राजस्थान में कांग्रेस बिना गठबंधन किये अपने दम पर सभी सीटों पर लड़ेगी लोकसभा चुनाव | New India Times

अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT:

राजस्थान में कांग्रेस बिना गठबंधन किये अपने दम पर सभी सीटों पर लड़ेगी लोकसभा चुनाव | New India Timesराजस्थान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने आज पत्रकारों के सामने स्पष्ट किया है कि प्रदेश की सभी 25 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस अपने दम पर बिना किसी दल से गठबंधन किये लोकसभा चुनाव लड़कर मिशन-25 को पाने की भरपूर कोशिश करेगी। इससे पहले कल भारतीय ट्राईबल पार्टी (बीटीपी) के रामप्रसाद डिडोड़ व राजकुमार नामक दोनों विधायकों ने डूंगरपुर में सभा करके प्रदेश की तीन लोकसभा क्षेत्र बासंवाड़ा-डूंगरपुर, उदयपुर व चित्तौड़गढ़ से चुनाव लड़ने का ऐलान करके चुनाव प्रचार शूरु कर दिया है। जबकि बसपा व रालोपा ने भी सभी 25 सीटों से चुनाव लड़ने का ऐलान कर रखा है। माकपा के नेता सीताराम यचूरी ने पिछले हफ्ते कांग्रेस से किसी तरह का गठबंधन होने से इंकार करने बाद राजस्थान माकपा सचिव कामरेड अमरा राम ने सीकर, चूरु व बीकानेर से लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा करके सबको चौंका दिया है।
राजस्थान में हाल ही में हुये विधानसभा चुनाव में कांग्रेस व भाजपा में मात्र एक प्रतिशत मतों का अंतर होने के बावजूद कांग्रेस पार्टी द्वारा समान विचारधारा वाले दलों से समझौता ना करने को कुछ राजनीतिक समीक्षक आत्मघाती कदम बता रहे हैं। वहीं कुछ समीक्षक सचिन पायलट के ब्यान को छोटे दलों पर दबाव बनाकर अपनी शर्तों पर गठबंधन करने की चाल बता रहे हैं। राजस्थान में विधानसभा की कुल 200 सीटों में से बहुमत से एक सीट कम जीतकर कांग्रेस की सरकार बनाने के बावजूद वह आज भी भाजपा के मुकाबले अकेले दम पर सीटें अधिक जीतना मानकर चल रही है जबकि राजस्थान के फलोदी व सीकर के सट्टा बाजार की रिपोर्ट के अनुसार भाजपा के मुकाबले कांग्रेस काफी पिछड़ रही है एवं छोटे दलों से समझौता ना होने से कांग्रेस को और भी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

राजस्थान में कांग्रेस बिना गठबंधन किये अपने दम पर सभी सीटों पर लड़ेगी लोकसभा चुनाव | New India Timesराजस्थान में कांग्रेस-भाजपा व निर्दलीय विधायकों के अलावा 6 विधायक बसपा, तीन विधायक रालोपा, दो विधायक बीटीपी व दो विधायक माकपा के मौजूद हैं जिनमें भारतीय ट्राईबल पार्टी का उदयपुर सम्भाग के आदिवासी क्षेत्र में प्रभाव होने के कारण आदिवासियों के लिये आरक्षित उदयपुर व बांसवाड़ा के अलावा इन दोनों आरक्षित सीटों से लगती सीट चित्तौड़गढ़ से बीटीपी ने चुनाव लड़ने की घोषणा करके कल कुशलगढ़ में सभा करके चुनाव प्रचार शूरु कर दिया है। माकपा की तरफ से सीकर से पूर्व विधायक कामरेड अमरा राम, चूरु से विधायक कामरेड बलवान पूनिया के अलावा आरक्षित सीट बीकानेर से किसी अन्य के उम्मीदवार बनने की सम्भावना जताई जा रही है। दूसरी तरफ बसपा व विधायक हनुमान बेनीवाल की पार्टी रालोपा ने सभी 25 सीटों पर उम्मीदवार लड़ाने का ऐलान करके सेक्युलर मतों में बंटवारा करके भाजपा की राह आसान करते नजर आयेंगे। हालांकि सेक्युलर मतों का विभाजन रोकने के लिये समान विचारधारा वाले दलों से गठबंधन करने में कांग्रेस नेताओं का अड़ियल रवैया अपनाने को प्रमुख रुकावट माना जा रहा है जबकि उक्त छोटे छोटे दलों का राजस्थान के अलग अलग क्षेत्रो व अलग अलग बिरादरियों में खासा प्रभाव होना पाया जाता है। उक्त दलों के उम्मीदवार लोकसभा में अपने दम पर चुनाव चाहे जीत नहीं पायें यह दिगर बात हो सकती है लेकिन इन छोटे छोटे दलों के उम्मीदवार जितने मत खींचेगे उतना ही कांग्रेस उम्मीदवारों को नुकसान व भाजपा उम्मीदवारों को फायदा होगा। राजस्थान में मुस्लिम को कांग्रेस द्वारा उम्मीदवार नहीं बनाये जाने की खबरों के बाद सांसद असदुद्दीन ओवेसी की पार्टी सहित उलेमा कौंसिल व पीस पार्टी के नेताओं ने भी यहां नजरें गाड़ा ली हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में सभी 25 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार जीते थे।
पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के जवानों के शहीद होने एवं विंग कमांडर आभींदन आदर्श के भारत वापस आने के अलावा पाकिस्तान के बालाकोट इलाके में भारतीय फौज द्वारा आतंकवादियों के अड्डों पर बमबारी (सर्जिकल स्ट्राईक-2) करने के बाद उपजे हालात को भाजपा ने खूब अच्छी तरह अपने पक्ष में भुनाते हुये अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिये विभिन्न तरह की रैलियां व शहीद परिवारों से सम्पर्क करने के साथ साथ सेवानिवृत्त फौजियों की भावनाओं को उकसा करके भाजपा के पक्ष में माहौल बनाया है जबकि कांग्रेस इसमें पिछड़ती नजर आ रही है।

कुल मिलाकर यह है कि अगर राजस्थान में समान विचारधारा वाले छोटे छोटे दलों से कांग्रेस का गठबंधन होता है तो उसके ठीक ठाक तादाद में उम्मीदवार जीत सकते हैं वरना भाजपा का पलड़ा भारी रहेगा। एक खास विचारधारा व नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने के पक्षधर मतदाताओं ने भाजपा के पक्ष में माहौल बनाये रखने के लिये दिन रात एक कर रेखा है।


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