रहीम शेरानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने पूरे मध्यप्रदेश में दवा खाने की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए 1 जून से सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर चिकित्सा व्यवस्था में सुधार करने हेतु सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक नए समय का आदेश जारी किए हैं जिसका बकायदा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बाहर नोटिस भी चस्पा किए गए हैं जिससे केंद्र पर कार्य कर रहे प्रत्येक कर्मचारी को ध्यान रहे कि हमें सुबह 9:00 बजे ड्यूटी को निभाने एवं मरीजों को स्वास्थ्य लाभ देने के लिए पहुंचना है लेकिन मेघनगर के कुछ स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी व नर्स अपने आप को मुख्यमंत्री कमलनाथ से भी बड़ा मानते हुए अपनी हिटलर शाही चलाते हुए उनके द्वारा जारी किए गये फरमान को भी घोल कर पि गये हैं। मेघनगर का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भ्रष्टाचार करने वालों के लिए स्वर्ग बना हुआ है। यहां पर अक्सर गर्भवती महिला व उसके परिजनों से चंदा उगाही की खबरें भी काफी सुर्खियों में रहती हैं।
ताजा मामले की बात करें तो मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार के आदेश की रियलिटी चेक करने के लिए जब हमारी टीम मेघनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची तो सुबह 11 बजे तक कार्यालय पर ताला जड़ा हुआ था। वही इक्का दुक्का चिकित्सक अपनी सेवाएं दे रहे थे। बाकी अपनी मौज मस्ती में घर के कार्यो में व्यस्त थे। इतना ही नहीं जब हमने वहां पर उपस्थिति रजिस्टर को खंगाला तो उसमें कुछ महाशयों ने और महिला नर्सों ने जो वहां सुबह 8 बजे से 9 दोपहर 2 बजे की ड्यूटी पर कार्यरत है उन्होंने पिछले 5 दिनों से उस उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर ही नहीं किए थे या फिर वो आये ही ना हो, ना ही कोई छुट्टी का आवेदन रियलिटी चेक करने पर मिला।अब ऐसे में बड़ा सवाल है कि इस तरह से आदेशों की धज्जियां उड़ाने वाले पर मेघनगर ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर जो वर्तमान में अवकाश पर हैं, झाबुआ सीएमएचओ, कलेक्टर साहब या फिर सरकार के जिम्मेदार नुमाइंदे प्रभारी मंत्री किस तरह से बेलगाम हो चुके कर्मचारियों की नाक में नकेल कसते हैं या फिर पूर्व सरकार की तरह नौकर शाही सरकार पर हावी रहेगी यह नजारा बडा दिलचस्प होगा।
मेघनगर के स्वास्थ्य कर्मी वर्षों से एक ही जगह तिलचट्टै की तरह चिपक कर अस्पताल को कर रहे हैं खोखला
कहते हैं कि न कि तू डाल डाल मैं पात पात यही वाक्य मेघनगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एकदम फिट बैठता है। यहां पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कर्मचारियों की बात करें तो शासन के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए कार्यालय में जिनका वर्षों से स्थानांतरण नहीं हुआ है क्योंकि यह इनकी पहुंच का नतीजा है। कई समाचार पत्रों में सुर्खियों में आने के बाद भी वर्षों से यहां पर गांधी छाप के दम पर कुंडली मारकर बैठे हैं और आज भी तिलचट्टा की तरह चिपके हुए हैं। बताने वाले तो यहां तक बताते हैं कि फर्जी बिल दवाइयों में घालमेल का खेल चला रहे हैं। सरकार की मंशा अनुसार कार्य नहीं हो रहा है। बड़ी उम्मीद और बड़े जतन के बाद ग्रामीण जनता एवं मतदाताओं ने नई नवेली सरकार को विराजमान किया है। सरकार से स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर मिले ऐसी उम्मीद है।
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