लोकसभा चुनाव में सट्टा बाजार से हटकर कांग्रेस दिख रही है अपने प्रतिद्वंद्वियों से आगे | New India Times

अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT:लोकसभा चुनाव में सट्टा बाजार से हटकर कांग्रेस दिख रही है अपने प्रतिद्वंद्वियों से आगे | New India Times

पांच साल पहले किये चुनावी वादों व सांसद कार्यकाल पर बात करने से बचकर दूर भागने वाले अधीकांश भाजपा उम्मीदवारों के जनता के बीच जाने पर हो रहे तीखे सवाल जवाब से लगने लगा है कि अनेक दफा औंधे मुहं गिर चुका सट्टा बजार चाहे कुछ भी कहे लेकिन राजस्थान की सभी पच्चीस सीटों मे कांग्रेस बढत बनाने के रहने वाली है ।
हालंकि राजस्थान में कांग्रेस का बीटीपी से समझौता ना होने से मेवाड़ में जरा दिक्कत महसूस हो रही है फिर भी बांसवाड़ा में मुकाबला त्रिकोणीय बना हुआ है। इसके साथ ही अनुसूचित जनजाति वर्ग को आरक्षित सीटों के अलावा टोंक-सवाईमाधोपुर व कोटा जैसी जनरल सीट अलग से देने पर पूरे अनुसूचित व अनुसूचित जनजाति वर्ग में कांग्रेस के प्रति गहरी मोहब्बत होना देखा जा रहा है। इसी तरह राजपूत बहुलता वाले चित्तौड़गढ़ लोकसभा में करीब पच्चीस साल बाद किसी भी दल से राजपूत उम्मीदवार नहीं आने से जो निराशा कायम थी उस पर कांग्रेस ने राजपूत उम्मीदवार देकर गहरी चोट की है।

लोकसभा चुनाव में सट्टा बाजार से हटकर कांग्रेस दिख रही है अपने प्रतिद्वंद्वियों से आगे | New India Times

भारतीय स्तर पर तीन दौर में कुल 304 लोकसभा क्षेत्रों में हुये मतदान में भाजपा 2014 के मुकाबले काफी कुछ खोती नजर आ रही है। पहले दौर के 91 व दूसरे दोर के 95 सीटों मे भाजपा काफी कमजोर नजर आई है। गुजरात जैसे राज्य में जब भाजपा पहले के मुकाबले पिछड़ती नजर आ रही है तो फिर कर्नाटक, आसाम, महाराष्ट्र व आंध्रप्रदेश में तो काफी पिछड़ना तय है। यूपी बीहार में गठबंधन काफी आगे निकलता नजर आ रहा है तो दक्षिण व पश्चिमी बंगाल मे 2014 की स्थिति से भी भाजपा लूढक रही है हां दिल्ली, आसाम व कुछ हिन्दी क्षेत्रो मे कांग्रेस की जिद्द के कारण सेक्यूलर ताकतों से समझौता नहीं होने से भाजपा नेताओं के मुहं में लड्डू जरुर फूट रहे हैं।

राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर तीन दिन बाद चुनाव प्रचार खत्म हो रहा है यहाँ 29 अप्रेल को मतदान होना है। उन 13 सीटों पर प्रचार चरम पर है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी डूंगरपुर व प्रधानमंत्री जोधपुर में सभा करके राजनीतिक पारा गरम कर चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को गलत रुप मे टारगेट करने से मारवाड़ में खासा उलटा असर होता देखा जा रहा है। भाजपा के पैतृक संगठन के लोग खासतौर पर सीमावर्ती सीटों पर अलग तरह से भावनात्मक प्रचार कर रहे हैं एवं राष्ट्रीयता की दुहाई देने पर मतदाताओं के तीखे सवालों के जवाब उन्हें झकझोर रहे हैं।
राजस्थान की 12 सीटों पर 6 मई को होने वाले मतदान से पहले अब चुनाव प्रचार धीरे धीरे परवान चढने लगा है। शेखावाटी जनपद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के आने की सम्भावना पर एक मतदाता कहता है कि शेखावाटी का मतदाता राष्ट्रीय नेताओं के आने से मन ना तो बनाता है ओर ना बदलता है। यहां का मतदाता उम्मीदवार व सरकार की छवि, कार्यकुशलता व किये कामों के आंकलन पर मतदान करने का मन बनाकर मतदान करता रहा है। उसने कहा कि तीन महीने पहले हुये विधानसभा चुनाव में सीकर जिले के मतदाताओं ने भाजपा को हराने का मन बना लिया था। मतदान के तीन दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सीकर में सभा करके गये और जब परिणाम आया तो जिले की आठों सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों को हार का मजा चखना पड़ा था।

कुल मिलाकर यह है कि पहली दफा भाजपा के पैतृक संगठन के कार्यकर्ता अलग रुप में चुनाव प्रचार में मुखर होकर विकास व जनता से किये वादो को छोड़कर मतदाताओं के मध्य कथित राष्ट्रीयता के मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं जबकि खासतौर पर सो साल पहले भी रेड़ियो पर बीबीसी की खबर सूनने वाला शेखावाटी का मतदाता अब तो पल पल की खबरों से अपडेट रहने का आदि हो चुका है। हर एक मतदाता मुद्दों पर बहस करने लगा है। वो बैंक पासबुक दिखाकर कहता है कहाँ है 15 लाख रुपये, बेरोजगार बेटा बेटी पूछते है कहां है हर साल दो लाख लोगों को रोजगार, महिला पूछती है क्या रहा नोटबंदी का। तर्क-वितर्क किये बीना यहां का मतदाता किसी को भी सीधे सीधे मत देने का आदि नजर नहीं आता है।
कुल मिलाकर यह है कि राजस्थान की पच्चीस सीटों पर सट्टा बजार चाहे जो खेल खेले लेकिन जमीनी हकीकत साफ नजर आ रही है कि राजस्थान में बढत 23-मई के परिणाम में कांग्रेस की ही निकल कर आयेगी।


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