फराज़ अंसारी, ब्यूरो चीफ, बहराइच (यूपी), NIT:
उत्तर प्रदेश की बेसिक शिक्षा मंत्री के जिले में ही सर्वशिक्षा अभियान को पलीता लगाया जा रहा है। इस अभियान के तहत सब पढ़ें, सब बढ़ें का नारा गांव-गांव गूंज रहा है। नारा सुंदर भी है, मगर सवाल यह है कि जब विद्यालय में पढ़ने के लिए आने वाले बच्चों से ठेलिया से सिलेंडर ढुलाया जाएगा तो कैसे पढ़ेगा इंडिया और कैसे बढ़ेगा इंडिया। बहराइच जिले के रिसिया ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय भैंसाही की इस तस्वीर को गौर से देखें। छात्र-छात्राएं मजदूरों की तरह ठेलिया पर सिलेंडर ढो रहे हैं। ऐसे में इनका भविष्य कैसे सुधरेगा? इससे जिम्मेदार बिल्कुल अनजान हैं।
रिसिया ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय भैंसाही में पढ़ लिखकर अपना भविष्य संवारने के सपना लेकर आने वाले बच्चों से ठेलिया से सिलेंडर ढुलाने का कार्य कराया जा रहा है। यहां अध्ययनरत बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाने वाले शिक्षकों की लापरवाही साफ नजर आ रही है। जिन बच्चों को काॅपी, किताब से ककहरा सीखना है वह ठेलिया से मध्याह्न भोजन के इंतजाम के लिए गैस सिलेंडर ढो रहे हैं। यहां चार शिक्षकों की तैनाती है इसके बावजूद मासूमों का भविष्य दांव पर है। एनआईटी संवाददाता ने जब विद्यालय का जायजा लिया तो शिक्षिका शिखा, शिक्षामित्र मीरा वर्मा तो रिजल्ट तैयार करने में व्यस्त दिखे, शिक्षा मित्र बांके लाल परीक्षाफल तैयार करने में व्यस्त नजर आए। बच्चों के सड़क पर ठेलिया में सिलेंडर ढोने के बारे में जब विद्यालय की शिक्षिका शिखा सिंह से बात की गई तो पहले तो उन्होंने संवाददाता पर ही दबाव बनाने का प्रयास किया लेकिन जब तस्वीरें उनके सामने रखी गईं तो वो सफाई देने लगीं कि वह परीक्षाफल तैयार कर रही थी। बच्चे खेल-खेल में ठेलिया लेकर घूम रहे हैं। ये शिक्षा विभाग का पहला कारनामा नहीं है, हाल ही में बहराइच के ही जरवल विकास खंड के झुकिया प्राथमिक विद्यालय में स्कूली बच्चों का झाड़ू लगाते और कूड़ा उठाते हुए वीडियो वायरल हुआ था। अब अगर ऐसे ही शिक्षकों के भरोसे भारत के भविष्य को संवारने का जिम्मा है तो कैसे पढ़ेगा इंडिया और कैसे बढ़ेगा इंडिया?
हमेशा की तरह इस मामले में भी बहराइच के बीएसए एसके तिवारी ने जांच कराकर कार्यवाही करने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया है।
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