नरेंद्र इंगले, जलगांव/मुंबई (महाराष्ट्र), NIT:
विधानसभा नतीजो के बाद महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर सत्ता का पेंच अब और अधिक उलझ गया है। शिवसेना के आक्रामक तेवर के कारण बहुमत के अभाव से सत्ता से अंतर बनाए बैठी भाजपा को किसानों पर आए प्राकृतिक विभिषिका निवारण के बजाय राज्य में संवैधानिक संकट की चिंता सताने लगी है। इसी बीच एनसीपी सुप्रिमो शरद पवार किसानों के बीच पहुंचकर उनका हाल पुछने वाले पहले नेता बने हैं। कृषि क्षेत्र की सटीक जानकारी तथा संवेदनशीलता के कारण शरद पवार को किसानों का जाणता राजा कहा जाता है। भारी बारिश से तबाह अंगुर बागानों की समीक्षा करने नासिक के इगतपुरी पहुंचे 80 साल के पवार ने किसानों को सरकार से हरसंभव मदद की बात कही है। उनके दौरे के बाद एसी में रहने वाले किसानी की जानकारी नहीं रखने वाले वह तमाम नेता जो कल तक सत्ता के जुगाड़ बिठाने में लगे थे वह खेतों की पगडंडियों पर खड़े होकर किसानों से मुखातिब हो रहे हैं। मीडिया में इन नेताओं की दरीयादिली का कवरेज खूब दिखाया जा रहा है। किसान आंदोलनों से उभरे और संकटमोचक जैसे तमगों से नवाजे गए कुछ नेता अब भी किसानों से दूरी बनाए हुए हैं। शायद ऐसे लोग नंबरगेम में लगे हो सकते हैं। बहरहाल किसानों के प्रति ए.सी. फ़ेम नेताओं की उमड़ी इस आस्था का यह नायाब करिश्मा कर दिखाने की क्षमता केवल शरद पवार में ही है। मूसलाधार बारिश के चलते महाराष्ट्र में खरीफ़ की सारी फ़सलें बर्बाद हो चुकी हैं। बारिश से सभी नदियां उफ़ान पर हैं। जलगांव के वाघुर डैम के सभी 20 गेट्स खोल दिए गए हैं। राज्य का सबसे बड़ा डैम जायकवाडी के दरवाजे खोले जा चुके हैं। फ़डनवीस सरकार की लापरवाही से थोपी गयी बाढ़ से कोल्हापुर, सांगली जिलो में अगस्त में ही 1 लाख एकड़ पर खडी गन्ने की खेती कब की चौपट हो चुकी है। इस त्रासदी के पंचनामे भी पूरे नहीं हो सके हैं। मानसून वापसी की मूसलाधार बारिश से बर्बाद फ़सलों का औचक निरीक्षण करने के लिए केंद्रीय टीम राज्य में पधारने वाली है जिसका महुरत तय नहीं हो सका है। प्रभारी मुख्यमंत्री फ़डणवीस ने मंत्री परीषद की उपसमिति बैठक में बारिश से पीड़ित किसानों को 10 हजार करोड़ के पैकेज की घोषणा की है। यह पैसा सीधे किसानों के बैंक खातों में जमा होगा। अब इसके लिए कर्जमाफी की तरह ही कागजी खानापूर्ति के कौनसे नियम लगाए गए हैं इसका खुलासा सरकार ने नहीं किया है। पैकेज की सफ़लता का आंकलन आने वाले समय में होगा। कृषि संकट के बीच राजनिति की बात करें तो मोदी लहर पर 2014 में बनी राज्य की पूर्ववर्ती देवेंद्र फडणवीस सरकार की कर्जमाफी के कटू अनुभवों से अभिभूत जनता में ऐसा स्पष्ट सुर सुनाई पड़ रहा है कि राज्य में बनने वाली अगली सरकार गैर भाजपाई मुख्यमंत्री की बने। 9 नवंबर तक राज्य में नई सरकार का गठन किया जाना अनिवार्य है, इसी बीच राजनीतिक हलकों में चल रही उथलपुथल से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस एनसीपी के संभावित समर्थन से अगर राज्य में गैर भाजपाई सरकार बनती है तो उस सरकार में शिवसेना को अपना मुख्यमंत्री बनाने के सुनहरे मौके के साथ भविष्य में स्वतंत्र रुप से अपने संगठन की ताकत बढ़ाने का अवसर मिलेगा।
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