार्यकर्ता मानते हुये माइनोरिटी सियासी हलकों में उनकी चर्चा तक नहीं होती थी, जो आज प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद एकदम ऊपरी पायदन पर आकर खड़ी हो जाने से चारों तरफ उनकी ही चर्चा गरम है।
हालांकि शेखावाटी जनपद को माइनोरिटी समुदाय की कायमखानी बिरादरी के क्षेत्र के तौर पर जाना जाता रहा है लेकिन चुरु से कांग्रेस से गैर कायमखानी अश्क अली, हुसेन सैय्यद व मकबूल मण्डेलिया टिकट पाने में आज तक सफल रहे हैं, पर मण्डेलिया ही एक दफा विधायक बन पाये जबकि फतेहपुर से गैर कायमखानी फारुक कुरेशी व अश्क अली टिकट पाने में सफल रहे हैं, लेकिन 1985 में अश्क अली ही एक दफा विधायक यहां से बन पाने में सफल रहे हैं।प्रखर व्क्ता व संघर्ष का मादा रखने वाली बीकानेर की मजबूत चुनगर मुस्लिम बिरादरी की बहु रेहाना रियाज के महिला कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष बनने से कांग्रेस पार्टी को प्रदेश मे मजबूती मिलना तय है। वही राजस्थान के ईसाई समुदाय को भी खुशी होगी कि उनके बेटे मुमताज मसीह के बाद उनकी बेटी रेहाना रियाज ने कांग्रेस दल में एक ऊंचा मुकाम पाया है। हालांकि मुमताज मसीह को तो कभी टिकट नहीं मिल पाया लेकिन अगर चुनावों तक रेहाना इस पद पर बनी रहती हैं हो तो उसको विधान सभा चुनाव का टिकट मिलना लगभग तय है। इनको टिकट मिलने से डबल माइनोरिटी होने का बडा लाभ भी हर हाल में रेहाना को मिलने का आंकलन लगाया जा रहा है।
पिछले बीस सालों से कांग्रेस संगठन व सत्ता में विभिन्न पदों पर रहकर लगनता के साथ सफलापुर्वक काम करने वाली रेहाना रियाज के महिला कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष बनने पर चारों तरफ खूशी का माहौल देखा जा रहा है। वहीं खासतौर पर अल्पसंख्मक समुदाय में हाईकमान के इस फैसले का स्वागत किया जा रहा है। रेहाना के अध्यक्ष बनने के बाद कम से कम शेखावाटी जनपद में माइनॉरिटी सियासत में एक बडा चेंज आने का आंकलन सिसासी जानकार मान कर चल रहे हैं।
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