संदीप शुक्ला, ब्यूरो चीफ, ग्वालियर (मप्र), NIT:
ग्वालियर जिले के अंतर्गत घाटीगांव में संचालित शासकीय अनुसूचित जाति, जनजाति बालिका छात्रावास में रहने वाली बालिकाओं के परीक्षा में कम प्रतिशत आने पर छात्रावास प्रबंधन ने नियमों का हवाला देकर बालिकाओं को प्रवेश से बेदखल कर दिया।जिसमें से 16 बालिकाएं बेहद गरीब परिवार से थीं वे किसी भी स्थिति में इस सुविधा से वंचित होकर आगे की पढ़ाई की व्यवस्था कर पाने में असमर्थ थीं। इस हेतु बालिकाओं का परिवार भी अधिकारियों के समक्ष प्रवेश के लिए गुहार लगाता रहा। यह उनके भविष्य से जुड़ा मामला था। धीरे – धीरे यह बात बाल अधिकारों पर कार्य करने वाली गोपाल किरन समाज सेवी संस्था के अध्यक्ष श्रीप्रकाश सिंह निमराजे के पास पहुंची। संस्था के लगातार प्रयास के संस्था की टीम ने विजिट किया। टीम में जहाँआरा, श्रीप्रकाश सिंह निमराजे, युवराज खरे, राजेन्द्र सिंह थे। सर्वप्रथम टीम ने बालिकाओं से मुलाकात कर उनकी समस्या परीक्षा में कम नम्बर आने का कारण जाना। बालिकाओं ने बताया शिक्षक स्कूल में पढ़ाते नहीं थे और शिक्षक अपने कामों में लगे रहते थे। जब शिक्षकों से कोई भी प्रश्न पूछते हैं तो वो बताने से इन्कार करते हुए कहते हैं तुम्हें एक बार में समझ में नहीं आता। अब इसमें हमारी क्या गलती है जैसा हमें समझ में आता है वैसे हम परीक्षा में लिखे। हम सब दूर दूर गांवों से हैं यदि हमें छात्रावास में प्रवेश नहीं मिला तो हमारा भविष्य खराब हो जायेगा। बालिकाओं की इस बात का वीडियो क्लिप जहाँआरा जी (सामुदायिक संवाददाता, वीडियो वॉलिटियर् गोआ,) ने श्रीप्रकाश सिंह निमराजे की मदद से तैयार किया ताकि वे पैरवी में इसका उपयोग कर सकें। श्रीप्रकाश सिंह निमराजे ने भोपाल में आयोजित चाइल्ड राइट ऑब्ज़र्वेटरी की कार्यशाला में शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष इन मुद्दे को उठाया। उनकी इस समस्या को लेकर जहाँआरा, सामुदायिक संवाददाता, वीडियो वॉलिटियर् गोआ, श्रीप्रकाश सिंह निमराजे कलेक्टर से मिले और बालिकाओं के भविष्य को बचाने के लिए छात्रावास में नियमों में शिथिलता बरतते हुए प्रवेश देने का निवेदन किया। कलेक्टर ने सहायक आयुक्त से कहकर बालिकाओं को प्रवेश दिलाया। इस प्रकार संस्था ने बालिकाओं को प्रवेश दिलाकर ड्रॉप आउट होने और भविष्य खराब होने से बचाया।
गोपाल किरन समाज सेवी संस्था के सज़ग प्रयास से बालिकाओं के भविष्य को अंधकार मय होने से बचा। बालिकाओं के पालकों ने उनके इस प्रयास के लिये उनको धन्यवाद दिया।
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