दयाशंकर पांडेय, ब्यूरो चीफ, प्रतापगढ़ (यूपी), NIT:
स्थानीय पीजी कॉलेज में बी०ए० की पढ़ाई करने जब खुशबू आई तो पहले विद्यालय प्रशासन को यह समझ में ही नहीं आया कि इसका प्रवेश कर लें तो यह परीक्षा कैसे देगी, पर जब उसने हाईस्कूल और इंटर की बोर्ड की परीक्षा उत्तीर्ण करने का प्रमाण पत्र दिया तो विद्यालय प्रबंधन ने इस बात के लिए उसका लिखने का टेस्ट भी लिया कि यह बीए जैसी पढ़ाई को पूरा कर भी पाएगी या नहीं। पर उसने विद्यालय में जब अपना हुनर दिखाया तो विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ राम भजन अग्रहरि ने उसका संपूर्ण खर्च उठाने का बीड़ा ले लिया। उन्होंने बी०ए० में उसकी संपूर्ण फीस भरी और अब जब वह एम०ए० की परीक्षा के अंतिम वर्ष की परीक्षा दे रही है। उसकी पारिवारिक स्थिति इस तरह की नहीं थी कि उसकी पढ़ाई घर वाले पूरी करा पाते यदि विद्यालय के प्राचार्य ने उसकी पढ़ाई का खर्च वहन करने का वादा ना करते तो शायद वह अपनी पढ़ाई भी पूरा नहीं कर पाती। पिता श्यामलाल मां निर्मला कुल छह भाई-बहनों में खुशबू अपने पिता की सबसे बड़ी औलाद है। वह जहां चार बहनों में सबसे बड़ी है वही इकलौता भाई हिमांशू व दीपांशू अभी पढ़ाई कर रहे हैं। हिमांशू जहां कक्षा छह की पढ़ाई कर रहा है वहीं दीपांशू अभी पढ़ाई का ककहरा सीख रहा है। पिता श्यामलाल मजदूरी करके अपने छह बच्चों का पालन पोषण कर रहा है। उसके सभी बच्चे किसी न किसी क्लास में पढ़ाई कर रहे हैं। फिलहाल खुशबू यह कहावत पूरी तरह से चरितार्थ कर रही है कि यदि दिल में अरमान हो और कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो बिना पैर के भी पहाड़ चढ़ा जा सकता है। खुशबू बीएड करके शिक्षक बनना चाहती है। जिसके लिए वह फार्म भी भरा है और बीएड की पढ़ाई भी पूर्ण करने की ठान रखी है।
क्या कहते हैं लोग
प्राचार्य – डॉ राम भजन अग्रहरि – विद्यालय ऐसे बच्चों की शिक्षा नि:शुल्क देता है जो किसी न किसी रूप से असक्षम हैं। हमने विद्यालय की ही छात्रा निशा शर्मा को बिजली के करंट लग जाने से उसका हाथ चला गया था तो हमने उसे 25 हजार की आर्थिक मदद दी और विद्यालय उसका पूरा खर्च उठा रहा है। इसी तरह खुशबू की फीस व कापी किताब का पूरा खर्चा मेरे द्वारा वहन किया जा रहा है।
पिता – श्यामलाल – मेरी बेटी बड़ी ही होनहार है, दोनों हाथ न होने के बाद भी उसने पढ़ने की जिद की और उसकी जिद रंग लाई आज वह एम०ए० अंतिम वर्ष की परीक्षा दे रही है जिससे हमें अपार खुशी है। उसकी जिद को विद्यालय के प्राचार्य डॉ राम भजन अग्रहरि ने पूरा करने में अपना सहयोग दिया।
मां – निर्मला – मेरी बेटी खुशबू के दोनों हाथ न होने के बाद भी अपने पूरे काम पैर के सहारे कर लेती है उस पर हमें नाज है।
विद्यालय के शिक्षक – डॉ वीरेंद्र मिश्र – खुशबू मेरे विषय समाज शास्त्र की छात्रा है जो बीए प्रथम वर्ष से लेकर एम०ए० तक की पढाई मेरे मार्गदर्शन में पूर्ण किया है। खुशबू जैसी छात्रा इस विद्यालय के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करके जाते हैं जो लंबे समय तक याद किए जाते रहेंगे।
डॉ राकेश पाण्डेय – खुशबू बड़ी ही होनहार लड़की है उसका मृदुल व्यवहार और पढ़ाई करने का जज्बा अन्य बच्चों के लिए प्रेरणा का श्रोत है। परीक्षा ड्यूटी के दौरान राजेश दुबे जी ने छात्रा खुशबू वर्मा को प्रोत्साहित करते हुए हौसला अफजाई किया।
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