फराज अंसारी, ब्यूरो चीफ बहराइच (यूपी), NIT:
अब तक हम और आप ने खादी और खाकी के गठजोड़ के बारे में तो सुना था लेकिन आज हम आपको धरती के भगवान कहे जाने वाले सफेद पोशाक धारी और खाकी वर्दीधारी के गठजोड़ से रूबरू कराने जा रहे हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं शहर के नगर कोतवाल और जिला अस्पताल में तैनात डॉक्टरों के गठजोड़ की जिसमें एक पीड़ित की पहले जमकर पिटायी करने के बाद उसे सलाखों के पीछे ढकेल दिया गया। वैसे तो जिले में पुलिस कप्तान गौरव ग्रोवर की ईमानदारी की मिसालें दी जा रही हैं लेकिन कोतवाली नगर क्षेत्र में ही लगातार आ रही पुलिसिया उत्पीड़नों की एक के बाद एक शिकायतों से कप्तान की ईमानदारी भी अब सन्देहास्पद सी दिखती नज़र आ रही है। दरअस्ल मामला जिला अस्पताल में इलाज कराने आये एक पति पत्नी से जुड़ा है। जिनका आरोप है कि ओपीडी में तैनात डॉक्टर ने न सिर्फ उनसे अभद्रता की बल्कि पीड़ित की जमकर पिटाई भी कर दी। मामला की जानकारी होते ही सीएमएस भी पहुंच गये और युवक को अपने ऑफिस में धकेलते हुए ले गये और उन्होंने भी उसकी धुनाई कर दी। पीड़ित ने बताया कि उसने किसी तरह डायल 100 पर फोन कर पुलिस बुलाया तो मनबढ़ हो चुके सीएमएस साहब ने पुलिस कर्मियों के सामने भी उसे थप्पड़ जड़ दिये। मामला सिर्फ यहीं तक सीमित रहता तब भी गनीमत थी लेकिन आज खाकी वर्दीधारियों की दबंगई और खुले घालमेल की भी परत दिख गयी। पीड़ित जब कोतवाली नगर शिकायती पत्र लेकर पहुंचा तो पहले तो पीड़ित से कोतवाल नगर ने मारपीट करने वाले डॉक्टरों से माफी मांगने को कहा, इस पर जब पीड़ित ने इनकार किया तो कोतवाल साहब का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया और उन्होंने अपना रौब गालिब करते हुए कहा कि तुम्हारी शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं कि जायेगी और अभी हम तुम्हें ही बन्द कर देंगे और इसके बाद कोतवाल साहब ने कुछ किया भी ऐसा ही पीड़ित के खिलाफ ही मामला पंजीकृत कर उसे ही जेल भेज दबंगई की सारी हदें पार करने वाले डॉक्टरों को बचा लिया। सवाल यह उठता है कि नगर कोतवाल आखिर पीड़ित से ही माफी मांगने की बात क्यों कर रहे थे और उन्होंने पीड़ित को ही बंद करने की धमकी क्यों दे डाली? क्या यही है गौरव ग्रोवर पुलिस की सराहनीय कार्यप्रणाली जिसमें एक पीड़ित को ही जेल भेज दिया जाता है। बताया जाता है कि आरोपी डॉक्टर मौजूदा सत्ताधारी दल के विधायक जी के करीबी रिश्तेदार हैं और शायद यही वजह है कि कोतवाल साहब खुल कर डॉक्टर साहब की वकालत करते कैमरे में कैद हो गये।
