स्वच्छता सर्वेक्षण में बड़ा उलटफेर, धुलिया अस्वच्छ गंदे शहरों की सूची में दसवें स्थान | New India Times

अब्दुल वाहिद काकर, ब्यूरो चीफ, धुले (महाराष्ट्र), NIT:

स्वच्छता सर्वेक्षण में बड़ा उलटफेर, धुलिया अस्वच्छ गंदे शहरों की सूची में दसवें स्थान | New India Timesअस्वच्छ गंदे शहरों की सूची में दसवें स्थान पर पहुंच कर धुलिया शहर ने नाम रोशन किया है जिसके चलते नागरिकों में महानगर पालिका प्रशासन स्वच्छता विभाग के प्रति नाराजगी जताते हुए कहा कि करोड़ों रुपए शहर की स्वच्छता के नाम पर ठेकेदारों को दिए जाते हैं लेकिन शहर के विभिन्न स्थानों पर कूड़ा करकट गंदगी का अंबार लगा हुआ है जिसका खामियाजा भुगतना पड़ा है और धुलिया का शुमार गंदगी भरे अस्वच्छ शहरों की सूची में सब से आखरी स्थान पर किया गया है।

सबसे फिसड्डी शहर धुलिया पांचवे पर पर बीड़

सफाई के मामले में सबसे फिसड्डी शहर उत्तर महाराष्ट्र का धुलिया सर्वे में सबसे आखिरी नंबर पर है। इस साल के स्वच्छता सर्वेक्षण के नतीजों से पता चला है कि सफाई के मामले में देश के कई शहरों में बड़ा उलटफेर हुआ है। इस बार मध्य प्रदेश का इंदौर शहर पहले नंबर पर और भोपाल दूसरे नंबर पर रहा है, जबकि तीसरा नंबर विशाखापट्टनम का आया तो सब से फिसड्डी शहरों में महाराष्ट्र के बीड़ पांचवे पायदान पर तो धुलिया महानगर गंदे शहरों में दसवें स्थान पर रहा है।

कचरा संकलन के करोड़ों के ठेका में भ्रष्टाचार का आरोप

धुलिया महानगर पालिका प्रशासन द्वारा निर्धारित किये गए ठेकेदार पर तत्कालीन पार्षदों व अधिकारियों से मिलीभगत कर लाखों रुपए के भ्रष्टाचार के आरोप लगाया गया है। मनपा महासभा में सुधाकर देशमुख पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट करने की मांग की गई लेकिन मनपा प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। स्वच्छता अभियान के प्रचार पर लाखों रुपए खर्च किए गए, पोस्टर बाजी की गई लेकिन जमीनी स्तर पर किसी भी तरह का स्वच्छता अभियान चलाया नहीं गया जिसके चलते शहर को फिसड्डी शहर के टॉप 10 शहरों में सबसे नीचे शुमार किया गया जिसके चलते मनपा आयुक्त सुधाकर देशमुख, स्वच्छता विभाग तथा ठेकेदार की लापरवाही साफ दिखाई देती है। स्वच्छता अभियान के नाम पर सैकड़ों घंटा गाड़ियां ली गई हैं लेकिन वार्डों में इनके दर्शन भी नहीं होते। नगरसेवकों की मिलीभगत से पुराने खटारा ट्रैक्टरों के माध्यम से 3 से 5 वार्डों में एक ट्रैक्टर से कचरा संकलन किया जाता है। इसी तरह स्वच्छता कर्मी भी वार्ड में हफ्ते में दो से 3 दिन ही आते हैं। सब मिलाकर धुलिया महानगर पालिका में स्वच्छता के मामले को लेकर मनपा आयुक्त सुधाकर देशमुख की उदासीनता और मिलीभगत नजर आती है, इस तरह का आरोप नगरसेवकों ने भी लगाया था जो हकीकत में तब्दील होता दिखाई दे रहा है।


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