ओवैस सिद्दीकी, ब्यूरो चीफ, अकोला (महाराष्ट्र), NIT:
स्वास्थ्य एवं खाद्य औषधी विभाग की लापरवाही की वजह से शहर पूरी तरह से बीमारियों के मुहाने पर बैठा है। शहर का ऐसा कोई कोना नहीं है जहां खुले तौर पर फूड सेफ्टी एक्ट की धज्जियां न उड़ रही हों। लोगों को बीमारियां परोसने वाले कानून से बेखौफ इस धंधे को अंजाम दे रहे हैं। शहर में लगने वाली चौपाटी हो, हर गली-मोहल्ले में खुले ढाबे हों या फिर मेन बाजार में लगने वाली रेहडिय़ां हों, इन पर कभी भी स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन ने शिकंजा नहीं कसा, कार्रवाई की भी तो तब जब कोई शिकायत की गई अन्यथा फूड इंस्पैक्टर हों या फिर सेहत विभाग पूरी तरह से आंखें बंद कर मिलावटखोरों एवं बीमारियां परोसने वाले इन लोगों का तमाशा देखते रहे हैं।शहर का दौरा किया तो पाया कि किसी भी मुख्य बाजार जैसे नेहरु पार्क, बस स्टैंड व, रेलवे स्टेशन, स्कूल कॉलेज के पास हो या फिर शहर के भीड़भाड़ वाले मेन बाजार में लगने वाली रेहडिय़ां हों, कहीं भी फूड सेफ्टी एक्ट का ध्यान नहीं रखा जाता। खाने का मैटीरियल घर से ही तैयार कर लाया जाता है। इसे खुले में रखा जाता है और मौके पर ही गर्म कर सब कुछ परोसा जाता है। सबसे हैरानी की बात तो यह है कि परोसते समय किसी ने भी ग्लव्ज तक नहीं पहने होते और ऐसे ही गंदे हाथों से सब कुछ परोस दिया जाता है। दुसरी ओर सेहत के पर अत्यंत खराब प्रभाव डालने वाले अजिनो मोटो धडल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन कोई विभाग इस ओर ध्यान देने को तैयार नहीं है। उक्त खाना बनता है बीमारियों का घर, मगर इन बीमारियों से बचाने के लिए जिला प्रशासन स्तर से भी कभी कोई गंभीर प्रयास नहीं क्या है। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग सिर्फ तब जागता है, जब शहर में डायरिया, पीलिया, डेंगू, मलेरिया या अन्य कोई गंभीर बीमारी फैलती है।
चौपाटी, ढाबे या रेहड़ी लगाने वालों को कभी जागरूक भी नहीं किया जाता है कि वह खाना बनाते और परोसते समय किन-किन बातों का ध्यान रखें। बस इसी बात का फायदा उठाकर लोगों को विषैला भोजन परोसा जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो दूषित पानी, खाने का समय न होना और बाहर के खाने को तवज्जो देना, पौष्टिक आहार से दूरी बनाए रखना ये कुछ ऐसी वजह हैं जिससे पेट दर्द, गैस व लीवर में सूजन आदि की समस्या उत्पन्न होती है।
बाहर का खाना फैट और कैलोरी से है भरा
बाहर रेस्तरां में बिकने वाले अधिकतर फूड में फैट और कैलोरी की मात्रा सबसे ज्यादा होती है। उनका मकसद लोगों का स्वास्थ्य न होकर चटपटा और मसालेदार भोजन परोसना है जो सेहत को नुकसान पहुंचाता है। यदि आप नियमित रूप से इसे खाते हैं तो आपको मोटापा एवं हाई कोलैस्ट्रॉल घेर लेता है।
यदि अपने आप को फिट, हैल्दी और बीमारियों से मुक्त रखना चाहते हैं तो कोशिश कीजिए कि बाहर का खाना कम खाएं। ऐसा इसलिए, क्योंकि जो आप खाना खा रहे हैं उनमें किस चीज का इस्तेमाल हुआ है और वह कैसे बना है इसकी जानकारी आपको नहीं है। ऐसा माना जाता है कि बाहर के खाने में कई प्रकार की गंदगियां मिली होती हैं। इसके अलावा खाना पकाने के लिए जो तेल इस्तेमाल किया जाता है, उसे कई दिनों तक दोबारा प्रयोग में लाया जाता है जो आपके हैल्थ के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है। साथ ही वे लोग साफ पानी का भी प्रयोग नहीं करते। इसलिए घर के खाने का बाहर के खाने से दूर-दूर तक कोई मुकाबला नहीं है।
सिर्फ त्यौहार पर ही हेल्थ डिपार्टमेंट की अँखे खुलती हैं तथा कारवाई का दिखावा करते हुए छापेमारी की जाती हैं बाकी दिन कुंभकरण की नींद सोए रहते हैं शहर में आए दिन नए ढाबे, हॉटले, रेहडिया एवं फस्ट फूड की दुकाने खुल रही है उपभोक्ताओ को आकर्षित करने नए नए तरीके आजमाए जा रहे है स्वस्थ विभाग द्वारा इनके खाद्य पदार्थो एवं रसोइ घर की जांच की जाना चाहिए सूत्रो के मुताबिक कारवाई न करने के उपलक्ष्य मे इन दुकानदारो द्वारा स्वस्थ एवं खाद्य औषधी विभाग के अधिकारीयो को मोटी रकम पहुचा दि जाती है या फिर अधिकारीयो के घर पार्टी वगैरा के अवसर पर फ्री मे भोज भेजा जाने की चर्चाए भी विक्रेताओं मे जारी है। इस्की वजह से कोई कारवाई नही होती स्वस्थ एवं खाद्य औषधी विभाग पर आए दिन भ्रष्टाचार के आरोप नागरिको द्वारा लगाए जारहे है।आइना दिखाती हुई यह खबर के बाद आखीर कब उक्त दोनो विभाग अपनी कुंभ करन निंद से जाग कर नागरिको के स्वस्थ से कीए जारहे खिलवाड को रोकेगे यह आने वाला समय ही बतायेगा।
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