बीमारियों या हादसों का शिकार इंसान या तो अपने दुख की घड़ी में भगवान के आगे सर झुकाता है या फिर भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों के आगे चरणबद्ध होता है। उसे यकीन होता है कि उसकी पीड़ा ईश्वर के बाद धरती के भगवान माने जाने वाले डॉक्टर साहब ही कम कर सकते हैं। लेकिन जब भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर इंसानियत का पाठ भूल जाएं तो उन्हें क्या कहा जाए ये समझ से परे है। उत्तर प्रदेश सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर से बेहतर करने व प्रदेशवासियों को सरलता से उचित एवं त्वरित मेडिकल सेवाओं को सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क उपलब्ध कराने का दावा कर रही है लेकिन उसके दावे महज़ खोखले ही साबित होते दिख रहे हैं। आज हम आपको एक सरकारी अस्पताल की ऐसी करतूत से रूबरू करवाने जा रहे हैं जिसे जानने के बाद आपको सरकारी असप्तालो में तैनात भगवान माने जाने वाले डॉक्टरों पर से भरोसा टूट जायेगा और आपके यहां आने से पहले रूह कांप उठेगी कि कहीं आप भी इन हैवान हो चुके धरती के भगवान के शिकार न हो जायें। ये जिला अस्पताल अब जल्लादों का अस्पताल होता जा रहा है। यहाँ अपनी पीड़ा कम कराने के लिये आये मरीजों और तीमारदारों की पीड़ा कम करने के बजाए खुद डॉक्टर साहब ही पीड़ा बढ़ाते नज़र आ रहे हैं। जिस अस्पताल में लोग अपनी चोटों पर मरहम लगवाने आते हैं उसी अस्पताल में मरहम लगाने वाले दबंग डॉक्टर ने युवक को ऐसे ज़ख्म दे दिए जिसकी कल्पना भी युवक ने कभी नही की होगी। जी हां हम बात कर रहे हैं शहर के फ्री गंज निवासी अजय कुमार तिवारी पुत्र उमा नरायन तिवारी की जो रैबीज का इंजेक्शन लगवाने अपनी पत्नी काजल संग जिला अस्पताल के कमरा नम्बर 18 में पहुंचे थे। काफी देर
प्रतीक्षा करने के बाद भी जब अजय का नम्बर नहीं आया तो उन्होंने डॉक्टर से अपने नम्बर के बारे में पूछ लिया और उसका पूछना ही उसके लिये काल बन गया जिसने उन्हें और उनके परिवार को ऐसा सदमा दिया जिसे वह व उनका परिवार अब शायद ही कभी भूल पायेगा। पीड़ित का आरोप है कि अपने नम्बर के बारे में पूछने पर कक्ष में मौजूद डॉक्टर अंशुमान सिंह भड़क उठे और उनसे अभद्रता करने लगे। पीड़ित की मानें तो जब उसने अभद्रता का विरोध किया तो डॉक्टर साहब का पारा चढ़ गया और उन्होंने अपने गुर्गों संग उनकी पिटायी शुरू कर दी। पीड़ित ने बताया कि जब उसे बचाने उसकी पत्नी आगे आयी तो उससे भी अभद्रता करते हुए धकेल दिया गया। अजय अपनी आप बीती सुनाते हुए कहते हैं कि हू हल्ला सुन मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर डी0के0 सिंह भी मौके पर पहुंच गये और वह भी उसे धकेलते हुए अपने कक्ष में ले गये जहां डॉक्टरों और सहयोगियों संग मिलकर उन्होंने युवक की जमकर पिटायी कर दी।
अजय ने बताया कि मौका पाकर उसने डायल 100 पर फोन कर पुलिस बुलाया लेकिन दबंग सीएमएस ने डायल 100 पुलिसकर्मियों के सामने ही उसे फिर से थप्पड़ जड़ दिये। पीड़ित अपनी पत्नी संग शिकायती प्रार्थना पत्र लेकर कोतवाली नगर पहुंचा और न्याय की गुहार लगायी लेकिन कोतवाल साहब को शायद कहीं से कुछ और निर्देश पहले से ही मिल चुके थे। जिसके बाद से कोतवाल साहब ने अपनी वर्दी का रौब झाड़ते हुए उल्टा पीड़ित से ही डॉक्टर से माफी मांगने को कहा। कोतवाल डीके श्रीवास्तव ने पीड़ित से कहा कि डॉक्टर से माफी मांग लो बात यही खत्म हो जायेगी। इस