मकसूद अली, यवतमाल ( महाराष्ट्र ), NIT; महाराष्ट्र राज्य तथा राज्य के बाहर की सभी पत्रकार संगठनों की जांच करने की मांग पत्रकार संरक्षण समिती ने माहिती व जनसंपर्क महासंचालनालय के महासंचालक से एक निवेदन द्वारा की है। इस निवेदन में कहा गया कि गली से लेकर दिल्ली तक काफी पत्रकार संगठनाए कार्यरत हैं। आज अखबार व्यवसाय बन चुका है। वर्ष 2016 में 88 पत्रकारों पर हमले हुए। 22 पत्रकारों पर झूठे गुनाह दर्ज किए गए। आज राज्य में नहीं तो राज्य के बाहर की पत्रकार संघटनाएं अपने राज्य में कार्यरत हैं। ऐसी ही कुछ पत्रकार संघटनाएं पत्रकारों से सभासद फी के रूप में 500-1000 रुपये लेकर पदों का वितरण करते हैं। वे किसी भी अखबार का पहचान पत्र या संगठन का पहचानपत्र लेकर समाज के नागरिकों तथा अवैध व्यवसायियों को ब्लॅकमेल कर पैसों की मांग करते हैं। ऐसे मामलों का सामना सच्चे पत्रकारों को भी करना पडता है।
इसलिए आप राज्य के सभी पत्रकार संघटन की जांच कर वार्षीक विवरण (ऑडीट), पत्रकारों के सभासदों की संख्या, बैंकों से निकालेएगए रकम का वार्षीक हिसाब (बँक स्टेटमेंट), व पत्रकारों से सभासद फी के रूप में वार्षिक कितने रुपये लिए जाते हैं, इसकी जांच करे। साथ ही राज्य के सभी सर्व जिल्हाधिकारी, पुलीस अधिक्षक , जिल्हा माहिती अधिकारी को जांच करने के आदेश देने की मांग इस निवेदन में की गई है।
शंकरराव चव्हाण सुवर्ण महोत्सव पत्रकार कल्याण निधी व राज्य अधिस्विकृती समिती में समाविष्ट सभी पत्रकार संघटनों की भी जानकारी लें तथा राज्य के पत्रकार संघटनों के नाम पर पैसे कमाने का गोरखधंधा करने वालों पर अंकुश लगाएं। संघटनों के अध्यक्ष तथा सचिव के संपत्ती की भी जांच करने की मांग निवेदन पत्र द्वारा कीईगई है। इस निवेदन की प्रतिलिपीयां मा.राज्यपाल, सचिव , भारतीय प्रेस परिषद, सुचना भवन, दिल्ली महासंचालक, लाचलुचपत प्रतिबंधक विभाग, महाराष्ट्र राज्य, को दी गई हैं।
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