योगेश तिवारी, ब्यूरो चीफ, बाराबंकी (यूपी), NIT:
अपने कारनामो को लेकर सुर्खियों में रहने वाली बाराबंकी पुलिस एक बार फिर सवालों के घेरे में नजर आ रही है। दरअसल शुक्रवार को बाराबंकी पुलिस ने सीतापुर जनपद के दो शातिर बदमाशों लोमस और ज़ुबेर को मोहम्मदपुर खाला इलाके में हुई एक मुठभेड़ के दौरान मार गिराने का दावा कर खूब वाहवाही बटोरी लेकिन कुछ ही घण्टों बाद बाराबंकी पुलिस का ये एनकाउंटर तब सवालों के घेरे में आ गया जब बाराबंकी पहुंचे मृतक बदमाशों के परिजनों और ग्रामीणो ने बाराबंकी पुलिस पर दोनों को सीतापुर स्थित उनके घर से बुला कर फर्ज़ी एनकाउंटर में दोनों की हत्या करने का सनसनीखेज आरोप लगाते हुए मामले की उच्चस्तरीय जांच के लिए सीएम से गुहार लगा दी है। मृतक बदमाशों के परिजनों की मानें तो पिछले एक साल से मृतक लोमस बाराबंकी में तैनात राजेन्द्र नाम के सिपाही के संपर्क में था और राजेन्द्र की दी हुई मोटरसाइकिल से ही चलता था, बृहस्पतिवार को देर रात जब सीतापुर के रामपुर मथुरा थाने की पुलिस के साथ उनके गांव पहुंचा तो राजेन्द्र सिपाही लोमस को खेत मे मैंथा की पिराई करते समय अपने साथ ले गया था। उस वक़्त ज़ुबैर पहले से ही पुलिस के साथ मौजूद था जिसके बाद दोनों को बाराबंकी लाने के बाद उनकी हत्या कर दी गई और अब फर्ज़ी एनकाउंटर की पोल खुलने के डर से पुलिस दोनों के शव भी परिजनों को सौंपने को तैयार नहीं है और सीतापुर के बदले बाराबंकी में ही जबरन दोनों का अन्तिम संस्कार कराने का दबाव बना रही है। परिजनों के इन सनसनीखेज आरोपों के बाद बाराबंकी पुलिस के एनकाउंटर की कहानी सवालों के घेरे में है। अहम सवाल यह कि जब परिजनों और ग्रामीणों के मुताबिक दोनों पहले से ही पुलिस की गिरफ्त में थे तो फिर उनके पास वो हथियार कहाँ से आ गए जिससे तथाकथित तौर पर उन्होंने पुलिस पार्टी पर गोलियां चलाईं। सवाल ये भी है कि पुलिस की कस्टडी में मौजूद बदमाश पुलिस पर गोली कैसे चला सकते हैं, वही कथित तौर पर मुठभेड़ में एक इंस्पेक्टर और सिपाही के घायल होने का पुलिसिया दावा भी कटघरे में नज़र आ रहा है क्योंकि बाराबंकी पुलिस के इस तरह के दावों की पहले भी हवा निकल चुकी है। जब बीती 6 जून को मुठभेड़ के तथाकथित दावे में पहले बदमाश के पास से 315 बोर का तमंचा 1 जिन्दा कारतूस और 2 खोखा बरामद होना बताया फिर कुछ देर बाद ही न सिर्फ तमन्चे का बोर 315 से बदल कर 12 बोर कर दिया बल्कि कारतूसों और खोखों की गिनती भी बढ़ कर 2 जिंदा कारतूस और 3 खोखा हो गयी। हद तो तब हो गयी जब अपने ट्वीट में बाराबंकी पुलिस ने 312 बोर तमंचा बरामदगी बता डाली यानी एक ऐसी दुर्लभ प्रजाति का तमंचा जिसका आज तक अविष्कार ही नहीं हुआ है, ठीक वैसे ही इस बार भी मृतकों के परिजनों के आरोपों के बाद एक बार फिर बाराबंकी पुलिस की बहादुरी कटघरे में खड़ी नज़र आ रही है।
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