पर जब आरोपी ने कोतवाल की इस बात का विरोध करते हुए अपने शिकायती प्रार्थना पत्र के आधार पर आरोपी डॉक्टर व सीएमएस पर कानूनी कार्यवाही करने की बात कही तो कोतवाल साहब का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया और उन्होंने पीड़ित से कहा कि तुम्हारी शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं होगी और अभी हम तुम्हें ही बन्द कर देंगे। कोतवाल साहब की धमकी और उनका डॉक्टर प्रेम वहां मौजूद मीडिया कर्मियों के कैमरों में कैद हो गया। कोतवाल साहब अपनी वर्दी की टशन में इतने चूर थे कि उन्होंने वहां मौजूद मीडिया कर्मियों को भी धमकी दे डाली। इसके बाद पीड़ित के शिकायती पत्र को कोतवाल साहब ने रद्दी के टोकरे में डालकर पीड़ित पर ही डॉक्टर की तहरीर पर आईपीसी की धारा 332, 186, 504, 506 भारतीय दण्ड संहिता व उत्तर प्रदेश चिकित्सा परिचर्या सेवा कर्मी और चिकित्सा परिचर्या सेवा कर्मी सेवा संस्था (हिंसा और सम्पत्ति की क्षति का निवारण) अधिनियम 2013 की धार 3ए के तहत मुकदमा नम्बर 153/19 पंजीकृत कर पीड़ित अजय को ही जेल भेज दिया। बताया जाता है कि डॉक्टर अंशुमान सिंह मौजूदा सत्ताधारी दल के मौजूदा विधायक के भतीजे लगते हैं और इसीलिये कोतवाल नगर सहित स्थानीय पुलिस डॉक्टर साहब के आगे नतमस्तक रही।
विवादों में रहा है जिला अस्पताल
मरीजों या तीमारदारों से जिला अस्पताल में मारपीट का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले अभी बीते वर्ष ही इसी जिला अस्पताल के इमर्जेमसी वार्ड में तैनात एक डॉक्टर ने अपने सहयोगियों संग मिलकर अपनी मामी को दिखाने आये एक भांजे को जमकर पीटा था। खास बात यह है कि उस समय भी इसी जिला अस्पताल के डॉक्टर ने पुलिस की मौजूदगी में ही युवक को पीटा था जैसा कि आज सीएमएस ने डायल 100 पुलिस कर्मियों के सामने ही युवक को पीटा है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि तब भी आरोपी डॉक्टर के विरुद्ध स्थानीय पुलिस ने कोई कार्यवाही या मुकदमा पंजीकृत नहीं किया था और आज भी नहीं किया है।
विवादों में घिरे रहे हैं नगर कोतवाल व उनके मातहत
विवादों से नगर कोतवाल डीके श्रीवास्तव का पुराना नाता रहा है। लेकिन यह उनके जैक का ही कमाल है कि लगातार आ रही शिकायतों के बावजूद भी आज तक ईमानदार माने जाने वाले पुलिस कप्तान गौरव ग्रोवर ने उन पर कोई कार्यवाही करने की जहमत उठाना गवारा नहीं किया। वह चाहे प्राइवेट गाड़ियों के शीशे तोड़ना हो, किसी पत्रकार से अभद्र व्यवहार करना हो या फिर सरे-राह किसी की भी पिटाई कर देने का मामला हो और या फिर शुक्रवार के पीड़ित को ही अपराधी बना देने का मामला हो। कोतवाली नगर व उनके अधीन पुलिस चौकियों का हाल तो यह है कि रोडवेज स्थित पुलिस चौकी में सगे भाई बहनों को जबरन घण्टो चौकी पर बिठा उनके साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है और विभागीय जिम्मेदार कुम्भकर्णीय नींद में लीन रहते हैं।
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