अशफाक कायमखानी, नागौर/जयपुर (राजस्थान), NIT:
राजस्थान के डीडवाना सीकर रोड़ पर स्थित नागोर जिले के कायमखानी मुस्लिम बाहुल्य ऐतिहासिक गांव चोलूखां स्थित “मकतब-ऐ-अमन” मदरसे में 3 से लेकर 70 साल के तालीम याफ्ता स्टुडेंटस के लिये मदरसा इंतेजामिया की चाहत के बजाय पढ़ने वालों की सहूलियत के मुताबिक अलग अलग समय तय होने वाला प्रदेश का एक पहला व अनोखा मदरसे के रुप मे संचालित होता आ रहा है।
राजस्थान केडर से भारतीय पुलिस सेवा के सीनियर अधिकारी व आईजी पद से रिटायर्ड कुवंर सरवर खान द्वारा अपनी पेंशन से संचालित उक्त मदरसे में छोटे बच्चों के तालीम पाने का समय दिन में बच्चों की सहूलियत के हिसाब से तय है। वहीं शिक्षा के लिये स्कूल में जाकर वापिस आकर अपने फ्री समय में धार्मिक शिक्षा पाने का समय अलग उनकी दिगर शैक्षणिक संस्थान के स्टूडेंट्स की सहूलियत के मुताबिक़ तय है। घर के जिम्मेदार लोगों के दिन में खेती या अन्य कारोबार करने की व्यस्तता के कारण शाम के बाद रात के किसी समय में व महिलाओं के उनकी सहुलियत के मुताबिक उनके घर के काम से फारिग होने पर दोपहर व शाम बाद उनके अलग से पढने का इंतजाम कायम है। खास बात यह है कि सुबह से देर रात तक संचालित होने वाले आधुनिक सुविधाओं युक्त मकतब-ऐ- अमन मे तालीम हासिल करने के लिये अलग अलग उम्र की महिलाओं व पुरुषों के अलावा बच्चों के लिये महिला व पुरुष के तौर पर अलग अलग उस्ताद भी उपलब्ध हैं।
जानकारी अनुसार गुजरे माहे रमजान में सैकड़ों महिलाएं रात को जमा होकर अपनी इबादतें महिला उस्ताद की मौजूदगी में करने के अलावा ताक रातों को रात भर मदरसे में एक साथ जमा होकर महिलाएं इबादत करती रही हैं जिसका पूरा इंतजाम मदरसे की तरफ से होना बताया जाता है।
कुल मिलाकर यह है कि चोलूखां की सरजमीं का जो हो सके वो कर्ज चुकाने के लिये व खिदमत ऐ खल्क की नीयत के साथ आईजी पुलिस रहे सरवर खान उक्त मदरसे के तमाम अखराजात अपने स्तर पर उन्हें मिलने वाली पेंशन के तय एक हिस्से से सालों से करते आ रहे हैं। राजस्थान में उक्त तरह का यह पहला व अलग तरह का अनोखा मदरसा है जहां स्टूडेंट्स की सहूलियत के अनुसार तालीम का पूख्ता इंतजाम कायम है।
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