पहुर पिटाई कांड के बाद चरमरायी स्वास्थ सेवा: 50 बेड की सौगात के प्रतिक्षा में जामनेर का उपजिला अस्पताल | New India Times

नरेंद्र इंगले, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:पहुर पिटाई कांड के बाद चरमरायी स्वास्थ सेवा: 50 बेड की सौगात के प्रतिक्षा में जामनेर का उपजिला अस्पताल | New India Times

31 मई को भाजपा पदाधिकारी जिला परीषद सदस्य अमित देशमुख द्वारा जनकल्याण के आवेश में आकर वार्डसेवक अविनाश कराड की पिटाई के बाद पहुर ग्रामीण स्वास्थ केंद्र का परीचालन ठप्प सा हो गया है। पीडित कराड के पक्ष में उतरे स्वास्थ कर्मी संगठनों ने मारपीट की घटना का धिक्कार करते हुए काले फीते लगाकर कामकाज संभाला है।

पहुर मामले मे यह साफ़ देखा जा सकता है कि पुलिस जांच का दायरा जैसे पहले से ही तय कर लिया गया हो। पहुर स्वास्थ केंद्र का कामकाज ठप्प होने के चलते जामनेर उपजिला अस्पताल को मरीजों का अधिक भार ढोना पड रहा है। किसी समय ग्रामीण स्वास्थ केंद्र रहे और बाद में उपजिला अस्पताल का दर्जा प्राप्त कर चुके इस अस्पताल की क्षमता पहले से ही सीमित है। गनीमत यह है कि कर्मियों कि कर्तव्य को लेकर जवाबदेही के कारण अस्पताल के लगभग सभी यूनिट्स में मरीजों को स्वास्थ सुविधाएं मुहैय्या करायी जा रही हैं, ऐसे में मरीजों के अतिरीक्त भार से हो रही परेशानी डाक्टरों तथा कर्मियों की सेवा तत्परता वाले हौसले के समक्ष कोई चुनौती वाला विषय दिखायी नहीं पड रहा है। उपजिला अस्पताल की क्षमता बढाने को लेकर 50 अतिरिक्त बेड को मिली प्रशासनिक मंजुरी की खबरों ने कुछ महीने पहले अखबारों में काफी सुर्खियां बटोरी थीं लेकिन जमीन पर सच्चाई बिल्कुल विपरीत है। अस्पताल के एक कर्मी से बात करने पर पता चला कि 50 बेड्स की घोषित सौगात अब तक अमल में नहीं आ सकी है, प्रतिकुल परिस्थितियों में हम लोग काम कर रहे हैं। अस्पताल की समस्याओं के बारे में मीडिया से अपनी राय साझा करने में भी अब असहजता महसुस होने लगी है, बहरहाल हम से जितना बनता है वह हम मरीजों के लिए करते रहेंगे।

विदित हो कि उपजिला अस्पताल कि समस्याएं जो आए दिन मीडिया जगत में स्पेस कवरेज का काम करने में माकूल साबित होती रही हैं वहीं इन स्पेस कवरेज में रेखांकित समस्याओं के निवारण के लिए किसी के जवाबदेही का कोई निर्धारण होता दिखाई ही नहीं पडता है। वहीं सौगात जैसी अप्राप्त उपलब्धियों को लेकर नेताओं की छवि चमकाने का काम सोशल मीडिया पर काफी शिद्दत से किया जाता है। स्थानीय विधायक तथा सिंचाई मंत्री गिरीश महाजन के पास सायन्स एजुकेशन मंत्रालय का प्रभार है बावजुद इसके स्वास्थ सेवाओं को लेकर उक्त रुप से बनता बिगड़ता गतिरोध और मेडिकल सुविधाओं का अभाव जैसी समस्याए किसी अजूबे से कम नहीं है।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

By nit

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading