हाशिम अंसारी, ब्यूरो चीफ, सीतापुर (यूपी), NIT:
पड़ोसी जिला लखीमपुर खीरी के जंगलों से निकलने वाली पिरई नदी का अस्तित्व इन दिनों संकट में नजर आ रहा है। यह रामकोट के करीब से होकर बिजौरा व रस्योरा के निकट पिरई सरायन नदी में मिल जाती है। इस नदी के किनारे बसे गांवों के बाशिंदे इसी से खेतों की सिचाई करते थे और घरेलू उपयोग के लिए भी पानी लेते थे। एक समय नदी में इतना पानी होता था कि डाल नहर के लिए भी पानी इसी से लिया जाता था। यही वजह थी कि टिक्कनपुर- अल्लीपुर गांव के निकट लिफ्ट कैनाल में पंप लगाकर नहर निकाली गई थी और इससे सिचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाता था। वहीं अल्लीपुर के अलावा, प्रतापुर, बड़ौरा, खगेसियामऊ आदि गांवों के लोग भी इस नदी के पानी का उपयोग करते थे। एक हिसाब से तटीय क्षेत्र के बाशिदों के लिए यह नदी वरदान थी, लेकिन अब यह नदी खुद ही पानी को तरस रही है। खेतों को सिचाई के लिए पानी मिलना तो दूर इसमें पशु पक्षियों की प्यास बुझाने भर को पानी नहीं बचा है। नदी के अधिकांश हिस्से में इन दिनों धूल उड़ती नजर आ रही है। जहां थोड़ा बहुत पानी है भी तो उसमें कीचड़ दिखता है। अगर समय रहते इस नदी पर ध्यान न दिया गया तो पिरई नदी इतिहास बनकर ही रह जाएगी।
नदी में पानी न होने की वजह से पंप नहर को बंद करना पड़ा। पानी आने पर ही पंप नहर अपना काम करेगी। इसको लेकर उच्च अधिकारियों को पत्र भी भेजा गया है: विमल कुमार, अधिशासी अभियंता डाल नहर
शारदा नहर से पानी छोड़ें तो सुधर सकती है हालत
पिरई नदी का पानी सूख चुका है। आसपास का जलस्तर भी नीचे खिसक गया है। नदी में लगे पंप को तभी चलाया जा सकता है जब नदी में पर्याप्त पानी हो। बरसात के वक्त पंप नहर काम करती है। एक विकल्प यह है कि शारदा सहायक नहर से अगर नदी में पानी छोड़ा जाए तो नदी में पानी आ सकता है। नदी का जलस्तर सुधारने के लिए शारदा सहायक नहर ही मदद कर सकती है। वर्ना बरसात आने तक इंतजार करना होगा।
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