ताहिर मिर्ज़ा, उमरखेड़/यवतमाल (महाराष्ट्र), NIT:
सूफी संतों की बस्ती कहे जाने वाले उमरखेड़ शहर एक ऐसे इन्सान के साथ से दूर हो गया जिसके हर कार्य में शहर के अंदर हिन्दू मुस्लिम एकता की बात होती थी। एमआईएम की नगरसेविका के पति तथा उमरखेड़ शहर के सामाजिक काम में अपना पूरा समय देने वाले अख्तर खान नदवी सहाब (अलीम सहाब) का शुक्रवार की सुबह दिल का दौरा पड़ने से इंतकाल हो गया। आलिम साहब की मौत से पूरे शहर में गम का माहौल बन गया है। इसी तरह उनके ओर से किए गए हर कार्य पर शहर की जनता की आंखे नम हो गईं। अलिम सहाब ने अपनी पूरी ज़िंदगी एक निडर, निःस्वार्थ इन्सान के तौर पर गुजारी। उसी तरह अलिम सहाब ने उमरखेड़ शहर में हर उस समय अपनी आवाज बुलंद की जब कमज़ोर और बेबस लोग किसी मुश्किल का शिकार होते थे। उनकी एक बात आज भी लोगों को याद है जब 2016 में उमरखेड़ शहर में दंगा हुई थी। इस दंगा में बहुत से बेकसूर लोगों को गिरफ्तार किया गया था जिस पर अलिम सहाब ने एक शांति सभा में सभी सरकारी अधिकारियों के सामने ने एक बेबाक अंदाज़ में बेकसूर गिरफ्तार लोगों की गिरफ्तारी पर कड़ी अपत्ति जताई थी जिस पर प्रशासन ने जांच करते हुए कुछ लोगों को छोड़ा भी था। अक्सर देखा गया के आलिम सहाब की हर बात प्रशासन के अधिकारियों में एक अपना मुकाम रखती थी। उसी तराह आलिम साहब की ओर से कही गई हर ज़रूरी बात पर प्रशासन के प्रतिनिधि ध्यान देते थे। आज यह कहना गलत ना होगा कि उमरखेड़ शहर में एक अमन की किरण अब कभी देखने को नहीं मिलेगी। जो काम आलिम सहाब ने किए हैं औवो काम शहर की जनता हमेशा याद रखेगी।
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