वी.के.त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ, लखीमपुर-खीरी (यूपी), NIT:
शहरों, गांवों एवं नगर पंचायतों में गोवंश को चारा मुहैया कराने के लिए लागू की गई मुख्यमंत्री की योजना ग्राम प्रधानों एवं पंचायत सचिवों व भ्रष्ट अधिकारियों की कमाई का एक और जरिया बन कर रह गई है। बाणों में बन्द गौवंश भूख से बेहाल हैं, उन्हें मुट्ठी भर चारा तक नसीब नहीं हो रहा है। कई अस्थाई गौवंश स्थलों से गौवंश ही गायब हैं जो किसानों की फसलों को चट कर रहे हैं और काफी गौवंश असमय काल के गाल में समा चुके हैं। जिसका ज्वलंत उदाहरण गत दिवस वाई डी काॅलेज मैदान में 1 दिन में 7 गायों की मौत और उसके अगले दिन 1 गोवंश (सांड) की मौत गोवंश के प्रति जिम्मेदारों के संवेदनहीनता की मिसाल पेश करने को काफी है। जबकि गोवंश को चारा मद में शासन ने लाखों रुपए की धनराशि अवमुक्त की पर लाखों रुपए की धनराशि से ग्राम प्रधान एवं पंचायत सचिव मालामाल हो रहे हैं। मीडिया टीम द्वारा भ्रमण कर गांव आश्रय सदनों की हकीकत जानने का प्रयास किया तो अजब नजारा दिखाई पड़ा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आवारा गोवंश से बर्बाद हो रही किसानों की फसलों को बचाने एवं गायों की हो रही मौतों एव हत्या के मामले में मिल रही खबरों को गंभीरता से लिया था। जिसके बाद शहरी, नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में गौसदनों की व्यवस्था के आदेश दिए थे। उसी समय में इनमें रखे जाने वाले गोवंश को चारे दाने के लिए जिला प्रशासन को एक मुश्त रकम आवंटित की गई थी। अन्ना गौवंश के चारा, दाना, पानी के वास्ते आई रकम को हड़पने के लिए ग्राम प्रधानों ने इसमें पहली खेप मिलते ही योजना तैयार कर ली।जिसके तहत देहात में ग्राम प्रधानों ने अस्थाई गौ सदन तो बनवाये लेकिन उनमें बंद गौवंश की संख्या के आंकड़ों में बाजीगरी का खेल कर कागजों में फर्जीवाड़ा करके उनके दाना पानी के लिए आई रकम को बंदरबाट किया जाने लगा। जनपद खीरी के समस्त 15 विकास खण्डों में स्थापित अस्थाई गौ-सदनों मे गायों, बछड़ों और सांडों को मुट्ठी भर चारा न मिलने के कारण यह भूख से तड़पते देखे जा सकते हैं। पता चला है कि इस मद में आई रकम को गांव के प्रधान व सचिव गठजोड़ करके डकार रहे हैं। इसमें ग्राम प्रधान का झंडा ऊंचा करने वाले दबंग भी हिस्सेदारी पा रहे हैं।
ग्रामीणों ने नाम न छापने की शर्त पर बातचीत के दौरान दबी जुबान से बताया कि योगी सरकार की यह योजना ग्राम प्रधानों व पंचायत सचिवो के साथ प्रधान जी के चमचों के विकास का अचूक नुस्खा साबित हो रही है। एक तरफ जहां शासन- प्रशासन भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश बनाने के बड़े-बड़े दावे कर रहा है वहीं दूसरी ओर सरकार में बैठे सफेदपोश माननीयों के बेहद करीबी ग्राम प्रधान व सचिव सरकार की मंशा पर पानी फेर कर दोनों हाथ सरकारी धन की लूट करके सरकारी दावों की पोल खोलने में लगे हैं। सत्ता संरक्षण के चलते जिला प्रशासन भी अपने आंख कान बंद किए बैठा सब कुछ मौन साधे देख रहा है जिसके परिणाम स्वरुप गौ-सदनों में अन्ना गौवंश के चारे को डकारा जा रहा है। गौवंश के चारे को डकारने के मामलों की मिल रही शिकायत दर शिकायतों का निपटारा भी नहीं हो पा रहा है। इससे निरीह गोवंश भूख व ठंड से मरने की कगार पर पहुंच रहे हैं। जानकर क्षेत्र वासियों व प्रवृद्ध जनों की मानें तो इस मामले की जांच कराई जाए तो जिले के सबसे बड़े घोटाले का पर्दाफाश होगा। कई ग्राम प्रधानों व पंचायत सचिवों समेत अन्य जिम्मेदारों पर भी जांच की आंच आ सकती है।
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