नरेंद्र इंगले, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
कर्नाटक के अलमट्टी और महाराष्ट्र के कोयना डैम के बैकवाटर के कारण महाराष्ट्र के कोल्हापुर तथा सांगली और ऊत्तरी कर्नाटक के 6 जिले बीते हफ्तेभर से प्रचंड बाढ की चपेट में हैं। अलमट्टी और कोयना के बैकवाटर को लेकर दोनों राज्यों के पीड़ित लोग प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लगा रहे हैं। मुसलाधार बारिश के चलते कोल्हापुर, सांगली के साथ ही पूर्वी विदर्भ के गड़चिरोली और पश्चिमी विदर्भ के अमरावती जिले भी आम दुनिया से कट गए हैं। भीमा नदी उफ़ान पर होने से सोलापुर का पंढरपुर शहर पानी में डूब गया है जहाँ स्थिति अब सामान्य हो रही है। सबसे ज्यादा भयावह स्थिती कोल्हापुर और सांगली की है, यहाँ लेटलतिफी से पधारे सरकारी राहत सामग्री से तालमेल बिठाते स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं ने अब तक करीब लाखों लोगों को सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाया है वहीं पलुस के ब्रह्मनाल गांव में बोट पलटने से 9 लोगों की मौत हो गयी है। बाढ़ के तीन दिन बाद महाजनादेश यात्रा स्थगित कर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फ़डणवीस मुंबई मंत्रालय पधारे जिसके बाद अलमट्टी को लेकर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदीयुरप्पा से लगातार समन्वय बनाया गया नतीजे में अलमिट्टी डैम से प्रति सेकेंड 5 लाख क्यूसेस तक पानी छोड़ने कि कार्यवाही किए जाने की बात कही गयी लेकिन प्राप्त जानकारी के अनूसार अलमट्टी से पानी छोड़ने का औसत नाकाफी है। कृष्णा नदी पर बने 123 TMC क्षमता वाले अलमट्टी को लेकर सुप्रिम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ़ साफ़ कहा था कि डैम का जलस्तर 519 मीटर तक ही रखा जाए। क्या शीर्ष अदालत के इस आदेश की अवमानना हुयी है, अगर है तो कोल्हापुर सांगली में पनपी इस विभिषिका की जिम्मेदारी किसकि होगी? एक बात अच्छी है कि दोनों राज्यों में भाजपा की सरकारें मौजूद हैं, किसी एक राज्य में विपक्ष की सरकार होती तो राजनितीक आरोप प्रत्यारोप के बाढ़ की त्रासदी भी देखी जा सकती थी।
वहीं मौसम विभाग द्वारा रेड अलर्ट घोषित करने के बाद भी खुद मुख्यमंत्री सहयोगी मंत्रियों के साथ अपनी चुनावी महाजनादेश यात्रा में व्यस्त रहे और सरकार सोती रही इधर कोल्हापुर, सांगली में खेत बह गए है, घरों में पानी भर गया। पुणे बंगलुरु राजमार्ग बंद होने से हजारों ट्रक सड़क पर फंसे होने से लोग जिवनावश्यक वस्तुओं खाने पीने की चीजों के लिए तरसते रहे। किसानों का पशुधन चौपट हो गया। इन हिस्सों का महाराष्ट्र से संपर्क पूर्ण रुप से टूट चुका है, सब तरफ़ तबाही का मंजर है। तीन दिन बाद मुख्यमंत्री फ़डणवीस ने बाढ़ प्रभावित इलाकों की हवाई समीक्षा की जिसके बाद राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाने की बात कही जैसा कि हमेशा सब कुछ बर्बाद होने के बाद आम तौर पर कहा जाता रहा है। बाढ़ को लेकर मराठी न्यूज चैनलों ने सरकार की लापरवाही की जमकर आलोचना की। जिससे विपक्ष को भी जनता की बात रखने का मौका मिल पाया। एनसीपी सुप्रिमो शरद पवार ने बाढ़ पीड़ित किसानों की संपूर्ण कर्जमाफी की मांग करते हुए पार्टी की ओर से 50 लाख रुपये की मदद मुख्यमंत्री राहत कोष में देने का ऐलान किया। पवार ने इस त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की भी मांग की। 9 अगस्त को सेना ने राहत कार्यों का मोर्चा संभाला।
सरकार के प्रतिनीधी के रुप में बाढ़ का जायजा लेने कोल्हापुर समेत इलाके में पहुंचे जलसंसाधन मंत्री गिरीश महाजन का एक विडीयो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें मंत्री जी बोट में सवार होकर हंसते हुए हाथ हिलाते फ़नी मूड में नजर आए। मंत्रीजी की इस वाटर पिकनिक वाली हरकत ने सरकार की उस संवेदनशीलता की पोल खोल दी जो बाढ़ के तीन दिन बीत जाने के बाद जागृत हुयी थी! कितना शर्मनाक है कि सोशल मीडिया के जरीये लोकप्रियता के आदी हो चुके कुर्सी के अहंकार में अंधे नेता अब उस जनता के आँसुओं को भी नहीं देख पा रहे हैं जिस जनता के भरोसे वह सत्ता में वापसी के लिए रथ यात्राओं का आयोजन कर रहे हैं। मंत्रीजी के वाटर पिकनिक पर विपक्ष का तीखा हमला जारी है और मंत्रीजी अपने बचाव में इस पिकनिक को उनका ढाढस करार दे रहे हैं। वाट्सऐप स्कूल में मंत्रीजी के भक्त उनके स्वभाव गुण और साहस के उदाहरण जैसी मिसालों की लंबी पोस्ट लिखकर अपनी स्वामी भक्ति का परीचय दे रहे हैं। वैसे आपदा हो या हादसे बचाव और राहत कार्य में जुटने के बजाय मोबाईल्स के कैमरों को चमकाने की बिमारी से शायद ही कोई अछूता रहा होगा लेकिन सरकार में बैठे मंत्री जैसे जिम्मेदार लोगों को इस तरह की हरकतों से बचकर अपने दायित्वों पर फ़ोकस करना चाहिए ना की बाढ़ जैसी गंभीर आपदा में अपना सब कुछ गंवा चुके पीड़ितों के जनाक्रोश को हवा देकर अपनी गलती को ढाढस कहकर स्वयं की सराहना करनी चाहिए। कोल्हापुर परीपेक्ष में लगातार बारिश जारी है जिसके चलते स्थिति में सुधार की कोई गुंजाईश नहीं दिखाई पड़ रही है।
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