मेहलक़ा अंसारी, बुरहानपुर (मप्र), NIT:
अपने 2008 के कार्यकाल के दौरान किए गए शिक्षक भर्ती घोटाले में थाना सिटी कोतवाली पुलिस ने जनपद पंचायत बुरहानपुर के सीईओ आरोपी श्री अनिल पवार को गिरफ़्तार कर माननीय मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी बुरहानपुर श्री अनिल चौहान के न्यायालय में पेश किया। आरोपी की ओर से माननीय न्यायालय के समक्ष ज़मानत की अर्ज़ी पेश की गई, जिसका अभियोजन पक्ष की ओर से अभियोजन अधिकारी श्री सुरेंद्र सिंह वास्केल ने आपत्ति लेते हुए विरोध किया। उन्होंने माननीय न्यायालय को बताया कि मामला गंभीर प्रकृति का है तथा अभी विवेचना बाक़ी है तथा विवेचना में आरोपी की ज़रूरत है। अभियोजन पक्ष के तर्क सुनने के बाद माननीय न्यायालय ने विचारोपरांत आरोपी एवं जनपद सीईओ अनिल पवार को 30 मार्च 2019 तक पुलिस रिमांड मंज़ूर कर लिया। इस गिरफ़्तारी से शिक्षक भर्ती घोटाले के और कई राज़ का पर्दा फ़ाश होने की संभावनाऐं हैं। जानकारी के अनुसार वर्ष 2008 – 2009 में ग्रामीण क्षेत्रों में हुई शिक्षक भर्ती में गंभीर अनियमितताओं के चलते लगभग 150 ऐसे लोगों को नौकरी दी गई, जो इस के पात्र नहीं थे। लेकिन अनियमितता, मनमानी और दस्तावेज़ों में हेरफ़ेर और कूट रचना के से नियुक्ति आदेश जारी किए गए थे। इस मामले में की गई शिकायतों के बाद ज़िला पंचायत के तत्कालीन सीईओ श्री शीलेन्द्र सिंह ने शिक्षकों के दस्तावेज़ सत्यापन का आदेश दिया तो कई शिक्षकों के पैर के नीचे की ज़मीन खिसक गई। इसी दौरान फ़र्ज़ी नौकरी पाने वाले 67 शिक्षकों को बर्खास्त करने के साथ तीन शिक्षकों एंव एक लिपिक को गिरफ्तार भी किया गया था। सीएसपी बुरहानपुर ने इस मामले की जानकारी देते हुए मीडिया को बताया कि प्रथम दृष्टया लगभग 117 शिक्षकों की नियुक्ति अवैध रूप से होना पाई गई है। इससे शासन के खज़ाने पर लाखों रुपये की चपत लगी है। इस गिरफ़्तारी के बाद भी जन चर्चा है कि इसके मास्टर माइंड अभी भी गिरफ़्त से दूर हैं। अब देखना यह है कि इस गिरफ़्तारी से और कितने अधिकारियों पर गाज गिरती है ? अपात्र लोगों की भर्ती से वह पात्र लोग जिनका वास्तविक रूप से चयन होता, आज वह एज लिमिट की सीमा में आने के कारण अपने भविष्य पर आंसू बहा रहे हैं। उन्हें अब नौकरी मिलने से रही।
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