शाहनवाज़ खान, भोपाल (मप्र), NIT:
मध्यप्रदेश में बच्चों के साथ लगातर हो रही लैंगिक शोषण की घटनाओं के खिलाफ बोर्ड आफिस चौराहे पर शहर के अमनपसंद युवाओं ने चेहरे पर मास्क लगाकर और STOP CHILD SEXUAL ABUSE लिखकर विरोध दर्ज कराया। युवाओं ने यह नारा बुलंद किया कि “बाल लैंगिक शोषण, अब और नहीं”। युवाओं ने अपने गुस्से का इज़हार काले कपडे पहनकर और अपने चेहरों को रंगकर किया। उन्होंने बहुत स्पष्ट रूप से यह भी कहा कि अब हमें स्थाई साल्यूशन चाहिए। युवाओं ने अपने हाथ में तख्ती लेकर सरकार और समाज दोनों से अपील की कि वे इस समस्या की रोकथाम के लिए आगे आयें।
युवाओं ने अपने प्रदर्शन के दौरान हाल ही में हुई बच्चों के साथ हुई बलात्कार की घटनाओं को सामने लाने हेतु उन स्थानों को चिन्हित करते हुए कहा कि यह वक़्त है जबकि युवा, सरकार और समाज दोनों से सवाल करे और इस समस्या का हल ढूँढने के प्रयास करें।
इस प्रतिरोध का समन्वयन कर रही एमवीएम काॅलेज की अस्मा खान का कहना है कि हम अलग-अलग काॅलेजों में पढ़ रहे युवा बाल लैंगिक शोषण की घटनाओं को लेकर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। हम सरकार और समाज के पास जाकर पूछना चाहते हैं कि इन मासूमों की क्या गलती है? कैसे इस तरह की घटनाओं की रोकथाम हो? उन्होंने कहा कि हम युवाओं को साथ लेकर रोकथाम के लिए काम करने, इस प्रस्ताव को अमली जामा पहनाने के लिए भी तैयार हैं।
इस प्रतिरोध में भाग ले रहे बेनज़ीर महाविद्यालय के ऋषभ शर्मा का कहना है कि बाल लैंगिक शोषण की घटनाएं बच्चों के मन मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव छोडती हैं, इसलिए हमें इनकी रोकथाम को लेकर काम करना होगा।
गितांजलि कालेज की नुपुर का कहना था कि लड़के हों या लडकियां, सभी के साथ लैंगिक शोषण की घटनायें आम होती जा रही हैं और हम चकित हैं कि समाज भी मौन है| हम युवा समाज को जगाने और सरकार को चेताने निकले हैं। सरकार को चाहिए कि वह बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
इस प्रतिरोध में शामिल रहे नीतेश व्यास ने कहा कि सरकार के साथ-साथ समाज की भी ज़िम्मेदारी है कि वह बाल लैंगिक शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाये।
इस प्रतिरोध में अलग-अलग महाविद्यालयों के लगभग 100 युवा साथी शामिल हुए। इस प्रतिरोध में युवाओं ने कुछ विशेष मांग रखीं :-
1. बाल लैंगिक शोषण के स्थाई समाधान की दिशा में सरकार “गुड टच, बैड टच” जैसे विषयों को प्राथमिक स्तर के पाठ्यक्रम में शामिल करें।
2. पुलिस को चाहिए कि वह हर प्रकरण को दर्ज करे और पीड़ित की हरसंभव मदद करें ह
3. समाज को चाहिए कि वह अपने घरों में इस मुद्दे पर चर्चा करें| घरों में लड़कों के साथ भी बातचीत की जानी जरूरी है।
4. पाक्सो क़ानून के प्रावधानों का अधिकतम प्रचार प्रसार हो।
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