रहीम शेरानी हिंदुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
आदिवासी बाहुल्य झाबुआ जिला चाहे किसी क्षेत्र में अपना नाम दर्ज नहीं करवा पाया हो लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में झाबुआ जिले के अधिकारी कर्मचारियों ने बोफोर्स एवं ताबूत एवं अन्य विश्व स्तर के भ्रष्टाचार के भी रिकार्ड तोड़ दिए हैं लेकिन फिर भी आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो ने इस जिले में प्रवेश नहीं किया है। भ्रष्टाचार पर भ्रष्टाचार की पोल खोल रहा है वैसे तो झाबुआ जिले के सरकारी गैर सरकारी विभागों की पोल ओर भ्रष्टाचार उजागर करे तो मनो नहीं टर्नो कागज,कलम, भी कम पड़ जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा ! झाबुआ जिले से मात्र 16 किलोमीटर की दूरी पर बसे मेघनगर 61 ग्राम पंचायतों का नेतृत्व करने वाला विकास खंड है ओर बुनियादी सुविधाओं का केंद्र भी है एवं सरकार की मंशा अनुसार उक्त स्वास्थ्य सेवा भी है ! लेकिन भ्रष्टाचार के चलते यहां की स्वास्थ्य सेवाएं हमेशा ठप्प पड़ी रहती है ! और ठप्प पड़ी स्वास्थ्य सेवा का लाभ झोलाछाप डॉक्टर गरीब भोले-भाले आदिवासियों का खुलकर शोषण कर रहै है झाबुआ जिले के मेघनगर आजाद चौक सरसी बाई धर्मशाला में एक झोलाछाप डॉक्टर ने टेबल कुर्सी किराए से लेकर अपना दवाखाना खोला था तब से लेकर आज तक बगेर डिग्री के तथाकथित डॉक्टर ने करोड़पति बन कर दिखा दिया है ! जिसमें अकेले मेघनगर के सबसे व्यस्त मार्ग आजाद चोक सरसी बाई धर्मशाला को कानून कायदे ताक में रख कर धर्मशाला को खरीद कर दवा खाना खोला जिसकी कीमत लाखों में है एवं उसी डॉक्टर ने एक पाश इलाके में बहु मंजिला मकान खरीदा कर स्थानीय करोड़ पतियों को निचा दिखा दिया इस संदर्भ में कई बार अखबारो की सुर्खियों में रहने के बाद भी आज तक उक्त डॉक्टर के खिलाफ किसी भी विभाग ने कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं दिखाई। क्या जिले में कोई ईमानदार अधिकारी नहीं है जो सरकारी रिवाईनिंग चेयर पर से उठ कर फर्जी झोलाछाप डॉक्टरों पर इमानदारी से कार्यवाही कर अपने वतन के खाए हुए नमक का कर्ज उतार दे।
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