धोलपुर उप चुनाव कांग्रेस-भाजपा के बजाय सचिन पायलेट व वसुन्धरा राजे की प्रतीष्ठा का बना सवाल | New India Times

अशफाक कायमखानी, जयपुर, NIT; ​धोलपुर उप चुनाव कांग्रेस-भाजपा के बजाय सचिन पायलेट व वसुन्धरा राजे की प्रतीष्ठा का बना सवाल | New India Timesराजस्थान व यूपी की सीमा को लगे व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के ससूराल धोलपुर के विधायक बी.एल कुशवाह के अयोग्य करार देने के बाद हो रहे इस उपचुनाव को कांग्रेस-भाजपा उम्मीदवारों के मध्य होने के बजाय अब सिधे तौर पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलेट के मध्य होता माना जा रहा है। दोनों ही नेताओ के विश्वासी दिगर नेतागण इस चुनाव में धोलपुर ही डेरा डाल कर अपनी-अपनी ताकत पुरी तरह झोंक कर अपने-अपने नेता की इज्जत बचाने में लगे हुये हैं। वहीं 2014 के आम चुनावों में बसपा विधायक बी.एल कुशवाह के जीतने के बावजूदसइस उप चुनाव में बसपा ने अपना उम्मीदवार न उतार कर सीधे तौर पर कांग्रेस को फायदा पहुंचाने का तीर चलाया है।​धोलपुर उप चुनाव कांग्रेस-भाजपा के बजाय सचिन पायलेट व वसुन्धरा राजे की प्रतीष्ठा का बना सवाल | New India Timesअगामी 9 अप्रैल को होने वाले धोलपुर के उपचुनाव में भाजपा ने निवर्तमान बसपा विधायक बी.एल कुशवाह की पत्नी शोभारानी को अपना उम्मीदवार बनाया है, तो कांग्रेस ने अपने पांच बार के विधायक रहे व जिले के ब्राहमण नेता बनवारी लाल शर्मा को उम्मीदवार बनाकर मुकाबला कड़ा बनाकर मुख्यमंत्री राजे को उनके ही घर में घेरने की कोशिश करके सभी का ध्यान इस तरफ खींच कर रख लिया है। दोनों दलों की तरफ से जातीवार नेताओं की लम्बी फौज अपने-अपने जाति के मतदाताओं को अपनी तरफ खींचने की किसी भी तरह की कसर छोड़ते नजर नहीं आ रहे हैं। लेकिन धोलपुर का चालाक व बेदार मतदाता इस समय कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। वह चुपचाप आने वाले नेताओं की मजबूरी में बात तो सून रहा है पर कुशवाह व ब्राहमण मतदाताओं के अलावा अन्य मतदाता किसी भी तरफ झुकाव दिखाने से अभी बच ही रहे हैं।

