मेहलक़ा अंसारी, बुरहानपुर (मप्र), NIT:
रफ़ीक़ रीवानी का शुमार भारत के प्रसिद्ध शायरों में होता है। शिक्षा जगत के साथ रीवा के साहित्यिक प्रेमियों में बड़ा नाम है। अब सेवा निवृत्त होकर पेंशन से जीवनयापन कर रहे हैं। उनके बेटे और पूर्व पार्षद अतीक़ अहमद उर्फ़ राॅकी के मर्डर से आहत होकर वे 24 घंटे इसी गुमतारे में मानसिक तनाव का शिकार हैं। एक भेंट में उन्होंने अपने बच्चे राकी के मर्डर की पूरी दास्तान ब्यान कर दी। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग भोपाल ने 04 फरवरी 2019 को पारित आदेश में न्याय किया है लेकिन विभागीय कार्रवाई की धीमी गति इंसाफ़ को खा रही है। मानवाधिकार आयोग भोपाल के जजमेंट अनुसार उनके बेटे और पूर्व पार्षद अतीक़ एहमद उर्फ़ राकी का 14 फरवरी 2016 की पूर्व रात्रि पुलिस हिरासत में मारपीट करने के कारण मौत हो गई थी। आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भारत के प्रसिद्ध समाचार पत्र ” दैनिक भास्कर ” में 14 फरवरी 2016 को प्रकाशित रिपोर्ट के आधार पर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग भोपाल ने स्वंय संज्ञान लेते हुए 15 फरवरी 2016 को प्रकरण क्रमांक – 1199/रीवा 2016 के अधीन पंजीकृत किया। इस केस को जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन (अध्यक्ष ) और श्री सरब जीत सिंह (सदस्य)ने श्रवण करते हुए 04 फरवरी 2019 को अपनी अनुशंसाओं के साथ आदेश पारित किया। इस हत्याकांड में 8 आरोपीगण सर्वश्री (1) शैलेंद्र भार्गव तत्कालीन टी आई (2) श्याम नारायण सिंह उप निरीक्षक (3) श्री रामेंद्र शुक्ल उप निरीक्षक (4)श्री पीएन दहिया एएसआई (5)महेंद्र पांडे हेड कांस्टेबल 820 (6)जय सिंह आरक्षक (7)तनय तिवारी आरक्षक 98 (8)प्रहलाद दुबे प्रायवेट ड्राइवर की शिनाख्त दस्तावेज़ों के आधार पर आरोपी के रूप में हुई है। कहा जा सकता है कि इन सब की मिलीभगत ने अतीक़ एहमद उर्फ़ राकी को मौत के घाट उतार दिया।मौत के समय मृतक के शरीर पर 21 एक्कीस चोटों के निशान की तस्दीक हुई है। इस घटना के वीडियो यू ट्यूब पर भी उपलब्ध हैं। इस मामले में कोतवाली रीवा में टीआई शैलेंद्र भार्गव सहित अन्य पर भादवि की धारा 302 (34)में अपराध क्रमांक 75/16 में मुकदमा दर्ज है। इस के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी श्री सुनील कुमार शौक़ ने ज्यूडिशियल इंक्वायरी में 11/4/2018 को जो रिपोर्ट पेश की है उस में भी उपरोक्त 8 आरोपियों को इस जधन्य अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग भोपाल के अध्यक्ष जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन और सदस्य श्री सरबजीत सिंह ने संयुक्त रूप से 04 फरवरी 2019 को जो आदेश पारित करते हुए मृतक के पिता रफ़ीक़ रीवानी को मुआवज़े के रूप में 5 लाख रुपये देने की सिफ़ारिश की गई है। इसके अतिरिक्त मुकदमा नं 75/16 में साक्ष्यों के आधार पर कम्पीटेंट कोर्ट में अभियोजन दाखिल करके दो माह में इस केस का निपटारा करने के निर्देश आयोग द्वारा दिए गए हैं और दोषी कर्मचारियों पर विभागीय कार्रवाई करके मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग को अवगत कराने हेतु लेख किया है। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग भोपाल के सचिव ने पारित आदेश की नक़ल अपने सम्यक पत्र क्रमांक 5993 दिनांक 18 फरवरी 2019 से (1)मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन, भोपाल (2)अपर प्रमुख सचिव, म.प्र. शासन, गृह विभाग, मंत्रालय, भोपाल (3)पुलिस महानिदेशक मध्यप्रदेश भोपाल (4) पुलिस अधीक्षक रीवा को अग्रेषित करते हुए एक माह में टीका टिप्पणी सहित पालन प्रतिवेदन भेजने हेतु लेख किया है। लेकिन संसदीय चुनाव के कारण सरकारी अमले के क़ानून व्यवस्था एंव ड्यूटी में व्यस्त रहने के कारण फिलहाल आयोग की रिपोर्ट ठंडे बस्ते में पड़ी है। इस मामले में मृतक के पिता रफ़ीक़ रीवानी ने रीवा के मुस्लिम पुलिस कप्तान से सौजन्य भेंट कर ठोस कार्यवाही की मांग की थी लेकिन पुलिस कप्तान का रवैया निराशा जनक रहा। पुलिस कप्तान के ठंडे रवैये के कारण ऐसा मेहसुस हुआ कि वह अपने मातहत कर्मचारियों के बचाव की मुद्रा में हैं। विधि के जानकारों की राय है कि इस मामले में हाईकोर्ट से डायरेक्शन मिलने के बाद ही शासन-प्रशासन नींद से जागे गा। और तभी कोई ठोस वैधानिक कार्रवाई संभव है। इस मामले में जमीअत उलेमा ए हिंद मृतक के पिता शायर रफ़ीक़ रीवानी से मिलकर क़ानूनी सहायता में सहयोग दे तो मुक़दमे में न केवल जान आ सकती है बल्कि उन्हें एक बड़ा सहारा भी हासिल हो जाएगा। और अदालती कार्यवाही के बाद मृतक अतीक़ उर्फ़ राकी के पिता एंव परिवार को न्याय भी मिल सकेगा। जिसके लिए मृतक के शायर पिता दर दर भटक रहे हैं।
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