मेहलक़ा अंसारी, बुरहानपुर (मप्र), NIT:
अर्वाचीन इंडिया स्कूल में वरिष्ठ नागरिकों के साथ मिलकर कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व और दादा-दादी और नाना-नानी दिवस भी मनाया गया। समारोह का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। अभिनंदन गीत की प्रस्तुति दी गई । समारोह में बच्चों के साथ दादा-दादी और नाना-नानी ने भी भाग लिया। नन्हें बच्चों ने सामूहिक नृत्य की सुंदर-सुंदर प्रस्तुतियां दी। बच्चों ने अपने परिजनों के समक्ष मीठी बोली में कविताएं पेश की, जिन्हें सुनकर परिजन प्रफुल्लित हुए।
समारोह में भागवत भूषण हरिकृष्ण मुखिया जी, समाजसेवी भगवती प्रसाद बगडि़या, शिक्षाविद बी.के. श्रॉफ एवं वृहद गुजराती समाज महिला मंडल की अध्यक्ष श्रीमती विद्या बेन श्रॉफ इत्यादि ने प्रमुख अतिथि के रूप में उपस्थित होकर बच्चों को आशीष प्रदान किया।
भागवत भूषण हरिकृष्ण मुखिया जी एवं समाजसेवी भगवती प्रसाद बगडि़या ने समारोह को संबोधित करते हुए बच्चों को आशीष प्रदान किया और कहा कि वर्तमान समय में हमारे बच्चो दादा, दादी व नाना-नानी के प्यार से वंचित हो रहे है। इसलिए उन्हें ऐसे कार्यक्रम के माध्यम से उनके महत्व को बताता जरूरी है। बच्चों के अंदर बुजुर्गों के प्रति आदर जागृत हो, सभी बच्चे भविष्य के एक जिम्मेदार नागरिक बने इस हेतु अर्वाचीन इंडिया स्कूल द्वारा लगातार हमारी संस्कृति को ध्यान में रखकर इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। मैं अर्वाचीन इंडिया स्कूल को शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं।
शिक्षाविद बी.के.श्रॉफ ने कहा कि बच्चों के विकास में दादा-दादी और नाना-नानी की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में सामाजिक मूल्यों का पतन हो रहा है। इसलिए हमें इस ओर ध्यान देने की आवष्यकता है।
समारोह को संबोधित करते हुए विद्यालय निर्देशिका श्रीमती राखी मिश्रा ने कहा कि त्यौहारों पर यदि अपने बड़ो का आशीर्वाद प्राप्त कर लिया तो हमने सब कुछ पा लिया, सही अर्थों में पर्व तभी है जब दादा-दादी साथ में हैं। श्रीमती राखी मिश्रा ने कहा कि हमारी संस्कृति ने हमेशा से ही हमें अपने बुजुर्गों का सम्मान करना और उनके अनुभवों से शिक्षा ग्रहण करना सिखाया है। अर्वाचीन इंडिया स्कूल की हमेशा से ही यह कोशिश रही है कि विद्यार्थियों को शिक्षा, कला एवं संस्कार एक साथ देंगे। उनके सर्वांगीण विकास में योगदान देंगे। परम्परा की थाती एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हमारे तीज-त्यौहार ही ले जाते हैं। अतः विद्यालय ने बच्चों के दादा-दादी एवं नाना-नानी के साथ मिलकर यह पर्व मनाया गया। हमारी मातृ -शक्ति को अपनी प्रतिभा के लिए मंच मिले इस सोच के साथ हमने उन्हें अपनी राधाओं एवं कन्हैया के साथ प्रस्तुति का मौका दिया। सभी माताओं ने जन्माष्टमी थीम पर शानदार प्रस्तुति दी।
सचिव अमित मिश्रा ने कहा कि बच्चों में संस्कार शिशु अवस्था में ही रोपित हो जाने चाहिए और अर्वाचीन इंडिया इस के लिए दृढ़-प्रतिज्ञ है।
प्रमुख शैक्षणिक सलाहकार श्रीमती कलमोहन ने कहा आज बच्चों को शिक्षा और संस्कृति से परिचित करवाना भी एक विद्यालय की जिम्मेदारी हो गयी हैं और अर्वाचीन इंडिया विद्यालय इस भूमिका को बखूबी निभा रहा है। विद्यालय प्राचार्य उज्ज्वल दत्ता, प्रमुख प्रसाशनिक अधिकारी विशाल गोजरे, अभिरुचि केंद्र प्रमुख श्रीमती अंजली पिम्पलीकर, को-आर्डिनेटर श्रीमती दीप्ति पेच्ची, विष्णु नायर, जिया सहर, अरुणाश्री गमिनी, देवेंद्र गढ़वाल सहित शाला परिवार ने सभी को जन्माष्टमी के पावन पर्व पर सभी को शुभकामनाएं प्रेषित की।
संस्था के जनसंपर्क अधिकारी मिर्जा राहत बेग ने बताया कि इस अवसर पर श्रीेकृष्ण जन्मोत्सव भी मनाया गया। समारोह में बच्चों ने दादा-दादी, नाना-नानी जैसे बुजुर्गों से कृष्ण जन्मोत्सव की कहानियां सुनी। बच्चों ने बुजुर्गों के साथ मटकीफोड़ प्रतियोगिता का भी आनंद लिया। भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशी में जश्न मनाया गया। समारोह में बच्चों ने दादा-दादी और नाना-नानी की परिवार में मौजूदगी को लेकर विचार रखे। नन्हें बच्चों ने कहा कि दादा-दादी हमारे लिए वट वृक्ष के समान है जिसकी छाया हमें संस्कारी बनाती है और उनका साथ हमें सुकून और आश्रय प्रदान करता है। बच्चों की प्रस्तुति से उत्साहिक दादा-दादी और नाना-नानी ने भी मंच पर आकर बच्चों के साथ अपने भावनात्मक रिश्तों को प्रकट किया। उन्होंने अपने विचार रखते हुए कहा कि अर्वाचीन इंडिया स्कूल हमारी अपेक्षानुकूल बच्चों को शिक्षित और संस्कारित कर सामाजिकता का विकास कर रहा है। इस अवसर पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाया गया।
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