धोलपुर में करीब-करीब बराबर तादात वाले ब्राहमण व कुशवाह मतदाताओं का झुकाव तो करीब-करीब अपने अपने उम्मीदवारों की तरफ साफ झलक रहा है लेकिन बाकी अन्य मतदाता अभी तक किसी तरह का झुकाव दिखाने से पूरी तरह कन्नी काट रहे हैं। मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने के लिये भाजपा के इकलोते परिवहन मंत्री यूनुस खान व उनके साथ धोलपुर के पुर्व विधायक अब्दुल सगीर मिलकर परदे के पिछे सत्ता की धूंस व प्रभाव के साथ पुरी कोशिशे करते दिखाई दे रहे हैं,  वहीं कांग्रेस की तरफ से राष्ट्रीय सचीव मिर्जा इरशाद बेग व प्रदेश उपाध्यक्ष डाॅ खानू खान पूरी तरह हर एक मतदाता तक पहुंच कर उनको बनवारी लाल शर्मा को मत देने के लिये अनेक कारण गिनाकर व उदाहरण देकर समझा रहे हैं। भाजपा के दमदार राजपूत नेता व पंचायत राज मंत्री राजेन्द्र सिंह राठोड़ अपनी टीम के साथ व कांग्रेस नेता पुर्व विधायक व राजपुत नेता प्रतापसिंह खाचिरियावास अपनी टीम के साथ मिलकर अपनी-अपनी पार्टी के हित को साधने में किसी भी तरह की कसर बाकी नही रख रहे हैं। इन लोगों के अलावा जिले के कांग्रेस के दिग्गज व बनीया नेता विधायक प्रधुमनसिंह ने पहली दफा इमानदारी व साफ मन के साथ अपनी पुरी ताकत कांग्रेस को जिताने में लगा रखी है। जाट नेताओं के तौर पर कांग्रेस की तरफ से भरतपुर राजा विश्वेन्द्र सिंह व पुर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरीया भी क्षेत्र में देखे गये हैं, लेकिन कांग्रेस के ही अनेक नामी गिरामी दिग्गज नेताओं के अभी तक धोलपुर नहीं आने की चर्चा रुक रुक कर क्षेत्र में जरुर सुनने को मिल रही है। वहीं सियासी हलकों में धोलपुर के मतदाता को काफी चालाक व सियासी तौर पर बेदार मतदाता माना जाता है।  वो कब क्या रुख अपना लें यह पुर्व आंकलन लगाना बडे बडे सियासी समिक्षकों व पुर्व अभ्यास लगाने वाले गणितज्ञों के लिये काफी मुश्किल माना जाता है।​
धोलपुर उप चुनाव कांग्रेस-भाजपा के बजाय सचिन पायलेट व वसुन्धरा राजे की प्रतीष्ठा का बना सवाल | New India Timesहालांकि इस चुनाव में कुल 16 उम्मीदवार मैदान में हैं,  लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा की शोभा व कांग्रेस के शर्मा के मध्य ही होना है। भाजपा की तरफ से अनेक मंत्री व नेताओं के चुनाव में एक-एक वोट बटोरने ने लिये अभी से जान झोंकने से लगता है कि ज्यों ज्यों नो अप्रैल नजदीक आयेगी त्यों त्यों सत्ता का असर अधिक देखने को मिल सकता है। यहां का ज्यादातर मतदाता अजीब खामोशी की चादर ओड रखी है कि वो किसी भी अनजान के सामने किसी भी तरह की चुनावी चर्चा करने से पुरी तरह कतरा रहा है, वहीं सुत्र बताते हैं कि हर एक सरकारी कर्मचारी के परीवार के मतदाताओं को चुनावी हिसाब से एक दल के लोग टटोलने में व्यस्त हैं। वैसे भाजपा की तरफ से करीब पन्द्रह मंत्रियों व अन्य नेताओं की एक लम्बी चौड़ी टीम यहां हर गली मोहल्लों व गावं स्तर पर काम कर रही है। वहीं सचिन पायलेट की करीब करीब पुरी पीसीसी व अन्य निकटवर्ती नेताओं का जमावड़ा भी हर स्थान पर वोट बटोरने का प्रयास करता नजर आ रहा है।

धोलपुर विधान सभा क्षेत्र को अगर जातिवार के हिसाब से देखा जाये तो कुशवाह व ब्राहमण-बनीया मतदाता करीब करीब पच्चीस-छब्बीस हजार आंका जाता है,  वहीं मुस्लिम मतदाताओं की तादात करीब बीस हजार को पार करती बताते हैं। इसके बाद लोद व गुर्जर मतदाता मिलाकर पच्चीस हजार तक आंके जाते हैं। वहीं अन्य सभी बिरादरी भी कमोबेश पांच छ-पांच छ हजार तक के मतदाताओं की आंकी जाती है। सचिन पायलेट के कारण गुर्जर मतदाताओं का रुझान कांग्रेस की तरफ होने का आंकलन लगाया जा रहा है लेकिन इस कांटे के मुकाबले में कम मतदाताओं वाली बिरादरियों को जो ठीक से साध पायेगा वही चुनाव जीत पायेगा।

कुल मिलाकर यह है कि मुस्लिम मतदाताओं को साधने के लिये भाजपा ने ऐन चुनाव घोषणा के पहले धोलपुर के पुर्व विधायक अब्दुल सगीर को वक्फ कारपोरेशन का चेयरमैन बनाकर मंत्री का दर्जा देकर मुस्लिमों को लुभाने एक कोशिश की है। वहीं कांग्रेस के नेतागण भाजपा सरकार के खिलाफ उपजे जन आक्रोश को भुनाने के साथ साथ अपने सभी तरह के बिरादरी नेताओं को इस रण क्षेत्र में झोंक कर हर हालत में जीत पाने में प्रयासरत हैं। लेकिन यह सब कुछ देखने के बाद लगता है कि यह चुनाव कांग्रेस-भाजपा के मध्य होने के बजाय सचिव पायलेट व वसुंधरा राजे के मध्य ही होता दिखने लगा है। ज्यों ज्यों समय नजदीक आयेगा त्यों त्यों भाजपा-कांग्रेस नेताओं के एक दुसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हुये चुनावी मौसम परवान चढेगा। लेकिन यह तय है कि धोलपुर के ज्यादातर मतदाताओं की चुप्पी ऐन वक्त पर किसी भी तरह का गुल खिला सकती है।


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