रहीम शेरानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
झाबुआ जिले के पेटलावद तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम झकनावदा में राष्ट्रीय पक्षी मोरो की संख्या करीब 400 से भी अधिक है, लेकिन इनके भोजन पानी हेतु कोई पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। इनके दाना-पानी हेतु कोई समुचित स्थान भी नियत नही है। जिसके चलते मोर आए दिन विचरते हुए दाना-पानी चुगने हेतु सड़क किनारे आ जाते है और जंगली जानवरों के साथ कुत्ते-बिल्ली आदि के शिकार हो जाते है। ऐसी ही एक घटना सोमवार सुबह 8 बजे की है, जब एक मोर पानी पीने नाली के किनारे पहुंचा, जहां पानी पीते समय मोर को एक कुत्ते का शिकार होते देख ठाकुर जगपालसिंह राठौर, ठाकुर विजय बहादुर, रतनलाल चोयल ने कुत्ते का शिकार होते मोर की जान बचाई। बाद इसकी जानकारी राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग के प्रतिनिधि प्रदेश अध्यक्ष मनीष कुमट व गोपाल विश्वकर्मा को मिलने पर सभी ने मिलकर मोर का प्राथमिक उपचार कर समीपस्थ स्वास्थ्य केंद्र पर करवाकर बाद वापस गड़ी में उचित स्थान पर छोड़ दिया।
तत्कालीन कलेक्टर को मोर अभ्यारण केंद्र बनाए हेतु दिया गया था आवेदन
इस हेतु पूर्व में भी राष्ट्रीय मानवधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग की टीम व झकनावदावासियो ने झकनावदा में मोर अभ्यारण केंद्र बनाने हेतु पूर्व तत्कालीन कलेक्टर आशीष सक्सेना को झकनावदा प्रवास के दौरान आवेदन के माध्यम से अवगत भी करवाया था, जिसके बाद भी आज तक शासन-प्रषासन द्वारा राष्ट्रीय पक्षी मोर को सुरक्षित करने की दृष्टि से कोई पुख्ता इंतजामात या व्यवस्थाएं नहीं की गई है। यदि इसी तरह राष्ट्रीय पक्षी को समय पर दाना-पानी नहीं मिलने एवं जहरीले जानवरों का षिकार होने से आगामी समय में इनकी संख्या में नाम-मात्र की ही रह जाएगी।
जवाबदारों का कहना मैं अभी मीटींग में व्यस्त हूॅ, बाद में चर्चा करता हूॅ।
प्रबल सिपाहा, कलेक्टर झाबुआ।
आपकी बात से मैं सहमत हूॅ। नेशनल बर्डस मोर की सुरक्षा एवं उनके समय पर आहार एवं पानी की व्यवस्था होना चाहिए। इसके लिए वन विभाग ध्यान दे रहा है। मैं विभाग के अधिकारियों से चर्चा कर निर्देशित करती हूं: श्रीमती जमुना भिड़े, सीईओ जिला पंचायत झाबुआ।
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